लोक रक्षार्थ भोलेनाथ विषपान कर बने नीलकंठ : राघव ऋषि
Gorakhpur News - गोलाबाजार में आयोजित शिवमहापुराण कथा के विश्राम दिवस पर राघव ऋषि ने समुद्र मंथन के समय भगवान शिव के विष पान करने की घटना का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि इस घटना के कारण भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा।...

गोलाबाजार, हिंदुस्तान संवाद। गोला कस्बे में आयोजित शिवमहापुराण कथा के विश्राम दिवस पर सोमवार को काशी से कथा वाचक राघव ऋषि ने समुद्र मंथन प्रसंग में कहा कि समुंद्र मंथन के समय जब विष निकला तो उस विष को सभी देवों के आग्रह पर लोक रक्षार्थ भगवान शिव ने पान किया, जिससे भगवान शिव का गला नीला पड़ गया। तभी से उनका एक नाम नीलकंठ पड़ गया।
कथाव्यास ने कहा कि शिवजी के अनेक रूप हैं। सृष्टि के सृजन,संचालन, संतुलन के लिए एक और रूप से भक्तों को अवतार लिया। ब्रह्मा के सृष्टि निर्माण में यह आभास हुआ कि यह स्थिर नहीं होगा तब ब्रह्मा आदि समस्त देवों ने भगवान शिव से निवेदन किया जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने आधा पुरुष, आधा स्त्री के रूप को एक रूप में समहित किया।
इस अवसर पर शत्रुघ्न कसौधन, मनोज उमर वैश्य, राकेश गुप्ता, कस्तूरी जायसवाल, अजय मोदनवाल, सुशील सोनकर, ओंकारनाथ तिवारी, संजय गुप्ता, विनोद जायसवाल, रघु सोनकर, राकेश वर्मा सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।
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