बोले बस्ती : डिजिटल लाइब्रेरी के साथ बेहतर संसाधनों की दरकार
Basti News - बस्ती के महिला पीजी कॉलेज की छात्राओं ने आधुनिक सुविधाओं की मांग की है, जिसमें डिजिटल लाइब्रेरी और बहुउद्देशीय हॉल शामिल हैं। छात्राओं का कहना है कि उन्हें रोजाना कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है,...
Basti News : बस्ती के महिला पीजी कॉलेज में पढ़ाई कर रहीं छात्राओं को आधुनिक सुविधाओं की दरकार है, जिससे वह प्रतिस्पर्धा के इस युग में अपनी अलग पहचान बना सकें। कॉलेज में स्थापित लाइब्रेरी को डिजिटल करने के साथ ही यहां किताबों के लिए बजट की जरूरत है। कॉलेज में सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियों के लिए सेमिनार हॉल की भी आवश्यकता है। माध्यमिक स्कूलों में अलंकार योजना की तरह ही महाविद्यालय के कायाकल्प के लिए भी सरकार से बेहतर अनुदान की अपेक्षा है। इसके अलावा छात्राओं को हर दिन अलग-अलग तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कोई बिजली, पानी के संकट से परेशान है किसी को रोज आवागमन में भारी कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है।
‘हिन्दुस्तान से बातचीत में छात्राओं ने समस्याएं साझा करते हुए समाधान की अपेक्षा की। महिला पीजी कॉलेज बस्ती मंडल का पहला महिला कॉलेज है। 1967 में जब यह कॉलेज खुला, उस वक्त संतकबीरनगर और सिद्धार्थनगर जनपद बस्ती जिले के ही अंग हुआ करते थे। बाद में बस्ती मंडल होने के साथ ही यह दोनों जिले अलग हुए। करीब 58 साल पुराना यह महाविद्यालय आज भी अपने बेहतर शिक्षण कार्य के लिए जाना जाता है। महाविद्यालय में करीब 400 छात्राएं वर्तमान में अध्ययनरत हैं। विभिन्न विषयों के यहां 16 अध्यापक कार्यरत हैं। छात्रा साधना, सौम्या, रागिनी व शोभा कहती हैं कि स्कूल में शिक्षण कार्य काफी बेहतर होता है, लेकिन संसाधनों को और बेहतर बनाया जाना बहुत जरूरी है। कॉलेज में सांस्कृतिक गतिविधियों समेत अन्य आयोजनों के लिए एक बहुउद्देशीय हॉल होना चाहिए। छात्रा प्रियंका व बबिता कहती हैं कि कॉलेज में लाइब्रेरी है। यहां पर वाई-फाई की सुविधा भी मिलती है। लेकिन लाइब्रेरी को बेहतर बनाया जाना चाहिए। इसे डिजिटल लाइब्रेरी के रूप में विकसित करना चाहिए, जिससे पढ़ाई के साथ खाली समय में लाइब्रेरी का बेहतर उपयोग किया जा सके। लाइब्रेरी में पुस्तकों का भंडार भी बढ़ना चाहिए। कॉलेज में लाइब्रेरी इंचार्ज के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद रिक्त पड़ा है। लिहाजा प्रयोगशाला सहायिका स्तर से ही लाइब्रेरी का भी संचालन किया जा रहा है। छात्रा प्रीति, पूजा गुप्ता, शालिनी, मानसी कहती हैं कि शिक्षण के साथ ही अन्य सुविधाएं और उनकी रोजमर्रा की परेशानियों से भी छुटकारा मिलना चाहिए। स्मार्ट मीटर लगाने के साथ ही बिजली विभाग को नियमित विद्युत आपूर्ति पर भी ध्यान देना चाहिए, लेकिन पढ़ाई में विद्युत आपूर्ति भी बड़ी बाधा डालती है। खासतौर से गर्मी का मौसम आते ही बार-बार बिजली कटनी शुरू हो जाती है। छात्रा दीक्षा, वंदना, मोहिनी व कामना कहती हैं कि रोजाना लम्बी दूरी का समय तय करके हम लोग कॉलेज पहुंचते हैं। ऑटो से लेकर बस तक का सफर रोज करना पड़ता है। यातायात व्यवस्था को अगर सुगम बनाया जाए तो हम लोगों के समय की काफी बचत होगी। रास्ते में बेतरतीब खड़े वाहनों के चलते आए दिन