दिवस विशेष:: लखनऊ के चार फीसदी बच्चे भी हाई ब्लड प्रेशर के शिकार
Lucknow News - हाईपरटेंशन दिवस केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के सर्वे में सामाने आए तथ्य, 16 स्कूल के

हाईपरटेंशन दिवस केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के सर्वे में सामाने आए तथ्य, 16 स्कूल के आठ हजार बच्चों पर हुआ सर्वे लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता। अब हाईपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) सिर्फ व्यस्क या बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही, यह बच्चों को भी जद में ले रही है। यह खुलासा केजीएमयू फिजियोलॉजी विभाग के सर्वे में हुआ है। फिजियोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि लखनऊ के 16 स्कूलों के 8000 बच्चों पर सर्वे किया गया। आठ से 18 साल के बच्चों को इसमें शामिल किया गया। इसमें सभी बच्चों का ब्लड प्रेशर मापा गया। उनका खान-पान, पढ़ाई से लेकर दिनचर्या के बारे में जानकारी ली गई।
करीब चार फीसदी बच्चे हाईपरटेंशन के शिकार पाए गए। चौकाने वाले तथ्य यह भी है कि 98 फीसदी बच्चे दुबले-पतले और सामान्य वजन के थे। उन्होंने बताया कि मोटे लोगों में ब्लड प्रेशर की आशंका 40 से 50 गुना बढ़ जाती है। अंग खराब होने का खतरा डॉ. नरसिंह ने बताया कि विदेशों में हाईपरटेंशन 40 से 45 उम्र के लोगों में अधिक पाया जाता है। जबकि भारतीयों को यह बीमारी 10 साल पहले यानी 30 से 35 की उम्र में शुरू हो जाती है। सर्वे रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया में हाईपरटेंशन एशिया पैसिफिक कॉन्फ्रेंस में भी पढ़ी गई। उन्होंने बताया कि बढ़े ब्लड प्रेशर से अंगों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा किडनी प्रभावित होती है। आंखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है। अधिक टीवी देखना घातक डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि जो बच्चे ज्यादा देर तक टीवी देखते हैं। टीवी देखते हुए खाना खाते हैं। उनमें हाईपरटेंशन की समस्या ज्यादा पाई गई। क्योंकि टीवी देखते हुए वे अधिक भोजन करते हैं। जिसे वे मोटापे के शिकार हो रहे हैं। इसकी तुलना में कम टीवी देखने वाले बच्चों का बीपी सामान्य था। वे स्वभाव से ज्यादा शांत भी दिखे। साल में एक बार जांच जरूरी डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि चाहे बच्चा हो या नौजवान। महिला हो या पुरुष। सभी को साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर की माप जरूर करानी चाहिए। जो लोग ब्लड प्रेशर के शिकार हैं वे समय-समय पर जांच कराएं। जिनके परिवार के किसी सदस्य को समस्या है वे भी सतर्क रहें। बीमारी के कारण माता-पिता को हाई बीपी होना संतुलित भोजन न होना कसरत न करना आरामतलबी तनाव पढ़ाई, एग्जाम या अन्य किसी कॉम्पिटीशन का प्रेशर होना देर रात तक जागना व सोने का तय समय न होना अभिभावक रखें सेहत का खयाल बच्चों के सोने का समय फिक्स करें आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें। घर के खाने को इंट्रेस्टिंग बनाएं, जंक फूड की खामियां समझाएं ज्यादा नंबर लाने का दबाव न बनाएं। लक्षण सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, धुंधली दृष्टि, नाक से खून आना और उल्टी। बचाव हाईपरटेंशन से बचाव के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। इसमें नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, तनाव प्रबंधन और नियमित रक्तचाप जांच शामिल हैं।
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