रिटायर्ड सैनिकों ने भरी हुंकार देश सेवा के लिए 24 घंटे तैयार
Etah News - सेना से सेवानिवृत्त सैनिक जब संकट की सूचना सुनते हैं तो उनका देश सेवा का जज्बा जाग उठता है। पूर्व सैनिकों का मानना है कि उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एक बार फिर से सेना में शामिल होने के...
सेना से सेवानिवृत्त होकर भले ही घर पर आ गए हो। जैसे ही यह भनक कानों में सुनाई देती है कि देश पर कोई संकट आने वाला है तो फिर से रिटायर्ड होने के बाद भी जवानी वाला खून रंगों में दौडने लगता है। देश सेवा का जज्बा आहें भरने लगता है। ऐसा लगता है कि आज फिर से अपनी बटालियन में पहुंचकर रिपोर्ट कर दी जाए। साहब में हाजिर हूं। कहा किस ड्यूटी पर पहुंचकर दुश्मनों पर प्रहार कर दूं। हिन्दुस्तान बोले एटा के तहत सेना से रिटायर्ड हो चुके सैनिकों से जब बात की तो उन्होंने दहाड़ते हुए कहा कि हमारे लिए पाकिस्तान कितनी देर के लिए है।
परेशन सिंदूर के बाद बनी युद्ध की स्थिति को भारत ने जीत लिया। पहले ही दिन भारत की ओर से कार्रवाई की गई थी तो पाकिस्तान की रूह कांप गई। दुश्मन देख के आतंकवादी भागने लगे। भारत की सेना ने ऑपरेशन से वो काम कर दिखाया जो दुनिया नहीं जानती थी। महज चार दिनों में ही पाकिस्तान को भारतीय सेना ने रूला दिया। अपनी ही जमीन पर बैठकर दागी गई मिसाइलों से दुश्मन के पैर उखाड़ दिए। वह जान ही नहीं पाए कि क्या हुआ और अब क्या किया जाए? अगर सरकार को जरूरत हो तो हम लोग आज भी सेना में काम करने के लिए तैयार है। अभी तक हमें सेना के तौर तरीके पता है। क्या नियम है कैसे युद्ध में लड़ना है वह सब आता है। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए हम लोगों को एक मौका दिया जाए। इससे दुश्मन देश को दिखा दें कि हम क्या कर सकते है। भारतीय सेना जो एक्शन किया इससे हम सभी गदगद है। इस बार सरकार ने भी सेना को जो छूट इससे भी सेना को काम करने का मौका मिला है। विभागीय बैठक में नहीं पहुंचते जिम्मेदार अफसर: पूर्व सैनिक अपने एक संगठन के तहत हर माह बैठक करते हैं। इसके अलावा विभाग की ओर से बैठक की जाती है। बैठकों में इन लोगों की तमाम समस्याए होती है। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई नहीं आता है। इससे यह लोग अपनी समस्याओं में उलझे रहते है। इससे पहले जब बैठकें होती थी तो पुलिस और प्रशासन के अधिकारी बैठकों में शामिल होते थे। रिटायर्ड सैनिकों की समस्याओं का समाधान किया जाता था। अब कोई सुनने वाला नहीं है। थाना, कचहरी और तहसीलों के चक्कर काटते रहे है। जिले में करीब 12 हजार रिटायर्ड सैनिक है। लंबे समय तक सेना में नौकरी करने के बाद जब यहां आते है तो समस्याओं का अंबार होता है। किसी की जमीन पर कब्जा कर लिया तो किसी नाली खरंजा का विवाद है। छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए यह लोग सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते है। बैठक के दौरान नरेंद्र सिंह, गंगासिंह आर्य, ऋषि कुमार ने बताया कि विभागीय बैठक में जिम्मेदार अधिकारियों को आना चाहिए। इससे रिटायर्ड सैनिकों की समस्याओं का मौके पर समाधान किया जा सके। लंबे समय तक सेना में नौकरी करने के बाद जब अपने घर आते है तो परेशान करने में नहीं चूकते। सरकारी कार्यालय में अकेले जाने पर कोई भी अधिकारी, कर्मचारी पूर्व सैनिकों से सीधे मुंह बात नहीं करता है। बैठने की कहना तो बहुत दूर की बात है। पूर्व सैनिक अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष देश की सेवा में लगाकर आये है। उनको प्राथिकता के आधार पर अधिकारियों को बुलाकर समस्यायें सुननी चाहिए। सैनिकों की समस्याओं के निस्तारण में अनदेखी की जाती है। -रविंद्र सिंह, पूर्व सैनिक जनपद में जितने भी पूर्व सैनिक एवं वीरांगनाएं है। उनको गौरव सेनानी वेलफेयर