जाम की समस्या पैदा हो जाती है। छात्रा रेखा, रुपाली, महक और पूजा कहती हैं कि हम लोग रोज पैदल चलकर कॉलेज आते हैं। रास्ते में छुट्टा पशु खासतौर से बंदर व साड़ से काफी डर लगता है। गलियों में तो अगर छुट्टा पशुओं का झुंड मिल गया तो उनके जाने का लंबा इंतजार करना पड़ता है। बारिश के दिनों में कॉलेज आना मुश्किल हो जाता है। कारण मोहल्लों की सड़कों पर जलभराव व कीचड़ पसरने के कारण पैदल घर से निकलना मुश्किल होता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए जिम्मेदारों को कदम उठाना चाहिए। छात्रा रोली, संगीता, काजल व संगीता कहती हैं कि कॉलेज में तीन लेक्चर अटैंड करने होते हैं। इनके बीच गैप भी मिलता है। ऐसे में अगर लाइब्रेरी को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया जाए या कॉमन रूम का उचित प्रबंध हो जाए तो खाली वक्त का और बेहतर सदुपयोग हम लोग कर सकेंगें। कॉलेज में अर्थशास्त्र विषय में शिक्षक की तैनाती होने का इंतजार महिला पीजी कॉलेज बस्ती में सभी विषयों में आयोग से अध्यापकों की नियुक्ति की गई है। अभी तक सिर्फ अर्थशास्त्र विषय का कोई अध्यापक नहीं है। हालांकि आयोग स्तर से एक से दो माह के भीतर तैनाती होने की उम्मीद है। प्रवक्ता रघुवर पांडेय ने बताया कि महिला पीजी कॉलेज में हिन्दी, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र, प्राचीन इतिहास, उर्दू, अर्थशास्त्र, शारीरिक विज्ञान, गृह विज्ञान, संगीत, संस्कृत, राजनीति शास्त्र व भूगोल विषय से स्नातक की सुविधा है। परास्नातक में समाजशास्त्र, प्राचीन शास्त्र और गृह विज्ञान विषय उपलब्ध हैं। कॉलेज में चार सौ छात्राएं विभिन्न विषयों में पंजीकृत हैं। राजर्षि टंडन मुक्त विवि के समन्वयक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रघुवर पांडेय ने बताया कि कॉलेज में राजर्षि टंडन मुक्त विवि से 21 विषयों में 17 पीजी और 21 यूजी के पाठ्यक्रमों की सुविधा भी उपलब्ध है। कॉलेज में स्थापित हुआ कॅरियर परामर्श सेंटर महिला पीजी कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं को पढ़ाई के साथ ही भविष्य निर्धारण में भी मदद की जा रही है। प्राचार्य प्रो. सुनीता तिवारी ने स्कूल की कमान संभालने के बाद यह पहल शुरू की है। कॉलेज में ही कैरियर परामर्श सेंटर खोला गया है। यहां छात्राएं अपने-अपने विषय में बेहतर भविष्य के विकल्पों पर पूरी जानकारी हासिल कर सकती हैं। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी यहां विशेष टिप्स प्रदान की जाती है। साथ ही करियर विशेष या विषय विशेष को लेकर इच्छुक छात्राओं को लेक्चर के अतिरिक्त प्रतिदिन एक घंटे का स्पेशन गाइडेंस प्रदान करने का प्रबंध किया गया है। कॉलेज की पुरातन छात्राओं ने लिखी कामयाबी की कहानी बस्ती, निज संवाददाता। शहर के महिला पीजी कॉलेज से पढ़कर बड़ी संख्या में छात्राओं ने बुलंदियों को छुआ है। सिविल सेवा से लेकर हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहीं इन छात्राओं का समागम हाल ही में कॉलेज कैंपस में हुआ। इसमें पुरातन छात्राओं ने कॉलेज की छात्राओं संग न सिर्फ अपना अनुभव साझा किया, बल्कि उन्हें कामयाबी की राह पर आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाया। साथ ही वर्षों पूर्व में कॉलेज में पढ़ाई के दौरान बिताई गई अपनी पुरानी यादों को भी ताजा