एम्स में भी सीधे इलाज करा सकेंगे रेलकर्मी
Prayagraj News - रेलवे ने कैंसर से पीड़ित कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों के लिए नई स्वास्थ्य नीति लागू की है। इस नीति के तहत कैंसर उपचार की प्रक्रिया सरल हो गई है, जिसमें टाटा मेमोरियल सेंटर में सभी प्रकार के...

प्रयागराज, वरिष्ठ संवाददाता। रेलवे ने कैंसर से पीड़ित अपने कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों के लिए नई स्वास्थ्य नीति लागू की है। रेलवे बोर्ड की ओर से जारी आदेश के तहत इस नीति से रेफरल प्रक्रिया और रीइंबर्समेंट (प्रतिपूर्ति) प्रणाली सरल हो गई है। नई नीति के तहत टाटा मेमोरियल सेंटर हॉस्पिटल में रेफरल के दौरान सभी प्रकार के कैंसर उपचार जैसे परामर्श, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी, लेप्रोस्कोपिक व रोबोटिक सर्जरी आदि कवर किए जाएंगे। निर्धारित दवाएं भी मरीजों को मिलेंगी। यदि उपलब्ध नहीं हैं तो रेलवे हॉस्पिटल या हेल्थ यूनिट उन्हें यूएमआईडी कार्ड के आधार पर उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा एम्स चंडीगढ़, एनआईएमएचएएनएस जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और सरकारी अस्पतालों में ओपीडी और आईपीडी सेवाओं के लिए किसी रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी।
मरीजों को वास्तविक खर्च या सीजीएचएस दरों में से जो कम हो, उसके अनुसार रीइंबर्समेंट मिलेगा। रेलवे और सीजीएचएस से संबद्ध स्वास्थ्य संगठनों में कैंसर से संबंधित ओपीडी सेवाओं के लिए रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, आईपीडी उपचार के लिए रेफरल अनिवार्य होगा, जो यूएमआईडी कार्ड के माध्यम से संबंधित रेलवे हॉस्पिटल की ओर से जारी किया जाएगा। हर जोनल और डिवीजनल रेलवे अस्पताल में एक रेलवे डॉक्टर को कैंसर मामलों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो रेफरल, रीइंबर्समेंट आदि के लिए समन्वय करेंगे। डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे के तहत इलाज की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी। टीएमसीएच मुंबई के लिए सेंट्रल रेलवे के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मेमोरियल रेलवे हॉस्पिटल और वेस्टर्न रेलवे का जगीवन राम हॉस्पिटल नोडल अस्पताल होंगे।
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