Hindustan Special: ये हैं बेसहारों के रहनुमा, बेजुबान कुत्तों के लिए 24x7 हाजिर, घर भी बनवाया
सर्दी और हांड कंपाती ठिठुरन में सड़कों पर खुद को छुपाने की जद्दोजहद में जुटे निराश्रित डॉग्स के लिए मेरठ शहर के कुछ लोगों ने अपने दिल में बड़ी जगह दे दी। सर्दी से बचाने के लिए इन मददगारों ने अपने घर के बाहर निराश्रित डॉग्स के लिए घर बनवा दिए।
रात में कड़ाके की सर्दी और हांड कंपाती ठिठुरन में सड़कों पर खुद को छुपाने की जद्दोजहद में जुटे निराश्रित डॉग्स (कुत्तों) के लिए मेरठ शहर के कुछ लोगों ने अपने दिल में बड़ी जगह दे दी। सर्दी से बचाने के लिए इन मददगारों ने अपने घर के बाहर निराश्रित डॉग्स के लिए घर बनवा दिए। कई ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने घर के एक कमरे को इन निराश्रित डॉग्स की सेवा में समर्पित कर दिया। आज हम आपको ऐसे ही कुछ डॉग्स लवर के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने इन बेजुबानों के लिए हरसंभव प्रयास किया। मोदीपुरम में युवा अपने 125 गज के प्लाट को आश्रय स्थल में तब्दील करते हुए निराश्रित डॉग्स का जीवन बचा रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जो सुबह-शाम रोटियां एकत्र कर इन निराश्रित डॉग्स को नियमित रूप से खिलाकर पेट भरते हैं।
इंटीरियर डिजाइनर ने बनावा दिया डॉग्स के लिए घर
जागृति विहार निवासी अश्विनी अरोड़ा आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक हैं। कॅरियर की शुरुआत उन्होंने इंटीरियर डिजाइनर के रूप की थी। अश्विनी के मन में पशुओं के प्रति विशेष प्रेम है। आर्ट ऑफ लिविंग के जरिए इंसानों के जीवन में प्रेम और करुणा का बीजारोपण करने वाले अश्विनी ने स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी एक पहल की है। उन्होंने अपने घर के बाहर लकड़ी का सुंदर घर बनवाया। इस घर में अलग-अलग फ्रेम बने हैं, जिसमें स्ट्रीट डॉग्स के लिए खाने और रहने की व्यवस्था है। रात में सर्दी से बचने को स्ट्रीट डॉग्स इस घर में आकर सो जाते हैं। अश्विनी द्वारा तैयार यह घर कई स्ट्रीट डॉग्स का ठिकाना बना हुआ है।
घर का एक कमरा ही स्ट्रीट डॉग्स को समर्पित
मोहनपुरी निवासी डॉ. निधि पेशे से डेंटिस्ट हैं, लेकिन पशु प्रेम ने उनका जीवन बदल दिया। पशुओं के प्रति करुणा का बीज उनके मन में अपनी नानी से पड़ा। डॉ. निधि के अनुसार उनकी नानी स्ट्रीट डॉग्स और बेसहारा पशुओं की सेवा करती थी। परिवार में मम्मी कल्पना शर्मा और पिता सुरेंद्र कुमार भी इसी तरह से सेवा करते हैं। डॉ. निधि शहर के किसी भी कोने में घायल या बीमार स्ट्रीट डॉग की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। उनकी कोशिश होती है कि मौके पर ही स्ट्रीट डॉग का इलाज किया जाए। यदि जरूरत पड़ती है तो वे उसे अपने घर ले आती हैं। डॉ. निधि के घर में एक कमरा ऐसे ही स्ट्रीट डॉग्स का आसरा है। घर में इनके लिए बिस्तर है। ऐसा ही एक स्ट्रीट डॉग डॉ. निधि और उनके भाई विवेक के बेहद करीब हो गया। यह डॉग विवेक से अलग नहीं रहता। मजेदार बात यह है कि जब विवेक की शादी हुई तो इस डॉग के लिए भी विशेष ड्रेस बनवाई गई। घुड़चढ़ी में यह डॉग विवेक के हाथों में रहा। डॉ. निधि के अनुसार प्रतिदिन औसतन चार से छह मामले आते हैं जिसमें या तो कोई स्ट्रीट डॉग दुर्घटना का शिकार हो जाता है या बीमार होता है। शहर के विभिन्न कोने में डॉ. निधि एवं उनके परिवार ने सड़क किनारे और गलियों में डॉग्स के लिए लकड़ी के घर बनाए हुए हैं।
