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ट्रांसजेंडर नीति के लिए किन्‍नर शक्ति फाउंडेशन ने दाखिल की याचिका, HC ने केंद्र-राज्‍य से मांगा जवाब

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP में ट्रांसजेंडर नीति तैयार करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जवाब मांगा है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने दिया है।

Ajay Singh लाइव हिन्दुस्तानTue, 10 Sep 2024 03:11 AM
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Transgender Policy: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में ट्रांसजेंडर नीति तैयार करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जवाब मांगा है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने दिया है।

किन्नर शक्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष शुभम गौतम की जनहित याचिका में राज्य में प्रभावी जागरूकता कार्यक्रम और ट्रांसजेंडर सुरक्षा, ट्रांसजेंडर आयुष्मान टीजी प्लस कार्ड योजना के त्वरित कार्यान्वयन की भी मांग की गई है। जनहित याचिका में राज्य भर में गरिमा गृह सुविधाओं की स्थापना और संचालन के लिए संसाधनों का उचित आवंटन, राज्य में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यापक नीतियां तैयार करने, ट्रांसजेंडर शौचालयों की स्थापना और शिक्षण संस्थानों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को प्रवेश प्रदान करने और विशेष अभियान चलाकर सरकारी क्षेत्रों में ट्रांसजेंडरों की भर्ती करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि भारत में ट्रांसजेंडरों के कई सामाजिक-सांस्कृतिक समूह हैं। जैसे हिजड़ा/किन्नर और अन्य ट्रांसजेंडर पहचान शिव-शक्ति, जोगता, जोगप्पा, आराधी, सखी, आदि जो सभी मामलों में ह्यगंभीर भेदभाव और उत्पीड़नह्ण का सामना करते हैं। उन्हें मौखिक दुर्व्यवहार, शारीरिक और यौन हिंसा, झूठी गिरफ्तारी, अपनी पैतृक संपत्ति, सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से वंचित करने जैसे ह्यअनुचित व्यवहारह्ण का सामना करना पड़ता है और परिवार, शैक्षणिक संस्थानों, कार्यस्थल, सार्वजनिक स्थानों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

जनहित याचिका में कहा गया, भारत में ट्रांसजेंडरों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव न केवल ट्रांसजेंडरों को रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आवास जैसी प्रमुख सामाजिक वस्तुओं तक समान पहुंच से वंचित करता है बल्कि यह उन्हें समाज में हासिए पर डाल देता है। उन्हें उन कमजोर समूहों में से एक बना देता है, जिनके सामाजिक रूप से बहिष्कृत होने का खतरा है।

कार्यवाहक प्रधानाचार्य पद के वेतन पर निर्णय लें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक कानपुर नगर को सरस्वती बालिका विद्यालय इंटर कॉलेज विजय नगर के कार्यवाहक प्रधानाचार्य पद का वेतन देने के मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि तीन माह में देय वेतन की अंतर राशि का भुगतान किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने मधुर द्विवेदी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची के अधिवक्ता अनुराग शुक्ल का कहना था कि याची सरस्वती बालिका विद्यालय इंटर कॉलेज विजय नगर कानपुर नगर की कार्यवाहक प्रधानाचार्य है लेकिन उसे प्रवक्ता का ही वेतन दिया जा रहा है।

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