सेंट्रल मार्केट मामले में व्यापारियों की याचिका खारिज, अब ध्वस्त होंगे अवैध निर्माण
Meerut News - सुप्रीम कोर्ट ने मेरठ के सेंट्रल मार्केट व्यापारियों की टाइम एक्सटेंशन याचिका को खारिज कर दिया है। इससे व्यापारियों को झटका लगा है। आवास एवं विकास परिषद अब कोर्ट के आदेश का पालन करने की तैयारी में है।...

मेरठ। सेंट्रल मार्केट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों की टाइम एक्सटेंशन वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इससे व्यापारियों को बड़ा झटका लगा है। अब उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने की तैयारी शुरू करेगा। हालांकि व्यापारी नेता किशोर वाधवा का कहना है सुप्रीम कोर्ट में अभी एक संशोधन याचिका और एक पुनर्विचार याचिका पेंडिंग है। संशोधन याचिका पर दो मई को सुनवाई हो सकती है। उन्हें कोर्ट, प्रदेश सरकार और जनप्रतिनिधियों पर पूरा भरोसा है। आवास एवं विकास परिषद की शास्त्रीनगर आवासीय योजना में आवासीय भूखंडों पर भू-उपयोग परिवर्तन कर अनाधिकृत निर्माण कर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। सेंट्रल मार्केट भी आवासीय भूखंडों पर चल रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश आर. महादेवन की खंडपीठ ने राजेंद्र कुमार बड़जात्या और अन्य की याचिका पर 17 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए सेंट्रल मार्केट स्थित आवासीय भूखंड संख्या 661/6 पर बने कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में व्यापारियों को कॉम्पलेक्स खाली करने के लिए तीन माह का समय दिया और उसके बाद 15 दिन के अंदर आवास एवं विकास परिषद को अनाधिकृत निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया है।
परिषद कॉम्पलेक्स के सभी 22 हिस्सेदारों को नोटिस मुहैया करा चुकी है। 17 मार्च को आदेश की मियाद पूरी हो रही थी। इस बीच व्यापारियों ने 3 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में टाइम एक्सटेंशन के लिए याचिका दायर की थी। 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश आर. महादेवन की खंडपीठ ने परिसर खाली करने के लिए मांगे समय को दिए जाने पर विचार करने तक आवास विकास से तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगते हुए 15 अप्रैल को सुनवाई की तिथि नियत की थी। इस मामले में सोमवार को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने टाइम एक्सटेंशन की याचिका पर व्यापारियों को कोई राहत नहीं देते हुए इसे खारिज कर दिया।
कब क्या हुआ
-आवासीय भूखंड संख्या 661/6 वीर सिंह पुत्र भिनका को 30 अगस्त 1986 में आवंटित हुआ था
-संपूर्ण भुगतान के बाद 6 अक्टूबर 2004 में भूखंड की रजिस्ट्री कराई
-1990 में वीर सिंह ने भूखंड के फ्रंट पर दुकानें बना ली और पीछे मकान, तो आवास विकास ने 19 सितंबर 1990 को नोटिस दिया था
-31 मई 2011 में आवास विकास ने उक्त भूखंड का कब्जा छोड़ने का नोटिस दिया
-22 अगस्त 2013 को आवास आयुक्त ने इस भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया
-आवास विकास ने अवैध निर्माण रोकने को 30 जुलाई 2013 को थाना नौचंदी को पत्र भेजा
-2013 में परिषद ने भूखंड पर अवैध निर्माण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट दायर की
-5 दिसंबर 2014 को हाईकोर्ट ने 661/6 पर हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश दिए
-व्यापारी राजेंद्र बड़जात्या व अन्य सुप्रीम कोर्ट चले गए और वहां से स्टे मिल गया
-21 नवंबर 2024 को आदेश सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने परिषद से 499 भवनों पर भी अवैध निर्माण होने की सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए
-परिषद ने एक सप्ताह तक शास्त्रीनगर योजना-3 व 7 में सर्वे कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की
-17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश दिए
-17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने परिसर खाली करने के लिए समय दिए जाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन सप्ताह तक कार्रवाई पर रोक लगाते हुए आवास विकास से जवाब दाखिल करने को कहा।
-28 अप्रैल को टाइम एक्सटेंशन वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोई राहत नहीं दते हुए इसे खारिज कर दिया गया।
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कहना इनका...
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल मार्केट के व्यापारियों की टाइम एक्सटेंशन वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के विस्तृत आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।
- आफताब अहमद, अधिशासी अभियंता, आवास एवं विकास परिषद मेरठ
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