कौन है राजा कोलंदर? पढ़ें 14 कत्ल और इंसानी खोपड़ी को उबाल कर पी जाने का सच
2000 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या में उसका नाम आया था जिसमें उसे 2012 में उम्रकैद हुई थी। पता चला कि वह 14 कत्ल में शामिल है। इस सनकी सीरियल किलर ने अपने सहकर्मी की खोपड़ी को उबाल कर उसका रस भी पीया था। लोकंदर, एक के बाद एक कत्ल करता गया। वह लोगों के शवों को फार्म में गाड़ देता था।

राजा लोकंदर, आंदोलन, अदालत और जमानत। यदि कोई शख्स अपना और अपने बच्चों के लिए ऐसे नामों का चुनाव करे तो इसमें कोई खास बात नहीं। हर किसी को अपनी पसंद से अपना या अपनी संतानों का नाम रखने का अधिकार है। लेकिन इन सबमें पहले नाम राजा लोकंदर की जिंदगी की कहानी कुछ ऐसी है जिसे सुनकर कोई भी दंग रह जाएगा। यह कहानी अजीब, डरावनी और हैरान कर देने वाली है। बाकी तीन नाम यानी आंदोलन, अदालत और जमानत उसकी बेटी और दो बेटोंं के हैं जो राजा लोकंदर ने ही उन्हें दिए थे। प्रयागराज के शंकरगढ़ के हिनौती गांव का कोलंदर सीओडी छिवकी में चतुर्थ श्रेणी कर्मी था। उसकी हरकतों से उसे सस्पेंड कर दिया गया था। 2000 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या में उसका नाम आया था जिसमें उसे 2012 में उम्रकैद हुई थी। पता चला कि वह 14 कत्ल में शामिल है। यही नहीं इस सनकी ने अपने सहकर्मी की खोपड़ी को उबाल कर उसका रस भी पीया था। सीरियल किलर लोकंदर, एक के बाद एक कत्ल करता गया। वह लोगों के शवों को फार्म में गाड़ देता था।
राजा कोलंदर और उसके साले को शुक्रवार को आयुर्वेद घोटाला प्रकरण के विशेष न्यायाधीश रोहित सिंह ने उम्रकैद और ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। लखनऊ से किराए पर बुक कराकर ड्राइवर और गाड़ी मालिक के बेटे की हत्या कर टाटा सूमो लूटने के केस में नैनी निवासी और 14 हत्याओं के आरोपी राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और शंकरगढ़ थाने के वेरी बसहरा निवासी उसके साले बच्छराज कोल से वसूली जाने वाली मुआवजे की 40% धनराशि मृतकों के परिजनों को प्रतिकर के रूप में मिलेगी। बाकी, सरकार को व्यय चुकाने को दी जाएगी।
राजा कोलंदर के खिलाफ इस दोहरे हत्याकांड की रिपोर्ट शिवहर्ष सिंह ने 26 जनवरी 2000 को नाका में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 23 जनवरी को शिवहर्ष के बेटे मनोज और ड्राइवर रवि सूमो से लखनऊ से छह सवारियां लेकर रीवा गए थे लेकिन वह लौटकर नहीं आए तो अनहोनी की आशंका हुई। पता चला कि हत्या कर शव फेंक दिए गए हैं।
बेटी का नाम रखा आंदोलन, बेटों का अदालत और जमानत
सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर की दरिंदगी पर डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। इंडियन प्रीडेटर: दी डायरी ऑफ एक सीरियल किलर, नाम की यह डॉक्यूमेंट्री ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफिल्क्स पर सात सितंबर 2022 को रिलीज की गई थी। 125 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री तीन एपीसोड में है, जिसमें उस समय से पुलिस अफसर, पत्रकार और पीड़ित परिवार के सदस्यों के हवाले से उसकी दरिंदगी के किस्से दिखाए गए हैं। कोलंदर ने अपनी बेटी का नाम आंदोलन और बेटों का अदालत और जमानत रखा था। दूसरे एपीसोड में इनसे बातचीत भी है, जिसमें दोनों अपने पिता को एक अच्छा इंसान बताते हुए उन पर लगे आरोपों को गलत बता रहे हैं। तीसरा एपीसोड दी किंग के नाम से है, जिसमें जेल में बंद राजा कोलंदर से बातचीत दिखाई गई है। जेल अधीक्षक और जेल के कर्मियों से उसके व्यवहार पर बातचीत भी इस एपीसोड में है।
नाम लेने से आज भी डरते हैं लोग
सीडीओ में कर्मचारी रहा राजा कोलंदर मूलत: शंकरगढ़ के हिनौती गांव का रहने वाला है। उसका एक मकान नैनी के रामसागर तालाब गांव में भी है। जहां उसकी सास अपने नाती के साथ रहती है। शुक्रवार को कोर्ट से सजा मिलने के बाद पत्रकारों की टीम उसके इस मकान पर पहुंची।
मकान के सामने मौजूद कुछ लोगों से जब राजा कोलंदर के बारे में पूछा गया तो पहले तो लोगों ने कुछ बताना नहीं चाहा, कुछ देर बाद उन्हीं में से एक ने कहा कि इतने खतरनाक आदमी के बारे में बात करते हुए डर लगता है। यह कहते हुए वह वहां से चला गया। मकान में मौजूद उसकी बूढ़ी सास ननकई देवी काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद बाहर निकली। नाराजगी भरे शब्दों में उसने कहा कि 25-30 साल से तो राजा अपने कर्मों की सजा भोग रहा है। फिर से सजा हो गई। उसने बताया कि राजा कोलंदर के बेटे अदालत और जमानत अपनी पत्नी बच्चों के साथ कमाने खाने परदेश चले गए हैं। जब उसके पास पैसा इक्ट्ठा हो जाता है तो कोलंदर से मिलने जेल चली जाती थी।
