Struggle of Khair Inter College A Legacy at Risk Amidst Teacher Shortage बोले बस्ती : जिस स्कूल के छात्र विदेश में चमक रहे वहां शिक्षक भी नहीं, Basti Hindi News - Hindustan
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बोले बस्ती : जिस स्कूल के छात्र विदेश में चमक रहे वहां शिक्षक भी नहीं

Basti News - खैर इंटर कॉलेज, जो बस्ती के प्रमुख कॉलेजों में से एक है, आज शिक्षकों की कमी और छात्रों की घटती संख्या के कारण संकट में है। कॉलेज की सुनहरी यादें अब धुंधली हो गई हैं। प्रशासनिक सेवाओं में भी खैर कॉलेज...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीMon, 19 May 2025 02:06 AM
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बोले बस्ती : जिस स्कूल के छात्र विदेश में चमक रहे वहां शिक्षक भी नहीं

Basti News : प्रदेश के नामी कॉलेज में शुमार होने वाला खैर इंटर कॉलेज आज अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है। कॉलेज की सुनहरी यादें लोगों के दिलोदिमाग पर आज भी ताजा हैं। एक समय था, जब खैर में प्रवेश के लिए कतार लगती थी। खैर कॉलेज से पॉसआउट होना गर्व की बात समझी जाती थी। खैर कॉलेज के पढ़े छात्र देश-विदेश में भी कॉलेज का नाम रोशन कर रहे हैं। यहां से पढ़ाई कर इंजीनियर व डॉक्टर बने लोगों की संख्या अनगिनत है। प्रशासनिक सेवाओं में भी खैर कॉलेज का प्रतिनिधित्व होता है। आज सब कुछ खो-सा गया है।

वहां की दम तोड़ रही शिक्षा व्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सारे जतन अभी तक बेकार साबित हुए हैं। आज हालत यह है कि कॉलेज में न तो शिक्षक रह गए हैं और न ही छात्रों का वह हुजूम दिखाई देता है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में शिक्षकों और विद्यार्थियों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। मूलत: आजमगढ़ जिले के रहने वाले स्व. अबुल खैर ने खैर इंटर कॉलेज का निर्माण अपनी निजी कमाई से की थी। खैर साहब के पिता नौकरी के सिलसिले में बस्ती आए और फिर यह परिवार इसी जिले का होकर रह गया। खैर साहब ने अपना व्यवसाय शुरू किया। एक व्यवसायी होने के साथ-साथ उनके दिल में हमेशा समाज का दर्द था। वह अपनी कौम की शिक्षा को लेकर हमेशा फिक्रमंद रहते थे। उस समय अविभाज्य बस्ती जनपद में गिने-चुने कॉलेज ही थे। युवाओं की काफी संख्या विशेषकर विज्ञान वर्ग की पढ़ाई से वंचित रह जाती थी। इसे देखते हुए उन्होंने खैर इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज की स्थापना की। बात में सरकार ने इसे एक अल्पसंख्यक संस्था घोषित करते हुए इसे एक सेमीगर्वमेंट संस्थान के तौर पर मान्यता दे दी। कॉलेज स्टॉफ को सरकारी खजाने से वेतन व पेंशन मिलने लगा। कॉलेज दिन-दूना रात-चौगुना तरक्की करने लगा। लगभग पांच दशक कामयाबी की बुलंदियों को छूने वाले इस संस्थान के दुर्दिन तब शुरू हो गए जब कॉलेज का पुराना स्टॉफ एक-एक कर सेवानिवृत्त होने लगा। इस संस्थान से मोहब्बत करने वालों के लिए यहां की मौजूदा दुर्दशा देखकर आसूं बहाने के सिवाय कुछ नहीं बचा है। शिक्षक भर्ती पर रोक से गहराया संकट : प्रदेश सरकार की ओर से कॉलेज में शिक्षक भर्ती पर रोक लगाए जाने के बाद अचानक संकट गहरा गया है। अल्पसंख्यक संस्थानों में शिक्षक भर्ती का अधिकार प्रबंध तंत्र को दिया गया था। इसीलिए इन संस्थानों में भर्ती समय से व आसानी के साथ हो जाया