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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़लखनऊ25th National Conference of Indian Association of Endocrine Surgeons Begins at KGMU Thyroid Awareness and Robotic Surgery

सूखी त्चचा, टटते नाखून का कारण हाइपोथायरायडिज्म

कॉन्फ्रेंस केजीएमयू में इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडोक्राइन सर्जनस की 25 वीं राष्ट्रीय कान्फ्रेंस शुरू कमजोरी

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 19 Sep 2024 11:42 AM
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कॉन्फ्रेंस केजीएमयू में इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडोक्राइन सर्जनस की 25 वीं राष्ट्रीय कान्फ्रेंस शुरू

कमजोरी व थकान महसूस होने पर कैल्शियम की जांच करानी चाहिए

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता

थायराइड की परेशानी तेजी से बढ़ रही है। बीमारी की शुरुआत में पहचान जरूरी है। इलाज में देरी से मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है। यह जानकारी केजीएमयू इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आनंद मिश्र ने दी।

वह गुरुवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडोक्राइन सर्जनस की 25 वीं राष्ट्रीय कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। केजीएमयू के ब्राउन हॉल में तीन दिवसीय कान्फ्रेंस का शुभारंभ हुआ। डॉ. आनंद मिश्र ने कहा कि थायराइड ग्रंथि गले में होती है। इससे हार्मोन निकलता है। बीमारी की दशा में हार्मोन का स्राव प्रभावित होता है। इससे शरीर में बीमारी पनपती है। थायराइड कम होने की दशा को चिकित्सा विज्ञान में हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। इसमें मरीज के दिल की धड़कन धीमी होने लगती है। मरीज को हमेशा थकावट महसूस होती है। कई बार तो मरीज अवसाद की चपेट में आ जाता है। हल्की ठंड भी वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है। मरीज का तेजी से वजन बढ़ने लगता है। नाखून पतले होकर टूटने लगते हैं। मरीज को पसीना भी कम आता है। त्वचा में सूखापन और खुजली होती है। उन्होंने कहा कि कमजोरी व थकान महसूस होने पर कैल्शियम की जांच करानी चाहिए। क्योंकि थायराइड की वजह से शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है। जिससे भी इस तरह की समस्या पनप आती है।

रोबोटिक सर्जरी कारगर

डॉ. कुलरंजन सिंह ने कहा कि थायराइड के ऑपरेशन में रोबोटिक सर्जरी कारगर व अधिक सुरक्षित है। ऑपरेशन के दौरान मरीज का रक्तस्राव कम होता है। संक्रमण की आशंका कम रहती है। मरीज की अस्पताल से जल्द छुट्टी हो जाती है।

गांठ को न करें नजरअंदाज

डॉ. प्रबोल नियोगी ने कहा कि शरीर में पनपने वाली गांठ को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासकर ऐसी गांठ जो लगातार बढ़ रही हो। उन्होंने कहा कि 20 प्रतिशत लोग गांठ को नजरअंदाज करते हैं। जो लोग इलाज भी कराते हैं वह विशेषज्ञ डॉक्टर के बजाए दूसरी पैथी की ओर जाते हैं। समय पर समुचित इलाज न मिलने से बीमारी के गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है। इलाज में देरी से गांठ कैंसर में भी तब्दील सकती है। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि इस तरह की कान्फ्रेंस से ज्ञान का आदान प्रदान होता है। तकनीक व नई दवाओं की जानकारी भी बढ़ती है।

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