मनुष्य का ज्ञान तीसरे नेत्र के समान होता है : भाव भूषण महाराज
Meerut News - हस्तिनापुर के प्राचीन बड़ा मंदिर में श्री शांतिनाथ विधान के 14वें दिन भगवान का अभिषेक और शांतिधारा की गई। आचार्य भाव भूषण जी ने दुख को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर 105 परिवारों ने विधान...

हस्तिनापुर। श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर पर चल रहे श्री शांतिनाथ विधान के 14वें दिन शनिवार को भगवान का अभिषेक और शांतिधारा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ नित्य नियम पूजन‚ अभिषेक और शांतिधारा के साथ किया गया। शांतिधारा यश जैन परिवार द्वारा की गई। आचार्य भाव भूषण जी महाराज ने कहा कि दुख को समझना अति आवश्यक है। ज्ञानी मनुष्य दुख से नहीं घबराता और अज्ञानी मनुष्य दुख न होते हुए भी चिल्लाता रहता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमारा तीसरा नेत्र है। इसके माध्यम से हम आने वाले दुख को समझकर उससे बचने का उपाय निकल सकते हैं। दुख प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आता है।
भले ही भगवान महावीर के जीवन को उठाकर देख ले। उनके जीवन में दीक्षा लेते ही कष्ट आने शुरू हो गए थे मगर वो नहीं घबराए और दुखों को समझकर मुक्ति मार्ग को पाया। विधान के 14वें दिन 105 परिवारों द्वारा विधान कराया गया। सायंकाल में श्रीजी की महाआरती‚ भजन संध्या व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए। इस मौके पर अध्यक्ष जीवेंद्र जैन‚ महामंत्री मुकेश जैन, कोषाध्यक्ष राजेंद्र जैन, महाप्रबंधक मुकेश जैन, अतुल जैन, उमेश जैन, सुदर्शन जैन, नवनीत जैन आदि रहे।
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