करती थी। सरकार ने प्रबंध तंत्र के भर्ती करने के अधिकार पर रोक लगा दी। यह कानून आने के बाद से खैर कॉलेज में एक भी शिक्षक की भर्ती नहीं हो सकी है, जबकि पुराने शिक्षकों के रिटायर होने का सिलसिला जारी है। शिक्षकों के अभाव का सीधा असर अब छात्र संख्या पर दिखने लगा है। एक समय में सीट भर जाने पर छात्रों को लौटा दिया जाता था, आज प्रवेश के लिए एक-एक शिक्षक जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं। प्रधानाचार्य फैज आलम अंसारी के अनुसार कॉलेज में लगभग 400 छात्र हैं, लेकिन उनमें से भी नियमित रूप से आने वालों की संख्या बेहद कम है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1987 में कॉलेज में कुल 49 शिक्षक थे, जो संख्या घटकर आज केवल आठ शिक्षक बचे हैं। इतने कम स्टॉफ से कॉलेज का संचालय संभव नहीं है। प्रबंधन व कॉलेज स्टॉफ की ओर से पढ़ाई का माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अब तक उसके परिणाम संतोषजनक नजर नहीं आ रहे हैं। लाइब्रेरी की कीमती किताबें हो चुकी हैं खराब खैर इंटर कॉलेज में लाइब्रेरी का अलग हाल बना है। इसमें इतिहास, धार्मिक शिक्षा, लिटरेचर की नायाब किताबें मौजूद थीं। किताबों के रख-रखाव के लिए लाइब्रेरियन की तैनाती थी। लाइब्रेरी हाल में स्टडी की सुविधा मौजूद है। प्रबंधन की लड़ाई व प्रधानाचार्य की कुर्सी पर कब्जे को लेकर शुरू हुई लड़ाई का खामियाजा अन्य विभागों की तरह लाइब्रेरी को भी उठाना पड़ा। अधिकांश किताबों को दीमक खा गईं। इसमें वह कीमती किताबें भी नष्ट हो गईं, जो आज मिलना संभव नहीं होगा। आज लाइब्रेरी खुलती तो है, लेकिन उसमें पढ़ने वाले नजर नहीं आते हैं। कंडा और दूध बेचकर खड़ा किया शिक्षा का साम्राज्य बस्ती। एक सामान्य परिवार में पैदा हुए खैर इंटर कॉलेज के संस्थापक स्व. अबुल खैर ने तिनका-तिनका जोड़कर इंटर कॉलेज व अन्य संस्था का निर्माण कराया। उनके इस काम में उनकी सबसे बड़ी मददगार बनी उनकी धर्मपत्नी अलहाज स्व. खादिमा बेगम। घर में पर्दे में रहकर दूध का कारोबार शुरू किया। दूध बेचने के साथ ही जानवरों से होने वाले गोबर का कंडा तैयार कराकर उसे भी बेंचकर पैसा कमाया। सारी कमाई जन-कल्याण के कामों में लगा दीं। करोड़ों की सम्पत्ति का मालिक होने के बाद भी खैर दंपति ने बेहद सादगी के साथ जीवन गुजारा। दंपति ने खैर इंडस्ट्रियल कॉलेज, बेगम खैर गर्ल्स इंटर कॉलेज और खैर मकतब बस्ती आदि संस्थाएं यहां की अवाम को दिया है। शिक्षा के साथ समझा कौशल विकास का महत्व : स्व. खैर साहब ने शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास को महत्व दिया। सात दशक पहले 1946 में खैर इंटर कॉलेज की स्थापना की। जूनियर से शुरू हुए इस कॉलेज को खैर साहब ने टेक्निकल कॉलेज में तब्दील किया और विद्यालय का नाम खैर इंडस्ट्रियल कॉलेज रखा। जिसे बाद में लोग खैर इंटर कॉलेज के नाम से जानने लगे। इंडस्ट्रियल कॉलेज में इंटर तक की पढ़ाई के साथ-साथ आधा दर्जन व्यावसायिक ट्रेड की भी पढ़ाई होती थी। व्यावसायिक शिक्षा के दायरे में चलने वाले इन ट्रेडों को तत्कालीन दौर में आईटीआई के समान माना जाता था। सही मायने में कौशल विकास के विजन को अबुल खैर ने सात दशक पहले ही देखकर जमीन पर लाने का काम किया। मुख्य विषयों के शिक्षक हो चुके हैं रिटायर बस्ती। कॉलेज में मुख्य विषयों के शिक्षक रिटायर हो चुके हैं। इसमें विज्ञान, कामर्स, हिन्दी, भूगोल