किया। इस कॉलेज से पढ़ी कुछ छात्राएं शहर के विभिन्न महाविद्यालयों व इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं। पुरातन छात्र सम्मेलन में आईं डॉ. पूजा गुप्ता किसान पीजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। पूजा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की 2017 की गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। कॉलेज में मिली शिक्षा को याद करते हुए कहती हैं कि भविष्य की राह इसी कॉलेज से मिली। नेट व पीएचडी करने के बाद 2023 में नौकरी लग गई। कॉलेज की छात्राओं के लिए कहा कि महिला महाविद्यालय अपने शिक्षण के लिए जाना जाता है। पुरातन छात्र सम्मेलन में आई प्रीति श्रीवास्तव राजनीति में सक्रिय हैं। वह अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि सन 2000 में यहां से बीए तक की पढ़ाई पूरी की। तब तक कॉलेज में स्नातक तक की ही पढ़ाई होती थी, लेकिन तब और आज में एक बात है जो नहीं बदला और वह है कॉलेज का अनुशासन। वर्तमान में एपीएनपीजी कॉलेज में शिक्षाशास्त्र विषय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौम्या पाल भी इसी कॉलेज की छात्रा रही हैं। पुरातन छात्र सम्मेलन में पहुंची डॉ. सौम्या ने बताया कि वर्ष 2000 में महिला महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। यहां कार्यरत प्राचार्य प्रो. सुनीता तिवारी ने कॉलेज में संसाधनों के साथ ही बेहतर शिक्षण के लिए काफी काम किया है। इसी कॉलेज से 2003 में पास आउट मान्वी सिंह वर्तमान में राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में टीचर हैं। मान्वी ने कहा कि कॉलेज में आने के बाद आज भी वही पुराने दिनों की फीलिंग होती है। शिकायतें -कॉलेज में डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा नहीं है। -कॉलेज में कॉमन रूप नहीं बना है। लेक्चर से बचने वाले समय में कैंपस में बैठकर ही पढ़ाई करते हैं। -कई छात्राएं यहां रहकर पढ़ाई करती हैं। उनकी सेहत को हेल्थ कैंप का आयोजन नहीं होता है। -पढ़ाई के समय कभी-कभी बिजली लंबे वक्त के लिए चली जाती हैै। - कॉलेज में बहुउद्देशीय हाल न होने से कार्यक्रमों के आयोजन में दिक्कत होती है। सुझाव -कॉलेज में डिजिटल लाइब्रेरी का प्रबंध किया जाना चाहिए। - कॉलेज में कॉमन रूप होना चाहिए। यहां बैठकर छात्राएं पढ़ाई कर सकती हैं। - कॉलेज में छात्रावास का भी प्रबंध है। उनके सेहत के लिए हेल्थ कैंप का आयोजन होना चाहिए। - विद्युत आपूर्ति के लिए बेहतर व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। -कॉलेज में बहुउद्देशीय का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे आयोजन सुगमता से हो सकें। बोलीं छात्राएं माध्यमिक स्कूलों की तरह की अलंकार योजना के तहत महाविद्यालय का भी कायाकल्प होना चाहिए। इससे व्यवस्था बेहतर होगी। अंशिका सिंह महाविद्यालय में डिजिटल लाइब्रेरी का प्रबंध होना चाहिए। ऐसा होने से छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाा की तैयारी में और मदद मिल सकेगी। साधना रोज मुंडेरवा से कॉलेज आती हूं। सवारी वाहन से शहर में आने पर भी रोडवेज से ऑटो पकड़ना पड़ता है। आवागमन में काफी समय जाता है। मानसी मिश्रा कॉलेज में पढ़ाई काफी अच्छी होती है। क्लास रूमों में बेहतर फर्नीचर का भी प्रबंध किया जाना चाहिए, जिससे पढ़ाई के