Notification Icon
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Ghazipur Lok Sabha seat: Mukhtar Ansari is a big issue even after his death what is the ground report

गाजीपुर लोकसभा सीटः मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पहला चुनाव, क्या है ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट पर अंतिम चरण में एक जून को मतदान होना है। प्रचार यहां खत्म हो चुका है। करीब दो महीने तक चले प्रचार में मुख्तार अंसारी ही गाजीपुर में मुख्य मुद्दा हैं।

Yogesh Yadav भाषा, गाजीपुरThu, 30 May 2024 12:30 PM
share Share

उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट पर अंतिम चरण में एक जून को मतदान होना है। प्रचार यहां खत्म हो चुका है। करीब दो महीने तक चले प्रचार में मुख्तार अंसारी ही यहां मुख्य मुद्दा हैं। चुनाव के बीच ही मुख्तार अंसारी की मौत ने सत्ता पक्ष और गाजीपुर से मैदान में उतरे उसके भाई अफजाल अंसारी के बीच वार-पलटवार चलता रहा। एक तरफ जहां भाजपा और उसके समर्थकों ने सीधे मुख्तार के बहाने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी निशाने पर लिया। वहीं, अफजाल के निशाने पर मुख्तार के प्रतिद्वंदी ब्रजेश सिंह भी रहे। अफजाल ने यहां तक कहा कि ब्रजेश सिंह को भाजपा ने स्टार प्रचारक बना दिया है।

इन सभी के बीच अफजाल अंसारी को भारतीय जनता पार्टी के पारसनाथ राय से कड़ी चुनौती मिल रही है। पिछले चुनाव में अफजाल ने भाजपा के कद्दावर नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को हराया था। अफजाल ने मनोज सिन्हा को एक लाख 19 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया था। इस बार यहां की राजनीतिक बहस, चर्चा और विमर्श में ''सहानुभूति'' और ''गुंडा राज का अंत'' के बीच द्वन्द्व साफ दिखाई दे रहा है।

शेखपुरा निवासी 50 वर्षीय हिदायतुल्लाह ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इस बार मुख्तार अंसारी के इंतकाल के बाद उनके प्रति लोगों में बहुत हमदर्दी है। अफजाल अंसारी के लिए मुख्तार के बेटे उमर अंसारी भी वोट मांग रहे हैं और इससे हमदर्दी और बढ़ रही है।

प्रीतमनगर निवासी पेशे से अधिवक्ता अशोक लाल श्रीवास्तव ने कहा कि यह कोई कहे कि मुख्तार अंसारी की मौत से कोई हमदर्दी है तो वह झूठ बोलता है। पहले जो उनका आतंक और दबदबा था, अब समाप्त हो गया है। चार जून (मतगणना के दिन) को इसका असर दिखेगा। अफजाल अंसारी और पारसनाथ राय (भूमिहार) के साथ बहुजन समाज पार्टी के डॉक्टर उमेश सिंह (क्षत्रिय बिरादरी) समेत कुल 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अफजाल अंसारी के पक्ष में प्रचार किया। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अखिलेश यादव सांत्वना देने के लिए उनके घर भी गए थे। अखिलेश का मुख्तार अंसारी के घर जाने को लेकर भी योगी ने लगातार निशाना साधा था।

करीब चार दशकों तक अपने भाई मुख्तार अंसारी के बाहुबल की छाया में चुनाव लड़ने वाले पांच बार के विधायक और दो बार के सांसद अफजाल अंसारी का दावा है मुख्तार की मौत साजिश के तहत हुई जिसे लेकर आवाम में आक्रोश है।

पत्रकारों से उन्होंने कहा कि मुख्तार की मौत से आवाम में कितना गुस्सा है, इसका असर चार जून को देखने को मिलेगा। उधर, भाजपा उम्मीदवार राय अपनी सभाओं में आरोप लगाते हैं कि माफिया मुख्तार के तार विदेशों तक जुड़े थे और इन लोगों की तुलना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शहीदों से करना बेमानी है। एक सभा में राय को यह कहते सुना गया कि अफजाल अंसारी अपने आतंकवादी भाई की तुलना शहीदों से न करें।

