योगी सरकार खुद चलाएगी 71 नए महाविद्यालय, पीपीपी मॉडल पर नहीं होगा संचालन
योगी सरकार ही अब 71 नए महाविद्यालय चलाएगी। ये पीपीपी मॉडल पर नहीं चलेंगे। शासन ने निर्माणाधीन विद्यालयों में पद सृजन का प्रस्ताव मांगा है। पहले पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर संचालन के आदेश दिए थे। अब इन राजकीय महाविद्यालयों को सरकार ही चलाएगी।
उत्तर प्रदेश में निर्माणाधीन 71 राजकीय महाविद्यालयों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर नहीं योगी सरकार स्वयं चलाएगी। मुख्यमंत्री घोषणा के तहत बन रहे इन महाविद्यालयों को पहले पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का निर्णय हुआ था। संबंधित राज्य विश्वविद्यालयों को निजी क्षेत्र के सहयोग से इन महाविद्यालयों के संचालन के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब सरकार ने निर्माणाधीन महाविद्यालयों के संचालन का जिम्मा स्वयं उठाने का निर्णय लिया है। शासन के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने उच्च शिक्षा निदेशक को 27 अगस्त को भेजे पत्र के माध्यम से 71 राजकीय महाविद्यालयों में पद सृजन का प्रस्ताव मांगा है।
असिस्टेंट प्रोफेसर के 1062 पद बढ़ेंगे
निर्माणाधीन 71 राजकीय महाविद्यालयों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के 1062 पद सृजित होंगे। कला संकाय के लिए सात, विज्ञान संकाय पांच, वाणिज्य संकाय दो और प्रवक्ता लाइब्रेरी के एक पद की सीधी भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा प्रत्येक महाविद्यालय में प्रयोगशाला सहायक के पांच-पांच कुल 355 पदों और कनिष्ठ सहायक के दो-दो कुल 142 पदों पर सीधी भर्ती से चयन का प्रस्ताव भेजा गया है। प्राचार्य के 71, प्रधान सहायक के 71 पदों और वरिष्ठ सहायक के 71 पदों पर पदोन्नति से तैनाती होगी। प्रयोगशाला परिचर के पांच-पांच और कार्यालय परिचर, अर्दली, पुस्तकालय परिचर, स्वीपर व चौकीदार पांच-पांच कुल 710 पदों पर आउटसोर्सिंग से भर्ती की जाएगी।
संगमनगरी को मिलेंगे दो महाविद्यालय
प्रयागराज में दो राजकीय महाविद्यालय निर्माणाधीन हैं। एक राजकीय महिला महाविद्यालय परासिनपुर सिकंदरा फूलपुर और दूसरा मेजा में बन रहा है। कौशाम्बी के सिराथू में एक राजकीय महाविद्यालय निर्माणाधीन है। आगरा व झांसी में नौ-नौ, लखनऊ में 12, बरेली में 13, मेरठ में 10 और गोरखपुर में चार महाविद्यालय बन रहे हैं।
निदेशकउच्चशिक्षा, डॉ. अमित भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत निर्माणाधीन 71 महाविद्यालयों में पद सृजन के लिए प्रस्ताव मांगा गया है। इन्हें राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित किया जाएगा।