एसोसिएशन की सदस्यता ग्रहण करनी चाहिए। जनपद स्तर पर उनकी मदद के लिए यह संगठन बहुत मददगार साबित होगा। सामाजिक, सरकारी विभागों की समस्याओं को वह संगठन पदाधिकारियों के माध्यम से जल्द और बेहतर तरीके से निपटा सकते हैं। पाल सिंह, पूर्व सैनिक, कसैटी सेना से सेवानिवृत होने के बाद जब सैनिक घर पहुंचता है। तब उससे गांव, ब्लॉक और जनपद स्तर पर होने वाली दिक्कत, परेशानियों का अंदाजा नहीं होता है। उसका मानना होता है कि जिस तरह उसने निस्वार्थ सीमा पर ड्यूटी देकर देश सेवा की है। उसी तरह समाज में भी उसको सम्मान और प्राथमिकता मिलेगा। जबकि हकीकत इसके उलट है। -सत्येन्द्र सिंह, पूर्व सैनिक, एटा। सैनिकों को स्वयं की घरेलू परिस्थितियों में उसके ऊपर के उच्चाधिकारियों, संगठन पदाधिकारियों को सहयोग करना चाहिए। इससे वह आवश्यकता पर छुटटी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी अपनी समस्याओं को आसानी से सुलझा सके। सीमा पर डयूटी करने के दौरान वह अपने घर-परिवार से दूर रहकर उनकी समस्याओं को नहीं देख पाता है। -रामप्रकाश, पूर्व सैनिक घर-परिवार और समाज में अपनी जगह बनाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। इस दौरान उसको पुलिस, राजस्व विभाग में अपनी समस्याओं के लिए आना-जाना पड़ता है। यहां पर वह अधिकारी, कर्मचारियों के व्यवहार को देखकर विचलित होता है। जीवन में स्वयं अनुशासित रहकर देशवासियों की सेवा की। जब उसको देशवासियों की जरूरत होती है। -रामअवतार सिंह, पूर्व सैनिक पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि पूर्व सैनिकों की समस्याओं के निस्तारण में प्राथमिकता दे। उनको अनावश्यक चक्कर न कटवाये जाएं। मिलने जाने पर उसको आसानी से कार्यालय में अंदर बुलाया जाये और समस्याओं को सुना जाये। अधिकारी उनसे मिलने को प्राथमिकता नहीं देते हैं। कई-कई बार कार्यालयों में जाने को विवश होना पड़ता है। -सत्याराम, पूर्व सैनिक सेवानिवृत सैनिकों की सबसे बड़ी समस्या असामाजिक तत्वों के भूमि अतिक्रमण करने पर आती है। जिसके निदान के लिए वह पुलिस विभाग के अधिकारियों के पास चलाता है। जहां पर उसे इधर से उधर चक्कर कटवाये जाते है। देश की सेवा करने वाले पूर्व सैनिकों को कार्यालय, न्यायालय के चक्कर काटने से निजात दिलाने की जरूरत है। -देवेन्द्रपाल सिंह, पूर्व सैनिक, एटा। ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान और आतंकवादियों को सबक सिखाने वाले सेना के जवानों के मनोबल पर प्रहार न किया जाये। देशवासी उनका मनोबल बढ़ाने का कार्य करें। इससे वह देश की सेवा करने में पूर्ण मनोयोग से अपनी ड्यूटी कर सके। सीमा पर जब सैनिक ड्यूटी देता है तभी देशवासी चैन की नींद सो पाते हैं। -कैप्टन नरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष,गौरव सेनानी वेलफेयर एसो. ऑपरेशन सिंदूर में जिस तरह नभ, जल, थल सेना ने एकजुटता दिखाते हुए दुश्मन देश को कड़ी टक्कर दी। पाकिस्तान को विश्व समुदाय से बचाव के लिए गुहार लगाने पड़ी। जिसमें देश के नेतृत्व को अपनी शर्तों पर सीज फायर करना पड़ा। यदि सीज फायर नहीं होता तो पाकिस्तान का नाम विश्व के नक्शे पर दिखायी नहीं देता। -विजय सिंह, संस्थापक, गौरव सेनानी वेलफेयर एसो. पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश की सरकार ने आतंकवादी और उनके आकाओं को सबक सिखाने के लिए कड़े निर्णय लिए। देश में मजबूत नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति से ही ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाव देने का कार्य देश की तीनों सेनाओं ने किया। जिससे पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। -गंगा सिंह आर्य, जिला मंत्री, गौरव सेनानी वेलफेयर एसोसिएशन
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