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या समेत 60 से अधिक मामलों में आरोपी रहे मुख्तार अंसारी की इसी साल 28 मार्च को बांदा जिला कारागार में तबीयत बिगड़ने के बाद वहीं के एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गयी थी। अंसारी के परिजनों ने उन्हें धीमा जहर देकर मारने का आरोप लगाया वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण हृदयगति रुकना बताया गया।

इस लोकसभा क्षेत्र में 2019 में जहां मनोज सिन्हा जैसे कद्दावर नेता को अफजाल ने हराया वहीं 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा गठबंधन ने इस क्षेत्र में आने वाली पांचों विधानसभा सीटें जीतकर भाजपा का सफाया कर दिया। इनमें सैदपुर (आरक्षित), गाजीपुर सदर, जंगीपुर और जमानिया विधानसभा सीटों से सपा उम्मीदवार जीते जबकि जखनिया (आरक्षित) से तब  सपा की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) जीती थी। अब सुभासपा राजग का हिस्सा है। 

दशवंतपुर गांव के निवासी और स्थानीय बीडीसी सदस्य घनश्याम यादव ने दावा किया कि यहां लड़ाई में सबसे आगे अफजाल अंसारी हैं। कुछ ताकतवर लोग भले इन्‍हें माफिया और गुंडा कहें, लेकिन गरीबों से इनका बहुत लगाव है। मुख्तार अंसारी के निधन को लेकर हमदर्दी है और हर वर्ग का गरीब इनका साथ दे रहा है।

उनकी बात का खंडन करते हुए दवा व्यवसायी शिवजी राय ने कहा कि इस बार मुख्तार के आतंक के बिना चुनाव हो रहा है। यहां के लोग अब फिर गुंडे-बदमाशों का पेड़ नहीं लगाएंगे। मुख्तार के खत्म होने से अब(अंसारी परिवार का आवास) का आतंक भी समाप्त हो गया है। भाजपा को हर वर्ग का वोट मिल रहा है।
 यहां 10 उम्मीदवारों में एक अफजाल की बेटी नुसरत अंसारी भी हैं, जिनका नामांकन विकल्प के तौर पर कराया गया था।

गाजीपुर का चुनाव जातीय गोलबंदी, मुख्तार की मौत और मोदी-योगी के इर्द-गिर्द घूम रहा है।  जेठ की तपती दोपहरी में वाराणसी-गोरखपुर मार्ग पर सड़क किनारे फास्‍ट टैग चार्जिंग के लिए अपना कैंप लगाए करीब 30 वर्षीय  सदानंद ने बहुत कुरेदने पर कहा कि इस बार के चुनाव में बड़ी जातियां कमल के फूल (भाजपा का चुनाव निशान) और कुछ हाथी (बसपा निशान)  पर वोट दे रही हैं तो मुसलमान, ज्यादातर पिछड़े और कुछ दलित मुसलमान साइकिल पर सवार हैं।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार गाजीपुर में भूमिहार, ब्राह्मण, क्षत्रिय, कायस्थ समेत सवर्ण जातियां करीब 19 फीसदी हैं तो वहीं यादव, कुशवाहा, बिंद-निषाद, राजभर समेत करीब 43 फीसदी पिछड़ी व अन्‍य जातियां हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 12 फीसदी से ज्‍यादा है। अनुसूचित जाति (दलित) आबादी 21 फीसदी है। 

पेशे से अधिवक्ता रामेश्वर कुमार कहते हैं कि गाजीपुर की लड़ाई त्रिकोणीय है। जब उनसे दलित मतदाताओं में बिखराव की बात पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी के प्रति सहानुभूति की वजह से दलित वोट बैंक में बिखराव हो रहा है। 

हालांकि खानपुर क्षेत्र के नायकडीह निवासी एवं दलित समाज से आने वाले पेशे से किसान अवधेश राम से जब यहां के बसपा उम्मीदवार का नाम पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पता नहीं है। लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि उनका वोट पार्टी को जाएगा। करंडा क्षेत्र के पचदेवरा में किराना की दुकान चलाने वाले बृजराज प्रजापति ने कहा कि हमें दोस्त मित्र जहां कहेंगे, वहां वोट कर देंगे। युवा अधिवक्‍ता रचना ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव मायने रखता है और वोट किसे देंगे, यह बताना जरूरी नहीं है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें