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स्टेट खेलने आईं बेटियां, फटे गद्दों-सूखी टोटियों ने किया स्वागत

राज्य स्तरीय बास्केटबॉल और हैंडबॉल प्रतियोगिता का शुक्रवार को शुभारंभ होगा। प्रतियोगिता में आने वाली टीमों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा। खिलाड़ियों को पीने के पानी, रुकने की जगह और शौचालयों में...

Newswrap हिन्दुस्तान, बरेलीThu, 19 Sep 2024 08:40 PM
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राज्य स्तरीय बास्केटबॉल और हैंडबॉल प्रतियोगिता का शुक्रवार को स्टेडियम में शुभारंभ होगा। प्रदेश के कोने-कोने से आईं टीमें शुक्रवार को अपने विरोधियों से मुकाबला करेंगी। उससे पहले गुरुवार शाम उन्हें अव्यवस्थाओं से जंग लड़नी पड़ी। जिन स्कूलों में छात्राओं को रुकवाया गया, वहां पीने के पानी तक की किल्लत थी। खिलाड़ियों को अंधेरे में मोबाइल का टॉर्च जलाकर अपने काम करने पड़े। कमरों के खुलने का भी खिलाड़ियों को देर तक इंतजार करना पड़ा। तीन दिनीं राज्य स्तरीय बास्केटबॉल प्रतियोगिता में दस और हैंडबॉल प्रतियोगिता में 12 मंडल की टीमें भाग लेने को गुरुवार देर रात तक बरेली पहुंचती रहीं। स्टेडियम प्रशासन ने खिलाड़ियों के ठहरने के लिए रिखी सिंह इंटर कॉलेज, गुरु गोविंद सिंह इंटर कॉलेज और श्री गुरु हरिकिशन स्कूल में व्यवस्था की है। श्री गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल में लखनऊ की टीम पहुंची तो उनके रुकने के लिए कमरे ही नहीं खोले गए थे। टीम मैनेजर ने संपर्क साधा, तब 8:26 बजे जाकर खिलाड़ियों के लिए गद्दे पहुंचे। कुछ गद्दे फटे हुए भी थे। गद्दों के साथ सभी को चादरें भी नहीं मिली। कमरों में कबूतर की बीट पड़ी हुई थी। खिलाड़ियों के लिए पीने के पानी के साथ ही स्नान आदि के लिए भी पानी की किल्लत नजर आई। मच्छरों ने खिलाड़ियों पर हमला बोला तो उन्हें मच्छररोधी दवा की याद आई। व्यवस्था में लगे एक युवक ने कहा कि उसकी व्यवस्था खुद ही करनी होगी।

शौचालयों में अंदर से कुंडी ही नहीं

रिखी सिंह इंटर कॉलेज में जब छात्राएं शौचालय में गई तो अंदर से कुंडी ही नहीं थी। छात्राएं इससे काफी परेशान हुईं। कॉलेज में अंधेरा होने से भी छात्राओं को दिक्कत हुई। खिलाड़ी मोबाइल की लाइट जलाकर अपने काम निपटाती दिखीं। श्री गुरु गोविंद सिंह इंटर कॉलेज में गंदे गद्दे देखकर खिलाड़ी कुछ नाराज नजर आए।

अच्छी व्यवस्था का किया पूरा प्रयास:आरएसओ

आरएसओ जितेंद्र यादव ने कहा कि अपने स्तर पर व्यवस्था बनाने का पूरा प्रयास किया गया है। सुबह सात बजे से ही हम लोग व्यवस्था सही करने में जुटे हैं। टीमें देर रात तक आती रहीं। हर समय तो कमरे खोलकर नहीं रखे जा सकते। टीम पहले स्टेडियम आती है। उसके बाद उन्हें स्कूल भेजा जाता है। कुछ ही देर में कमरे खुल गए थे।

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