भाई के खून से सनी चारपाई को 10 साल से राखी बांध रहीं 4 बहनें, हर सावन की पूर्णिमा रोता है गांव
हर सावन की पूर्णिमा पर बहनें मायके आती हैं। उनकी आंखों में भी सावन उमड़ता है और चारपाई रंग-बिरंगी राखियों से सज जाती है। इन 10 सालों में इस घर में बहुत कुछ बदला, चारपाई जस की तस रखी गई है। बहुत संभाल कर.. जैसे उस पर राघवेन्द्र आज भी सोया हुआ है।

जिस चारपाई पर भाई की हत्या हुई, उसका खून गिरा, चारों बहनें उसे ही अपना भाई मानने लगीं। 10 साल बीत गए, भाई का खून इस चारपाई में कब का जज्ब हो चुका है।ोरोबचारपाई को राखी बांधती बहनों और उनकी आंखों से झर-झर बहते आंसू देख गांववालों की आंखे भी नम हो जाती हैं।
यूपी के फतेहपुर के बकेवर कोतवाली क्षेत्र के सदान बदान का यह पुरवा गांव है। यहां रहने वाले राघवेंद्र यादव की हत्या को 10 साल हो चुके हैं। गुरुवार को ही उसके हत्यारे को उम्रकैद सुनाई गई। उसने जिस चारपाई पर राघवेंद्र को मौत के घाट उतारा था, उस पर लगे खून के धब्बे काले हो चुके हैं। माता-पिता बेटियों से कहते हैं.. अब इस चारपाई को भूल जाओ लेकिन बहनें मानने को तैयार नहीं हैं। चारपाई को बरामदे में सुरक्षित रखा है।
किसान पिता राजेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनकी चार बेटियां निशा, रिषा, नीता, नीतू और दो बेटे राघवेंद्र और शुभम थे। घर के बाहर चारपाई पर सो रहे राघवेंद्र की 21 जून 2015 की रात करीब 11 बजे हत्या कर दी गई थी। राघवेंद्र अपनी चारों बहनों का दुलारा था। उसकी हत्या के बाद चारों टूट गईं। जिस चारपाई पर राघवेंद्र की हत्या हुई थी, चारों बहनों ने उसे सहेजकर घर के बरामदे में रख दिया है। उसे ही राखी बांधती हैं।
सिसकते हुए मां बोली हत्यारे को फांसी हो
गुरुवार को कोर्ट ने सुधीर को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 40 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि इस फैसले से परिजन असंतुष्ट हैं। मां सोमवती का कहना है कि हत्यारे को फांसी मिलनी चाहिए। उसने मेरे निर्दोष बेटे की जान ली है। राजेंद्र ने भी कोर्ट से फांसी की सजा की मांग की थी।
पूरे साल घर न आएं पर राखी पर जरूर आती हैं
राजेंद्र ने बताया कि चारों बेटियों की शादी हो चुकी है। कई बार हो जाता है कि पूरे साल उनका घर आना न हो, लेकिन रक्षाबंधन में घर जरूर आती हैं। बरामदे में रखी चारपाई को बाहर निकालकर रोली-टीका करने के बाद बड़े ही भाव से राखी बांधती हैं। यह नजारा देखकर वह न अपने आंसू रोक पाते हैं और न ही उनकी पत्नी।
हत्यारोपी को अदालत ने सुनाई उम्रकैद की सजा, जुर्माना भी लगाया
दस साल पहले बिंदकी कोतवाली के सदान बदान का पुरवा में खुन्नस में युवक की बांके से हत्या करने वाले को कोर्ट ने गुरुवार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। एडीजे कोर्ट नंबर एक राजकुमार तृतीय की अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए दोषी पर 40 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कल्पना पांडेय ने बताया कि सदान बदान का पुरवा निवासी राघवेन्द्र पुत्र राजेन्द्र 21 जून 2015 की रात दरवाजे पर सो रहा था। तभी तीन महीने पहले हुई मामूली कहासुनी की रंजिश में गांव के ही सुधीर यादव ने बांके से ताबड़तोड़ नौ वार कर राघवेन्द्र की हत्या कर दी थी। मृतक के पिता ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपी को रक्तरंजित बांके और खून से सने कपड़ों के साथ गिरफ्तार किया था। सुनवाई के दौरान नौ गवाहों ने बयान दर्ज कराए। इस पर शासकीय अधिवक्ता और बचाव पक्ष के वकील ने जिरह करते हुए दलीलें पेश कीं। साक्ष्य, गवाहों के बयानों और अभियोजन की दलीलों के आधार पर अदालत ने सुधीर यादव को दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया।
एसआई परीक्षा पास होने पर मानने लगा था खुन्नस
सदान बदान का पुरवा में राघवेन्द्र और सुधीर के साथ करीब एक दर्जन से अधिक युवक उपनिरीक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे थे। राघवेन्द्र में लिखित परीक्षा में पास हो गया था। वहीं सुधीर यादव फेल हो गया था। इसी बात को लेकर सुधीर यादव खुन्नस मानने लगा। एक दिन दोनों में कहासुनी हुई तो सुधीर ने राघवेन्द्र को मारने की धमकी दी। इसी के तीन माह बाद उसने वारदात को अंजाम दिया।
वारदात देख पास ही सो रहा नौकर सहम गया था
दरवाजे पर सो रहे राघवेन्द्र से करीब सौ मीटर दूर उसका नौकर तुसार बहेरा सो रहा था। उसने पुलिस को बयान दिया कि आहट पर उसकी नींद खुल गई। उसने देखा कि सुघीर पर चारपाई में सो रहे राघवेन्द्र पर ताबड़तोड़ वार कर रहा था लेकिन दहशत में वह दुबक गया। आरोपी के मौके से फरार होने पर उसने परिजनों को सूचना दी। पुलिस को बयान दर्ज कराने के बाद तुसार बहेरा लापता हो गया। परिजनों ने इस बात की आशंका व्यक्त की कि तुसार को आरोपी सुधीर ने गायबṭ करा दिया।
आरोपी को टोका पर उसने नहीं दिया जवाब
वारदात के बाद खून से सने बांका व रक्तरंजित कपड़ों के साथ सुधीर हांफते हुए जा रहा था। तभी गांव के ज्ञानेन्द्र सिंह और विजय यादव अपने दरवाजे के सामने से सुधीर को जाते हुए सौर ऊर्जा की रोशनी में देखा था। दोनों उसकी दशा को देख कर टोका था लेकिन उसने जबाव नहीं दिया और तेज कदमों के साथ आगे बढ़ गया। केस की सुनवाई के दौरान दोनों गवाहों की गवाही में सजा में अहम रहीं। जिसके आधार पर फैसला सुनाया गया।