Monitoring Malnourished Children Health Department Faces Data Entry Challenges in Lakhimpur ई-कवच पर दर्ज ही नहीं किए अतिकुपोषित बच्चे, मानीटरिंग पर सवाल, Lakhimpur-khiri Hindi News - Hindustan
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ई-कवच पर दर्ज ही नहीं किए अतिकुपोषित बच्चे, मानीटरिंग पर सवाल

Lakhimpur-khiri News - लखीमपुर में स्वास्थ्य विभाग को अतिकुपोषित बच्चों की मानीटरिंग का कार्य सौंपा गया है, जिसके लिए ई-कवच पोर्टल तैयार किया गया है। हालांकि, चिन्हित बच्चों में से केवल 18 का डेटा ही फीड किया गया है जबकि...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखीमपुरखीरीMon, 12 May 2025 01:46 AM
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ई-कवच पर दर्ज ही नहीं किए अतिकुपोषित बच्चे, मानीटरिंग पर सवाल

लखीमपुर। अतिकुपोषित बच्चों की लगातार मानीटरिंग करके उनको स्वस्थ करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है। इसकी मानीटरिंग के लिए सरकार ने ई-कवच पोर्टल तैयार किया है। कई विभागों को इसमें लगाया गया है जिससे कुपोषण दूर किया जा सके। लेकिन लापरवाही की स्थिति यह है कि चिन्हित किए गए बच्चों का डाटा ही ई-कवच पर फीड नहीं किया गया है। करीब एक हजार बच्चे चिन्हित हैं इनमें से ईकवच पर मात्र 18 बच्चों का ब्योरा फीड है। सीडीओ अभिषेक कुमार ने इस पर नाराजगी जताते हुए चिकित्साधिकारियों को तुरंत बच्चों का डाटा फीड कर मानीटरिंग करने का निर्देश दिया है।

जिला पोषण समिति की बैठक में सीडीओ ने सैम (अति कुपोषित) व मैम बच्चों के बारे में जानकारी ली। जन्म के बाद बच्चों का टीकाकरण, वजन व लम्बाई के अनुसार उनका पोषण देखा जाता है। आंगनबाड़ी के माध्यम से जिले में करीब एक हजार बच्चे सैम कैटेगरी के चिन्हित किए गए थे। इन बच्चों की विशेष देखभाल दवाओं के माध्यम से इनको स्वस्थ बनाना है। इसके लिए सरकार ने ई-कवच पोर्टल तैयार किया है। ई-कवच पर सैम बच्चों का पूरा विवरण दर्ज किया जाता है। इसके बाद सम्बंधित क्षेत्र के चिकित्साधिकारी लगातार मानीटरिंग करते हैं। जिला पोषण समिति की बैठक में सीडीओ अभिषेक कुमार ने जब ईकवच पर दर्ज बच्चों का विवरण पूछा तो पता चला कि ई-कवच पर महज 18 बच्चों का ही विरण दर्ज है जबकि करीब एक हजार बच्चे सैम कैटेगरी में चिन्हित हैं। सीडीओ अभिषेक कुमार ने इन बच्चों की मानीटरिंग के बारे में जानकारी ली साथ ही यह भी निर्देश दिया कि इन बच्चों का पूरा विवरण ई-कवच पर एक सप्ताह में दर्ज करें। चिकित्साधिकारी लगातार मानीटरिंग करें जिससे यह बच्चे स्वस्थ बच्चों की श्रेणी में आ सकें। बताते चलें कि कुपोषण मिटाने के लिए सरकार लगातार कार्यक्रम चला रही है। इसका असर यह है कि जिले में कुपोषण का स्तर अब काफी कम हुआ है।

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