पत्रकार धीरेंद्र सिंह के परिवारवाले बोले-फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं
शंकरगढ़ थाना क्षेत्र के बेरी बसहरा गांव के रहने वाले पत्रकार धीरेंद्र सिंह की दिसंबर 2000 में निर्मम हत्या कर उसके शव को जंगल और सिर को रीवा की एक नदी में फेंक दिया गया था। यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। धीरेंद्र सिंह के बड़े भाई वीरेंद्र सिंह, जो कि अधिवक्ता हैं, ने बताया कि धीरेंद्र सिंह की हत्या में पहले ही उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। फांसी की सजा देने के लिए याचिका दायर की गई है। पत्रकार धीरेंद्र सिंह के बड़े पुत्र संदीप सिंह ने नम आंखों से बताया कि पिता की हत्या के वक्त उनकी उम्र मात्र चार साल थी। छोटी बहन नेहा एवं छोटे भाई राहुल की उम्र और भी कम थी। पिता की हत्या के छह महीने बाद मां मीना सिंह की भी एक हादसे में मौत हो गई थी। दादा वीरेंद्र सिंह ने ही हम लोगों का पालन पोषण किया। दो वर्ष पूर्व छोटे भाई की भी मौत हो गई। बहन का विवाह भी दादा ने ही कराया। संदीप ने कहा कोलंदर ने तो मेरा पूरा परिवार ही उजाड़ दिया। ऐसे खुंखार हत्यारे के लिए फांसी से कम कोई सजा नहीं होनी चाहिए।
खंडहर बन गया है कोलंदर का पैतृक घर
शंकरगढ के हिनौती पांडे गांव स्थित राम निरंजन ऊर्फ राजा कोलंदर का घर खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस मकान में शुक्रवार को ताला लटक रहा था। पड़ोसियों ने बताया कि लगभग तीस वर्षों से उसके घर में ताला ही लगा हुआ है। कभी भी कोई यहां नहीं आता है।
सजा सुनकर हंसा था
पत्रकार धीरेंद्र की हत्या के आरोप में राजा कोलंदर को जब 2012 में सजा सुनाई गई थी तो वह हंस पड़ा। सजा सुनने के बाद मुस्कुराते हुए कहा था कि दस हजार रुपये होते ही क्या हैं, इसे जमा कर देंगे। मगर फिर तुरंत कहा कि उम्रकैद की सजा जेल में रहते हुए जान गया हूं, कैसी होती है। राजा कोलंदर जरा भी डरा नहीं। न सहमा। बल्कि बेबाकी से बोला था कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा।
शंकरगढ़ के आसपास लोगों में खुशी
राजा कोलंदर को मिली सजा से शंकरगढ़ इलाके में खुशी का माहौल है। इस सजा के बाद लोगों को 25 साल पुराना वह दृश्य याद आ गया, जब राजा कोलंदर के कुकृत्यों का खुलासा हुआ था। लोगों का कहना है कि खोपड़ी का सूप पीने वाले नरभक्षी राजा कोलंदर एवं उसके साले को फांसी की सजा सुनाई जानी चाहिए।
कोलंदर ने खुद की गवाहों से जिरह
राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन को पेशेवर अपराधी की श्रेणी में रखा जाना अनुचित न होगा क्योंकि जेल में रहते हुए अपराध की दुनिया में उसे अच्छी तरह से विधि का ज्ञान हो चुका था। जिसके कारण अधिकतर उसने जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अथवा अदालत आकर खुद गवाहों से जिरह किया।
सरकारी वकील द्वारा बताया गया कि अभियुक्त राजा कोलंदर द्वारा जिरह के दौरान ऐसे ऐसे प्रश्न गवाहों से पूछे गए जिन्हें केवल एक कुशल अधिवक्ता ही पूछ सकता है। एमके सिंह के मुताबिक पुलिस विवेचना के दौरान अभियुक्त राजा कोलंदर उर्फ और राम निरंजन, फूलन देवी एवं उसके नाबालिग बेटे बच्छराज कोल, दिलीप गुप्ता एवं दद्दन सिंह का नाम आया था। जिसमें से दिलीप गुप्ता की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। सबसे पहले राजा कोलंदर व बच्छराज को गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें इलाहाबाद के कीडगंज लाया गया तो उन्हें शिवहर्ष व उनके परिवार ने पहचाना। राजा कोलंदर के घर से पुलिस ने मृतक मनोज कुमार सिंह का कोट बरामद किया था। अदालत को बताया गया कि सबसे पहले फूलन देवी एवं उसके नाबालिग बेटे के खिलाफ मुकदमा चला। जहां पर बेटे का मामला जुवेनाइल कोर्ट भेज दिया गया तथा फूलन देवी को अदालत ने 8 जुलाई 2013 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में मुकदमे की विचरण के दौरान आरोपी दद्दन सिंह की मृत्यु हो गई।