महाकुंभ भगदड़ का मामला NHRC पहुंचा, शिकायत दर्ज, VIP पास जारी करने वाले अफसरों पर केस की मांग
कुंभ हादसे का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। वीवीआईपी और वीआईपी पास जारी करने वाले अधिकारियों को इस हादसे का दोषी बताते हुए केस दर्ज कराने का अनुरोध किया है। आयोग ने शिकायत दर्ज कर ली है।
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कुंभ हादसे का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है। वीवीआईपी और वीआईपी पास जारी करने वाले अधिकारियों को इस हादसे का दोषी बताते हुए केस दर्ज कराने का अनुरोध किया है। आयोग ने शिकायत दर्ज कर ली है। रामपुर की मॉडल कालोनी निवासी डीके फाउंडेशन आफ फ्रीडम एंड जस्टिस के डायरेक्टर दानिश खां ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करायी है। जिसमें प्रयागराज में कुछ दिन पूर्व घटित घटना के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने एवं गहन जांच करने के संबंध में अनुरोध किया गया है।
ऑर्गनाइजेशन का आरोप है कि वीआईपी संस्कृति ख़त्म करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने भी 2024 वीआईपी संस्कृति को खत्म करने की घोषणा की थी उसके बाद भी पास बाटें गए? दायर याचिका में कहा कि महाकुंभ में हुये हादसे के ज़िम्मेदार वही लोग है जिन्होंने वीआईपी पास वितरित किए हैं। उन्होंने इन सभी अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना माना, लेकिन याचिका पर विचार से इनकार
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रयागराज में संगम पर हो रहे महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ की घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण बताया। हालांकि शीर्ष अदालत ने महाकुंभ पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों और नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इस याचिका में प्रयागराज में 29 जनवरी को अमृत स्नान से कुछ देर पहले मची भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों, अधिकारियों और प्राधिकारों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने का आदेश देने की भी मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि ‘यह ( महाकुंभ में भगदड़ की घटना) एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो चिंता का विषय है। इसके साथ ही, पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है, आप अपनी मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाइए। इसके साथ ही पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। 29 जनवरी को मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हुई। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश तब दिया, जब उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि ‘महाकुंभ में मची भगदड़ की घटना को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पहले ही एक याचिका दाखिल की जा चुकी है, ऐसे में मौजूदा याचिका पर इस अदालत (सुप्रीम कोर्ट) में सुनवाई नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने पीठ से कहा कि घटना की न्यायिक जांच शुरू की गई है।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने संविधान के अनुच्छेद 32 का सहारा लेकर सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों, अधिकारियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में महाकुंभ और इस तरह की भीड़भाड़ वाले आयोजन में भगदड़ की घटनाओं को रोकने और अनुच्छेद 21 के तहत समानता और जीवन के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए आदेश जारी करने की मांग की थी। अधिवक्ता तिवारी ने शीर्ष अदालत में केंद्र के साथ साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाते हुए याचिका में कहा था कि ‘महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं, इसलिए उनको सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सभी को सामूहिक रूप से मिलकर कर काम करने की जरूरत है। याचिका में शीर्ष अदालत से इस बारे में केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
याचिकाकर्ता तिवारी ने राज्य सरकारों को महाकुंभ में लोगों की सुविधा के लिए विशेष निर्देश, नीतियां और नियम जारी करने, भगदड़ की घटनाओं से बचने, लोगों की सुरक्षा, व्यवहार्यता आदि सुनिश्चित करने के लिए मूल्यांकन निर्धारित करने और स्थिति रिपोर्ट मंगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया था। याचिका में कहा गया था कि सभी राज्यों को प्रयागराज में सुविधा केंद्र स्थापित करने चाहिए ताकि सुरक्षा संबंधी जानकारी दी जा सके और आपात स्थिति में अपने संबंधित निवासियों की सहायता की जा सके। याचिका में महाकुंभ में भीड़भाड़ को रोकने और भीड़ की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए वीआईपी प्रोटोकॉल की जगह सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए आदेश जारी करने की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि वीआईपी मूवमेंट के चलते आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए और महाकुंभ में श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास के लिए अधिकतम स्थान उपलब्ध कराया जाना चाहिए।