एपीओ के पद भरने पर एक महीने में निर्णय लें, हाईकोर्ट ने सरकार और आयोग को दिया आदेश
- हाईकोर्ट ने प्रदेश में अपर लोक अभियोजकों के रिक्त पदों को भरने की कार्यवाही एक महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। प्रदेश सरकार के सचिव ने हाई कोर्ट को बताया कि शासन अपने आदेश पर पुनर्विचार करने जा रहा है। जिसके लिए समय दिया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने एक महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और लोक सेवा आयोग को प्रदेश में अपर लोक अभियोजकों की कमी को देखते हुए रिक्त पदों को भरने की कार्यवाही एक महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। साथ ही रिक्त पदों को 2022 की भर्ती से न भरने के 25 जुलाई 2024 के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने विकास सिंह और 33 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में एपीओ के रिक्त पदों को भरने की मांग की गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने 23 मई 2024 को कार्यवाही का आदेश दिया था, जिसे चुनौती नहीं दी गई और वह फाइनल हो गया।
प्रदेश सरकार के सचिव ने बताया कि शासन अपने आदेश पर पुनर्विचार करने जा रहा है। जिसके लिए समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने एक महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं एपीओ
बता दें कि एपीओ सरकार द्वारा नियुक्त कानूनी पेशेवर होते हैं जो न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे राज्य की ओर से अदालत में आपराधिक मामलों को तैयार करने और प्रस्तुत करने में सरकारी अभियोजक की सहायता करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि कानूनी दस्तावेज पुख्ता हों और सबूतों की जांच करके अपराधियों को न्याय के लिए अदालत के सामने खडा किया जाए। वे अभियोजन के पक्ष में तर्क देते हैं। एपीओ आवश्यक कानूनी अनुसंधान करते हैं और न्यायालय की कार्यवाही के लिए प्रासंगिक दस्तावेज इकट्ठा करते हैं।
साक्ष्यों का विश्लेषण करने के साथ ही कानूनी रूप से ठोस आरोप तय करने में एपीओ पुलिस की सहायता करते हैं। वे कानूनी प्रक्रियाओं पर पुलिस को मार्गदर्शन देते हैं। जांच के दौरान एपीओ एक तरह पुलिस के कानूनी मार्गदर्शक की तरह होते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रक्रियाएं कानून के अनुसार हों।