Diwali muhurat timing : जानें आज दिवाली पूजा का मुहूर्त, क्या है घर पर लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय
- Diwali muhurat timing , laxmi pujan timing : आज दीपावली पर पूजन का उत्तम मुहूर्त स्थिर लग्न वृषभ सायं 6.27 से रात 8.23 बजे तक है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा।
Diwali muhurat timing , laxmi pujan timing : आज 31 अक्टूबर को देशभर में रोशनी का त्योहार दिवाली पूरे धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। कुछ लोग 1 नवंबर को भी दिवाली मनाएंगे। दरअसल दो दिन अमावस्या रहने से इस बार दिवाली को लेकर कंफ्यूजन है। लेकिन अधिकतर ज्योतिषाचार्य आज 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने की सलाह दे रहे हैं। उनका तर्क है कि अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3.52 बजे से शुरू होगी और एक नवंबर को शाम 6.16 बजे समाप्त होगी। 31 अक्टूबर को पूरी रात अमावस्या रहेगी। दीपावली रात्रि में ही होती है। महालक्ष्मी पूजन, निशा पूजन होता है। स्थिर लग्न की महत्ता है। स्थिर लग्न में ही लक्ष्मी पूजन का विधान है। यह सारी सुविधा 31 को हैं। आज दीपावली पर पूजन का उत्तम मुहूर्त स्थिर लग्न वृषभ सायं 6.27 से रात 8.23 बजे तक है।
घर पर दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 6.27 बजे से 8.23 बजे तक
विद्यार्थियों के लिए पूजा का उत्तम मुहूर्त - शाम 6.35 बजे से 8.32 बजे तक।
व्यापारियों के लिए : शाम 7.21 बजे से 8.57 बजे चंचल।
रात्रि 01.15 बजे से 3.21 बजे सिंह लग्न।
महामंत्र
ऊं श्रीं श्रीं हूं या ऊं श्रीं श्रीं कमलासिन्यै नमो नम
धन प्राप्ति मंत्र
ऊं श्रीं श्रियें नम(कमल गट्टे की माला से)
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का दूसरा मुहूर्त
महानिशीथ काल का पूजन मुहूर्त- 31 अक्टूबर की रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक होगा।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
मां लक्ष्मी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
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