बिना हेलमेट वाले सरकारी कर्मचारियों और स्कूली छात्रों पर कसेगी नकेल, यह हो रही तैयारी
यूपी में बिना हेलमेट दफ्तर आने वाले सरकारी कर्मचारियों और स्कूली छात्रों पर नकेल की तैयारी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर गठित कमेटी के अध्यक्ष ने परिवहन विभाग के अफसरों के साथ बुधवार को बैठक में कई मुद्दों पर नाराजगी जताई तो कई प्रयासों पर सराहना भी की।
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यूपी में बिना हेलमेट दफ्तर आने वाले सरकारी कर्मचारियों और स्कूली छात्रों पर नकेल की तैयारी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर गठित कमेटी के अध्यक्ष ने परिवहन विभाग के अफसरों के साथ बुधवार को बैठक में कई मुद्दों पर नाराजगी जताई तो कई प्रयासों पर सराहना भी की। कमेटी ने कहा कि बिना हेलमेट दफ्तर आने वाले कर्मचारियों व स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों की अनुपस्थिति दर्ज की जाए। जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ अन्य कार्रवाई भी की जाए। इसे सख्ती से लागू किया जाए। साथ ही उन्होंने इलेक्ट्रानिक इंफोर्समेंट डिवाइसेस न लगाए जाने पर नाराजगी जताई। इसे और ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर उसे सुधारने के साथ ही कैमरा व अन्य संसाधनों को जरूरी से लगाने को कहा।
योजना भवन में बुधवार को कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने कई बिन्दुओं पर सुझाव भी दिए। उन्होंने प्रयागराज में महाकुम्भ के दौरान सड़क हादसों को रोकने के लिए परिवहन विभाग के प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही यूपी में बढ़ते सड़क हादसों पर उन्होंने चिंता जताई। एक जनवरी को राज्य सड़क सुरक्षा परिषद में मुख्यमंत्री द्वारा सड़क हादसों में मृतकों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी लाने के बिन्दु पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को ऐसा सामंजस्य करना चाहिए जिससे सड़क हादसों में एक भी व्यक्ति की मृत्यु न हो।
अध्यक्ष ने ‘नो हेलमेट नो फ्यूल’ अभियान की सराहना करते हुए कहा कि सभी सरकारी विभागों, अर्द्ध सरकारी विभागों, बैंक, स्कूल-कालेजों के साथ ही निजी संस्थानों में भी बिना हेलमेट वाहन से आने वाले कर्मचारियों व विद्यार्थियों को अनुपस्थित माना जाए। इसे अभियान के तौर पर चलाया जाए और जरूरत के हिसाब से सख्त कार्रवाई की जाए।
31 प्रतिशत मौतें दो पहिया वाहनों से हादसे में हुई
बैठक में कहा गया कि सड़क हादसों में बीते एक साल में 31 प्रतिशत मौतें दो पहिया वाहनों से हुई हैं। यह भी निर्देश दिया गया कि दो पहिया वाहनों पर पीछे बैठने वालों को भी हेलमेट लगाने के लिए जागरुक किया जाए। पीछे बैठे बच्चे की उम्र अगर चार साल से अधिक है तो उसे भी हेलमेट लगाना जरूरी है। ऐसा न होने पर वाहन चालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही गाड़ी चलाते समय मोबाइल, ईयरफोन का इस्तेमाल, विपरीत दिशा में वाहन चलाना और शराब पीकर गाड़ी चलाने पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए। इसमें सुधार लाया जाना बेहद जरूरी है। यमुना एक्सप्रेस-वे के सम्बन्ध में अफसरों ने कमेटी को बताया कि सड़क दुर्घटना रोकने के लिए हो रहे प्रयासों से मृतकों की संख्या में 40 प्रतिशत की कमी रिकार्ड की गई है।
पुलिस से तालमेल जरूरी
कमेटी की बैठक में कहा गया कि पुलिस मुख्यालय और जिला स्तर पर तैनात पुलिस अधिकारियों को भी विश्वकर्मा ऐप से जोड़ा जाए। इससे ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने में लगने वाले समय को कम किया जा सकेगा। ब्लैक स्पॉट चिन्हित होने पर उसे सही कराने के लिए सम्बन्धित विभागों से सम्पर्क बनाए रखा जाए।
कक्षा छह से 12 के पाठयक्रम में सड़क सुरक्षा विषय हो
परिवहन आयुक्त बीएन सिंह ने सुझाव दिया कि सड़क हादसों में 18 से 25 वर्ष के युवाओं की मौत ज्यादा हो रही है। ऐसे में कक्षा छह से 12 तक के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा व ट्रैफिक नियमों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। साथ ही प्रश्नपत्र में सड़क सुरक्षा से जुड़े सवाल जरूर पूछे जाए। साथ ही लाइसेंस के आवेदन की प्रक्रिया में सभी आवेदनों को हिन्दी में भरने का सुझाव भी दिया गया।
इसी तरह अपर मुख्य सचिव परिवहन वेंकेटेश्वर लू ने सुझाव दिया कि परिवहन विभाग की ऑनलाइन योजनाओं के पोर्टल को जन सुविधा केन्द्रों के जरिए भी उपयोग में लाया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव के अलावा प्रमुख सचिव चिकित्सा पार्थ सारथी सेन शर्मा, एडीजी के. सत्यनारायण, परिवहन आयुक्त बीएन सिंह, विशेष सचिव परिवहन केपी सिंह और अपर परिवहन आयुक्त सड़क सुरक्षा पीएस सत्यार्थी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।