और राजनीतिशास्त्र के विषय शामिल हैं। खैर कॉलेज के विज्ञान वर्ग विशेषकर भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान की प्रयोगशालाओं का शुमार प्रदेश के गिने-चुने कॉलेजों में होता था। शिक्षकों के अभाव में आज इन पर ताले लटक चुके हैं। प्रयोगशाला के उपकरण धूल फांक रहे हैं। प्रयोगशाला विंग में सफाई तक की व्यवस्था नहीं है। प्रधानाचार्य के अनुसार भौतिकी में एक शिक्षक हैं, जिनके जिम्मे परीक्षा विभाग सहित अन्य जिम्मेदारियां भी हैं। रसायन व बॉयलोजी में कोई शिक्षक बचा ही नहीं है। हिन्दी विषय के जहां चार शिक्षक हुआ करते थे आज एक शिक्षक नहीं हैं। अंग्रेजी में चार की जगह एक शिक्षक बचे हैं, वह भी रिटायर होने वाले हैं। एक एलटी ग्रेड के शिक्षक बचे हैं। खैर कॉलेज में उस समय कॉमर्स विषय था, जब अधिकांश कॉलेज में यह विषय नहीं था। चार शिक्षक कॉमर्स के थे। कॉमर्स में प्रवेश के लिए यहां अन्य जिलों से भी छात्र आते थे। आज हालत यह है कि कॉमर्स का कोई शिक्षक बचा ही नहीं है। इस विषय में प्रवेश ही नहीं हो पा रहा है। खेल में था कभी खैर कॉलेज का नाम खेल व एनसीसी में कभी खैर कॉलेज का नाम था। नेपाल बॉर्डर होने के कारण शुरुआती दौर में ही जिले में एनसीसी की स्थापना केंद्र सरकार ने की थी। उसी शुरूआती दौर में ही कॉलेज ने एनसीसी को अपनाया और हजारों कैडेट्स यहां से पैदा हुए। एनसीसी ऑफिसर न होने के कारण अब कॉलेज में एनसीसी का प्रशिक्षण ठप हो गया है। यही हाल खेल का है। कॉलेज के पिछले हिस्से में खेल का विशाल मैदान है। इस मैदान पर अब खिलाड़ी नजर नहीं आते हैं। एक समय था, जब खैर कॉलेज की हॉकी व क्रिकेट टीम का शुमार अच्छी टीमों में किया जाता था। यहां से निकले खिलाड़ियों ने प्रदेश व देश के स्तर पर अपनी छाप छोड़ी। आज यहां खिलाड़ी नदारद हैं। शिकायतें -नियुक्ति नहीं होने से शिक्षकों की कमी हो गई है, जिससे पठन-पाठन का कार्य प्रभावित हो रहा है। -प्राइमरी सेक्शन में प्रवेश की सबसे बड़ी समस्या है। छात्र नहीं मिलते हैं। -कॉलेज के छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को काफी समस्या होती है। -कॉलेज में खेल की गतिविधियां ठप हैं। सरकार की ओर से व्यवस्था होने के बाद भी छात्रों को खेलकूद का अवसर नहीं मिलता है। -कॉलेज में छात्रों के लिए शौचालय की ठीक व्यवस्था नहीं है। परिसर में कई स्थान पर इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। सुझाव -प्रबंधन की ओर से शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। निर्णय आने के बाद समस्या का समाधान हो जाएगा। -ओल्ड ब्वॉयज एसो. की ओर कक्षा छह से आठ तक अंग्रेजी माध्यक्ष शिक्षा की व्यवस्था की गई है। अंग्रेजी माध्यम से निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। -कॉलेज से सटा पुराना छात्रावास है। जर्जर होने के कारण रहने योग्य नहीं है, मरम्मत कराकर इसे रहने योग्य बनाया जा सकता है। -गेम टीचर की तैनाती है। गेम के मद में बजट मौजूद है। खेल का सामान मुहैया कराकर आउडोर व इनडोर गेम की शुरुआत कराई जा सकती है। -कॉलेज परिसर में पर्याप्त जगह मौजूद है। महिला-पुरुष के लिए अत्याधुनिक शौचालय का निर्माण कराकर सुविधा मुहैया कराई जा सकती है। हमारी भी सुनें विद्यालय में काफी समय से शिक्षकों की कमी है। सभी विषय के शिक्षक नहीं होने से यहां पर अभिभावक अपने बच्चों का एडमीशन नहीं करवाना चाहते हैं। मोहम्मद