लखनऊ में आउटर रिंग रोड, शहीद पथ और ग्रीन कॉरिडोर के किनारे बन सकेंगी और ऊंची इमारतें
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने नए आउटर रिंग रोड, शहीद पथ और ग्रीन कॉरिडोर के दोनों तरफ टीओडी जोन घोषित किए हैं। अब यहां 15 मीटर से ऊंची इमारतों का हर पांच साल में सेफ्टी ऑडिट होगा। इसके साथ ही फ्लोर...
आने वाले दिनों में नए आउटर रिंग रोड, शहीद पथ तथा ग्रीन कॉरिडोर के दोनों तरफ पांच-पांच सौ मीटर के दायरे में और ज्यादा ऊंची इमारतें बन सकेंगी। एलडीए बोर्ड ने इनके दोनों तरफ टीओडी जोन घोषित करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही शहर में 15 मीटर व इससे ऊंची इमारतों का सेफ्टी ऑडिट होगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) इसके लिए आर्किटेक्ट और कंसलटेंट का पैनल तैयार करेगा। बोर्ड बैठक में शुक्रवार को इस पर भी फैसला हुआ। कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब की अध्यक्षता में प्राधिकरण में हुई बोर्ड बैठक में उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार, सचिव विवेक श्रीवास्तव, अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी शामिल हुए। बोर्ड ने लखनऊ में बने नए आउटर रिंग रोड, निर्माणाधीन ग्रीन कॉरिडोर और शहीद पथ के दोनों तरफ के पांच-पांच सौ मीटर के दायरे को ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) जोन घोषित करने के साथ ही यहां का फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) भी 2.50 से बढ़ाकर 4 कर दिया है।
हर पांच साल में होगा सेफ्टी ऑडिट
बोर्ड के फैसले के अनुसार 15 मीटर या इससे अधिक ऊंची इमारतों का हर पांच साल में सेफ्टी ऑडिट कराना होगा। इसे फायर विभाग की एनओसी के साथ लिंक किया जाएगा। जिस तरह फायर विभाग की एनओसी लेनी पड़ती है, उसी प्रकार हर 5 साल बाद सेफ्टी ऑडिट का प्रमाण पत्र भी लेना होगा। सेफ्टी ऑडिट का खर्चा खुद बिल्डिंग मालिक को वहन करना होगा। अपार्टमेंट की दशा में आरडब्ल्यूए को सेफ्टी ऑडिट का खर्च चुकाना होगा। अगर संबंधित बिल्डिंग मालिक ऑडिट का खर्च नहीं चुकाते हैं तो आरसी जारी कर रिकवरी की जाएगी।
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