बिना कपड़े सुलाया, 20 दिन तक दी गईं यातनाएं, अमेरिका से यूपी लौटे देवेंद्र ने सुनाई आपबीती
- अमेरिका से जबरिया भारत भेजे जा रहे युवकों की बातें सुनकर रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं। इन लोगों को पकड़ने के बाद कई यातनाएं दी गईं। इसके बाद हाथ पैर में जंजीर बांधकर अमेरिकी सेना के विमान से भारत भेजा गया।
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यूपी के मुजफ्फरनगर के पुरकाजी क्षेत्र के गांव मारकपुर निवासी 38 वर्षीय देवेन्द्र विदेश भेजने वाले गिल गैंग के झांसे में फंसकर अमेरिका पहुंचा था। अब वहां से जबरिया वापस लाए जाने के बाद गुरुवार को अपने गांव पहुंचे देवेंद्र ने बताया कि उसने अब तक 40 लाख रुपये गंवा दिए हैं। उसने 20 दिन अमेरिका के कैलिफोर्नियां में बॉर्डर फोर्स और अमेरिकी सेना की यातनाएं भी सहीं। आपबीती सुनाते हुए देवेंद्र ने बताया कि हाथों में हथकड़ी लगाकर उसे लॉकअप में डाल दिया गया था।
देवेंद्र ने विदेश भेजने के नाम पर जालसाजों के चंगुल में फंसने का किस्सा भी सुनाया। देवेंद्र ने बताया कि वह 29 नवंबर को मैक्सिको में रहने वाले पंजाब के गिल गैंग के माध्यम से कैलिफोर्निया में नौकरी करने और मोटी रकम कमाने की चाहत में थाईलैंड पहुंचा था। थाईलैंड में उसकी मुलाकात हरियाणा, गुजरात और पंजाब के कई युवकों से हुई। इस बीच देवेंद्र अन्य युवाओं के साथ हवाई जहाज से थाईलैंड से चीन पहुंचा। फिर 15 जनवरी को हवाई जहाज से वह मैक्सिको सिटी बॉर्डर पर पहुंचा।
दीवार फांदकर अमेरिका में किया प्रवेश
देवेंद्र ने बताया कि मैक्सिको सिटी के पास तिजवाना बॉर्डर अमेरिका से लगा हुआ है। वहां पर दीवार फांदकर उन्हें अमेरिका में भेजा गया, जहां बॉर्डर की सुरक्षा में लगी पेट्रोलिंग टीम ने उन्हें कस्टडी में ले लिया। मोबाइल फोन कब्जे में लेकर गर्म कपड़े उतरवा दिए। यहां तक जूते की फीते तक निकलवाकर सिर्फ ट्रैक सूट में रहने को कहा। बाद में उन्हें आर्मी के हवाले कर दिया गया।
आर्मी ने वहां पर एक बड़े से हॉल में कई दिनों तक रखा। हॉल में ही सात अलग-अलग बैरक बने थे। उनमें अवैध तरीके से अमेरिका में घुसपैठ करने वाले कई अन्य लोग भी थे। देवेन्द्र का कहना है कि बैरक में दिन के समय एसी चला दिया जाता था, जिससे हर कोई ठिठुरता रहता था और रात में गर्म हीटर जला दिया जाता था। ऐसे हालात में वहां कोई न तो दिन में सो पाता था और न ही रात में।
बैरक से निकालकर आर्मी के वायुयान से भारत भेजा
देवेंद्र ने बताया कि करीब 20 दिन तक यातनाएं दी गईं। बाद में बस में बिठाकर तीन फरवरी को आर्मी के वायुयान से हिन्दुस्तान के लिए रवाना किया गया। अमेरिकी सेना ने उन्हें अमृतसर पंजाब में छोड़ दिया। करीब 18 घंटे की हवाई सफर में अमेरिकी वायुयान ने आस्ट्रिया या फिर आस्ट्रेलिया में ईंधन लेकर दोबारा उड़ान भरी।
वीजा के लिए गिल गैंग को दिए 40 लाख, जमीन गिरवी रखी
विदेश में धन कमाकर परिवार की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए देवेंद्र ने विदेश जाने का मन बनाया था। इसके लिए पांच बीघा जमीन गिरवी रखी। रिश्तेदारों और साहूकारों से लाखों उधार लेकर वीजा के लिए गिल को दिया था। देवेंद्र ने बताया कि गिल गैंग का पंजाब में बहुत बड़ा नेटवर्क है। गिल खुद मैक्सिको में रहता है। देवेन्द्र को इस बात का अफसोस है कि न तो उसे नौकरी मिली और न ही गिरवी जमीन छुड़ाने की अब उनमें हिम्मत है। देवेन्द्र का एक छोटा भाई जगराज सिंह और पत्नी हरसिमरत कौर सहित दो बच्चे भी हैं। पूरा परिवार खेती करता है।
मानसिक तनाव में है अमेरिका से लौटाया गया रक्षित
शाहपुर (मुजफ्फरनगर)। अमेरिका से वापस लौटाया गया रक्षित बालियान मानसिक तनाव से गुजर रहा है। परिजनों ने उसे फिलहाल गांव से दूर मेरठ स्थित मकान पर भेज दिया है। बुधवार की रात रक्षित अपने गांव रसूलपुर जाटन पंहुचा और परिजनों को पूरे मामले की जानकारी दी। रसूलपुर जाटन निवासी सुधीर बालियान रिटायर्ड फौजी हैं, जो मेरठ में अपने पुत्र रक्षित बालियान व पुत्री एवं पत्नी के साथ रहते हैं। करीब 20 बीघा खेतीबाड़ी होने की वजह से उनका गांव में आना जाना लगा रहता है। रक्षित बालियान ने मेरठ में रह कर इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। रक्षित विदेश जाना चाहता था। लगभग सात माह पूर्व फोन के माध्यम से किसी विदेश भेजने वाली कंपनी ने अमेरिका में 12वीं पास युवकों के लिए नौकरी लगवाने की बात कहकर उसका पासपोर्ट आदि कागजी कार्यवाही पूरी कराने का काम किया। उसके बाद परिजनों ने उसे अमेरिका भेज दिया।
सात महीने अमेरिका में रहा, नौकरी नहीं लगी
रक्षित अमेरिका तो चला गया लेकिन इन सात महीनों में उसकी कहीं पर कोई नौकरी नहीं लगी। इस दौरान वह कहां रहा, क्या किया, इसके बारे में परिजनों ने कुछ भी नहीं बताया। सुधीर बालियान का कहना है कि उनका बेटा मानसिक तनाव से गुजर रहा है इसलिए वह किसी से बात नहीं कर रहा। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2017 में आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद मेरठ में रहना शुरू कर दिया था। उन्होंने विदेश भेजने को लेकर एजेंट को कितनी धनराशि दी, बताने से इंकार कर दिया। यहां तक कि किस एजेंट या फिर कंपनी के माध्यम से अमेरिका नौकरी करने पहुंचा, यह भी रक्षित के पिता सुधीर बालियान ने बताने में असमर्थता जताई।