साहित्यकारों ने हिंदी की दशा और दिशा पर किया गहन मंथन
फर्रुखाबाद में हिंदी साहित्य भारती द्वारा हिंदी पखवारे के तहत काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साहित्यकारों ने हिंदी की स्थिति और दिशा पर विचार किया। राममोहन शुक्ला, कौशलेंद्र यादव, महेश पाल...
फर्रुखाबाद, संवाददाता। साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य भारती की ओर से मंगलवार को हिंदी पखवारे के तहत काव्य गोष्ठी हुयी और हिंदी की दशा और दिशा पर मंथन भी किया गया। साहित्यकार भारती मिश्रा के निवास पर हुयी काव्य गोष्ठी का शुभारंभ राममोहन शुक्ला ने अपनी पंक्तियों से किया। उन्होंने अपनी पंक्तियां पढ़ीं इन तमाम खुलासों से क्या होगा, इन बेमतलब तमाशों से क्या होगा। कौशलेंद्र यादव ने सुनाया हमारी आन बान शान है हिंदी, हमारे राष्ट्र का परिधान है हिंदी, महेश पाल सिंह उपकारी ने पढ़ा जीवन का कोई क्षण मित्रों करो नहीं बर्बाद, 24 घंटे में उस प्रभु को कुछ पल को कर लो याद, उपकार मणि उपकार ने भी अपनी पंक्तियां सुनायी। भूपेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सभी भाषायें अपने अपने राष्ट्र की भाषायें हैं। हर भाषा का अपना भूगोल है। हिंदी का भूगोल बहुत बड़ा है। इस दौरान साहित्यकारों का सम्मान किया गया।
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