दौरान परेशानी न हो। शालिनी गुप्ता कॉलेज में हेल्थ चेकअप का भी प्रबंध होना चाहिए। बेहतर होगा कि इसके लिए समय-समय पर हेल्थ कैंप लगाकर चेकअप हो। शिल्पी गुप्ता कॉलेज कॉमन रूम का निर्माण होना चाहिए। जिससे लेक्चर के बाद बचने वाले खाली समय का भी यहां बैठकर सदुपयोग कर सकें। नैन्सी चौधरी पढ़-लिखकर टीचर बनना चाहती हूं। कॉलेज में इसके लिए मार्गदर्शन भी मिलता है। कॉलेज में संसाधन और बेहतर होने चाहिए। निष्ठा पांडेय स्कूटी से रोज कॉलेज आती हूं। रास्ते में कई लोग गलत तरीके से ड्राइविंग करते दिखते हैं। इससे हादसे का खतरा बढ़ता है। एस. शाम्भवी एमए की छात्रा हूं। प्रतिदिन नरखोरिया से लगभग 25 किलोमीटर का सफर तय कर कॉलेज आती हूं। परिवहन की व्यवस्था बेहतर बनाया जाना चाहिए। सीमा राव कॉलेज में कौशल विकास कार्यक्रम के तहत रोजगार मेले का आयोजन किया गया था। संसाधनों की कमी को दूर किया जाना चाहिए। राधा त्रिपाठी अस्पताल चौराहे से प्रतिदिन ऑटो से कॉलेज आती हूं। जाम की समस्या से अक्सर दो-चार होना पड़ता है। इससे छुटकारा मिले। वैष्णवी त्रिपाठी प्रतिदिन अघोषित विद्युत कटौती होती है। कभी-कभी तो लंबे समय के लिए चली जाती है। इससे पढ़ाई बाधित होती है। बिजली कटौती रोकी जाए। माहेसना पढ़ाई करने के लिए सवारी वाहन से सफर करना होता है। रास्ते में बेतरतीब खड़े वाहनों के चलते आए दिन जाम की समस्या पैदा हो जाती है। कोमल कसौधन हल्की बारिश होने पर भी जलभराव की समस्या पैदा हो जाती है, जिससे कॉलेज तक का सफर तय करने में काफी परेशानी होती है। जलभराव से निजात मिलनी चाहिए। श्रेया सिंह इटवा डुमरियागंज से कॉलेज में पढ़ाई करने आती हूं। बस स्टैंड व अन्य सार्वजानिक स्थलों पर पेयजल का प्रबंध होना चाहिए। बबिता चौधरी कॉलेज तक का सफर रोज ऑटो रिक्शा से करते हैं। कभी-कभी रिक्शा वाले अधिक किराया मांगते हैं। हर मार्ग व दूरी के लिए किराया निर्धारित होना चाहिए। प्रियंका चौधरी बोले जिम्मेदार महिला पीजी कॉलेज में शिक्षण के साथ ही सभी सुविधाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। सांस्कृतिक क्लब से लेकर रोजगार मेले का आयोजन होता है। कैरियर गाइडेंस के लिए अलग से प्रबंध है। कॉलेज में छात्राओं की सुविधा के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है। उपलब्ध संसाधनों में हर सुविधा छात्राओं को उपलब्ध कराने का प्रयास है। स्नातक व परास्नातक की पढ़ाई पूरी कर छात्राएं भविष्य में अपना मुकाम हासिल करें, इस बात पर पूरा जोर दिया जाता है। प्रो. सुनीता तिवारी, प्राचार्य, महिला पीजी कॉलेज, बस्ती कॉलेज की प्राचार्या प्रो. सुनीता तिवारी महाविद्यालय में गुणवत्ता युक्त शिक्षा और उत्तम शैक्षिक वातावरण प्रदान कर रहीं हैं।सरकार को संसाधनों के विकास के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करना चाहिए। अलंकरण योजना का लाभ महाविद्यालय को देना चाहिए। सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है। सरकार का आर्थिक सहयोग महाविद्यालय के शैक्षिक संवर्धन और विकास में सहायक होगा।जनपद में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने में आज भी इस महाविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। संजय कुमार उपाध्याय, मंत्री, महिला महाविद्यालय समिति, बस्ती
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