शोएब अभिभावकों और छात्रों को कन्वेंसिंग करने में काफी परेशानी आती है। सभी लोग साथ मिलकर निकले और कन्वेंसिंग करें तो लोगों में ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। समीउल्ला अंसारी कॉलेज परिसर में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। यहां पर एक वाटर कूलर की व्यवस्था किया जाना अति आवश्यक है। सामाजिक संगठन और प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। हफीजुल्लह दूरदराज के बच्चों के विद्यालय तक आने और उन्हें उनके घर तक पहुंचाने के लिए विद्यालय की तरफ से कोई साधन नहीं है। एक स्कूली बस होना चाहिए। शायरुन्निशा विद्यालय परिसर में बेहतर तरीके से साफ-सफाई नहीं हो पाती है। परिसर में झाड़-झंखाड़ उग आए हैं। परिसर की साफ-सफाई कराया जाना बेहद जरूरी है। फैय्याज अहमद कक्ष में लगी सीटें काफी पुरानी हैं, ज्यादातर सीट टूट गईं हैं। टूटी हुई सीटों की मरम्मत नहीं होने से बच्चों को सीट पर बैठकर पढ़ने में काफी परेशानी होती है। मोहम्मद उस्मान आलम विद्यालय ठीक ढंग से चले इसके लिए समिति के लोगों को भी प्रयास करना चाहिए। शिक्षकों संग प्रबंध समिति के सदस्यों को भी प्रवेश के लिए प्रचार-प्रसार में सहयोग करना चाहिए। जावेद इकबाल मैं कक्षा 12 का छात्र हूं, यहां खैर इंटर कॉलेज में पढ़ता हूं। छात्रावास में रहता हूं लेकिन छात्रावास की छत और दीवारें जर्जर हो गई हैं। इसका मरम्मत कराना जरूरी है। राय अंकुरम बरसात में हम लोगों को छात्रावास में रहने में काफी मुश्किल हो जाता है। बारिश होने पर छत से पानी टपकता है। पढ़ाई-सोने और रहने में काफी परेशानी होती है। अंकित छात्रावास में साफ-सफाई नहीं होने के कारण दिन में भी बहुत मच्छर काटते हैं। हम लोग दिन में भी मच्छरदानी लगाकर ही बैठे रहते हैं, जिससे पढ़ाई नहीं हो पाती है। जीतेन्द्र ओल्ड ब्वॉयज को एक प्लेटफॉर्म पर जमाकर पुरातन छात्र सम्मेलन कराया, जो प्रदेश के लिए नजीर है। जूनियर अंग्रेजी माध्यम का खर्च ओल्ड ब्वॉयज ने उठा रखा है। दुर्गादत्त पांडेय खैर कॉलेज से जिले की पहचान हुआ करती थी। कुछ कारणों से कॉलेज की शिक्षण व्यवस्था बेपटरी हुई है। सरकार को यहां की समस्या के समाधान पर विचार होना चाहिए। मो. अकरम बोले जिम्मेदार खैर इंटर कॉलेज एक अल्पसंख्यक संस्था है। शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए दिसंबर 2017 में प्रबंध तंत्र की ओर से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी। प्रधानाचार्य से लेकर शिक्षकों तक की नियुक्ति की गई। वेतन भुगतान नहीं होने पर शिक्षकों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है, जो निर्णायक स्थिति में है। स्टॉफ की कमी को पूरा करना विद्यालय की सबसे बड़ी जरूरत है। पूर्वछात्र दुर्गादत्त पांडेय की अगुवाई में ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन की स्थापना की गई है। ओबीए के सहयोग से इंगलिश मीडियम में कक्षा छह से आठ तक निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। विद्यालय के भव्य गेट का निर्माण प्रस्तावित है। छात्र संख्या बढ़ाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। एनसीसी को पुन: स्थापित कराया जाएगा, एक बार फिर कॉलेज अपने पुराने स्वरूप में दिखेगा। - हमीदुल्लाह खां, उर्फ बब्बू खां, प्रबंधक, खैर इंटर कॉलेज।

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