पेट में जहर की सुई लगा भाग गया बदमाश, मुलायम के खिलाफ चुनाव लड़ चुके BJP नेता की ऐसे हुई हत्या
- सोमवार दोपहर जहरीला इंजेक्शन लगाकर भाजपा नेता गुलफाम यादव की हत्या कर दी गई। बाइक से आए तीनों बदमाश मुलाकात के बहाने घेर में घुसे थे। उनमें में एक ने मौका पाकर उनके पेट में जहरीला इंजेक्शन लगा दिया। परिजन उन्हें अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज पहुंचे लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और संभल विधानसभा प्रभारी गुलफाम सिंह यादव की रहस्यमयी हत्या ने पूरे राजनीतिक (सियासी) गलियारों में सनसनी फैला दी है। एक समय मुलायम सिंह यादव के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़कर सुर्खियों में आए गुलफाम सिंह भाजपा के एक मजबूत स्तंभ थे। उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्षों और साहसिक फैसलों से भरी रही, जिसने उन्हें भाजपा में एक खास पहचान दिलाई। कहा जा रहा है कि सोमवार दोपहर जहरीला इंजेक्शन लगाकर उनकी हत्या कर दी गई। बाइक से आए तीनों बदमाश मुलाकात के बहाने घर में घुसे थे। उन्होंने हालचाल पूछा और पानी मांगकर पिया। उन्हें पानी पिलाने के बाद गुलफाम लेटे, तभी एक बदमाश उनके पेट में जहरीला इंजेक्शन लगाकर भाग निकला। परिजवारीजन उन्हें अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज पहुंचे लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। उधर, देर रात मेडिकल कॉलेज में हुए पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है।
वर्ष 2004 में गुन्नौर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मैदान में थे। उस समय भाजपा ने इस सीट पर गुलफाम सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला था। यह चुनाव पूरी तरह से एकतरफा रहा और मुलायम सिंह यादव ने रिकॉर्ड 91.77 प्रतिशत वोट हासिल किए। उन्हें कुल 1,95,213 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी गुलफाम सिंह यादव महज 6,941 वोट ही जुटा सके। इस चुनाव में बसपा के उम्मीदवार आरिफ अली दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 11,314 वोट मिले थे।
हालांकि, भले ही यह चुनावी मुकाबला गुलफाम सिंह के पक्ष में नहीं रहा, लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी का एक मजबूत चेहरा मानते हुए आगे बढ़ाया। इस चुनाव के बाद वह लगातार पार्टी संगठन में सक्रिय बने रहे और प्रदेश स्तर तक अपनी राजनीतिक पहुंच बनाई।
राजनीति में आने से पहले थे लेखपाल
गुलफाम सिंह यादव ने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था। वह लेखपाल के पद पर कार्यरत थे, लेकिन समाजसेवा और राजनीति के प्रति उनके जुनून ने उन्हें इस क्षेत्र में खींच लाया। उनकी राजनीतिक यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से शुरू हुई। 1976 में वह बदायूं जनपद में संघ के जिला कार्यवाह और बाद में जिला महामंत्री भी रहे। संघ की विचारधारा से जुड़े होने के कारण भाजपा में उनकी मजबूत पकड़ बन गई और धीरे-धीरे वह पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के करीबी नेताओं में शुमार हो गए। भाजपा में उनकी बढ़ती सक्रियता को देखते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनाया गया। 2016 में वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बने। संभल लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रभारी की भूमिका भी निभाई।
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