बेजुबानों के लिए 24 घंटे, सातों दिन हाजिर, दे दिया प्लॉट
मोदीपुरम में आदित्य धामा अपने दोस्त रमांशी कौशिक के साथ बेजुबानों के लिए 24 घंटे और सातों दिन हाजिर हैं। शहर के किसी भी कोने से किसी भी वक्त कॉल आ जाए, इनकी सात सदस्यों की टीम स्ट्रीट डॉग्स के लिए दौड़ पड़ती है। यह उनका इलाज करते हैं। आदित्य के अनुसार ढाई साल पहले इस सेवा की शुरुआत हुई। पहले बीमार, बेसहारा और घायल स्ट्रीट डॉग्स को घर पर ले आते थे। फिर दोस्तों के साथ मिलकर बेजुबान फाउंडेशन की शुरुआत की। स्ट्रीट डॉग्स की संख्या बढ़ी तो पल्हैड़ा पुल के पास स्थित अपने 125 गज के प्लॉट को सेवा के लिए समर्पित कर दिया। इस प्लॉट में घायल, बीमार और बेसहारा स्ट्रीट डॉग्स को लेकर उपचार किया जाता है। ठीक होने पर इन डॉग्स को उनके स्थान पर छोड़ आते हैं। इस प्लॉट में स्ट्रीट डॉग्स के लिए चारपाई है। आदित्य के अनुसार उनकी टीम अब तक आठ सौ से अधिक स्ट्रीट डॉग्स को रेस्क्यू कर चुके हैं। उनके साथ डॉ. आशुतोष चौधरी भी साथ हैं, जो स्ट्रीट डॉग्स का उपचार करते हैं। आदित्य के अनुसार, ऐसे स्ट्रीट डॉग्स जिनकी मृत्यु हो जाती है, उनके उचित स्थान पर दफनाने की प्रक्रिया भी करते हैं।
सिक्योरिटी गार्ड जो निकलते हैं रोटी-दूध लेकर
रसूलपुर गांवडी के रहने वाले प्यारे मावी मवाना रोड पर एक निजी स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड हैं। सुरक्षा की इस ड्यूटी के साथ ही वह बेजुबानों के लिए सेवा से पीछे नहीं हटते। स्ट्रीट डॉग्स हों या फिर बेसहारा पशु, जरूरत पड़ते ही प्यारे मावी मदद के लिए मौके पर पहुंच जाते हैं। वे जब भी घर से स्कूल के लिए निकलते हैं तो रोटी और दूध साथ लेकर चलते हैं। रास्ते में बेसहारा बेजुबानों को खिलाते हैं। प्यारे उपचार के लिए स्ट्रीट डॉग्स और बेसहारा पशुओं को स्कूल के पास रखते हैं और ठीक होने तक उनका उपचार करते हैं।
हिमेश जैन जो कर देते हैं मेनका गांधी को फोन
मोतीप्रयाग के रहने वाले हैं हिमेश जैन, 12वीं के छात्र हैं और स्ट्रीट डॉग्स की सेवा से पीछे नहीं हटते। कॉलोनी के लोग भी हिमेश के विरोधी हो गए, लेकिन वे पीछे नहीं हटे। वे स्ट्रीट डॉग्स को अपने घर में रखकर उनका उपचार और सेवा करते हैं। हिमेश के अनुसार वह तीन-चार साल से यह काम कर रहे हैं। घर के बाहर ही उन्होंने स्ट्रीट डॉग के बच्चे को बीमार देखा और उपचार कराने लगे। हिमेश के पास अभी 12 स्ट्रीट डॉग्स हैं। वह केवल स्ट्रीट डॉग्स के लिए ही सेवा नहीं करते बल्कि निराश्रित पशुओं के लिए भी काम करते हैं। उनके पशु प्रेम का आलम यह है कि जब भी निगम की टीम स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने पहुंचती है तो वे इसकी सूचना मेनका गांधी को फोन करके दे देते हैं।