फिर किसने की रेलवे रोड पर भीम और आशू की हत्या
सब हेड... गवाह पक्षद्रोही:बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड में सुरेश कचौड़ी वाला हुआ बरी --प्वाइंटर-- रक्षाबंधन की
-फिर किसने की रेलवे रोड पर भीम और आशू की हत्या -रक्षाबंधन की सुबह की गई थी दो सगे भाइयों की गोली मारकर हत्या
-हत्या के बाद शहर में हुआ था सांप्रदायिक तनाव, ऊपरकोट पर उपद्रव भी
अलीगढ़। पुराने शहर के संवेदनशील रेलवे रोड पर सात वर्ष पहले हुई दो सगे भाइयों वसीम उर्फ भीम व आशू की हत्या में अदालत का फैसला आ गया है। अपर सत्र न्यायालय से इस दोहरे हत्याकांड के दोषी सुरेश ठाकुर उर्फ सुरेश कचौड़ी वाले को गवाहों के पक्षद्रोही होने के चलते बरी कर दिया गया है। ऐसे में पुलिस की उस थ्यौरी पर अदालत के फैसले ने सवाल खड़ा किया है, जिसमें सुरेश को आरोपी बनाया गया। ऐसे में सवाल है कि फिर दोनों की हत्या किसने की।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता दीपक पाठक के अनुसार घटना रक्षाबंधन के दिन सात अगस्त 2017 की सुबह की है। वादी मुकदमा सराय बैरागी गांधीपार्क निवासी बब्बू रफीक ने गांधीपार्कथाने में मुकदमा दर्ज कराया कि उसके भतीजे वसीम उर्फभीम व आशू को सुबह करीब दस बजे नामजद चंदनिया क्वार्सी निवासी सुरेश कचौड़ी वाला सोते से उठाकर ले गया। बाहर रेलवे रोड पर पहले से सुरेश का भाई सजन, नौकर भोला मिले और सुरेश ने गालियां देते हुए कहा कि पकड़ लो आज ये बचकर न जाने पाएं। फिर सुरेश ने अपनी अंटी से पिस्टल निकालकर दोनों पर फायरिंग कर दी। इस बीच अन्य गवाहों में भीम व आशू की मां फूलबानो, पड़ोसी निक्की, सोनू आदि आ गए। हमलावर धमकियां देते हुए भाग गए। दोनों घायलों को अस्पताल लाया गया। जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। मामले में पुलिस विवेचना में सुरेश को हत्या में प्रयुक्त पिस्टल सहित गिरफ्तार किया गया। हत्या के मूल में आपसी विवाद के चलते हत्या का उल्लेख करते हुए अकेले सुरेश के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। न्यायालय में सत्र परीक्षण के दौरान साक्ष्यों व गवाही के दौरान वादी सहित मौके पर दर्शाए गए सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए। जिरह के दौरान किसी ने खुद के द्वारा मौके पर आरोपी को देखना या हत्या करते देखना नहीं स्वीकारा। यहां तक की वादी ने यह गवाही दी कि उसने तो लिखित तहरीर पर दस्तखत किए थे। वह पढ़ा लिखा नहींहै। सिर्फहस्ताक्षर कर लेता है। सुरेश का नाम कैसे लिखा गया, उसे नहीं मालूम। न पुलिस ने उसकी या अन्य गवाहों की गवाही ली। अधिवक्ता के अनुसार इसी आधार पर अदालत ने सुरेश को बरी किया है।
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ये गवाह हुए पक्षद्रोही, एक पर वाद चलेगा
इस मुकदमे में कुल छह गवाह पेश किए गए। जिनमें एक वादी यानि मृतकों का चाचा, दूसरा उनकी मां, तीसरा इमरान फर्द बरामदगी का गवाह रहा। इसके अलावा एक इंस्पेक्टर रविंद्र सिंह, डॉक्टर राजेंद्र बंसल, विवेक कुमार एफआईआर लेखक रहा। जिनमें से अदालत ने चाचा व मां को पक्षद्रोही घोषित किया हैऔर वादी द्वारा तहरीर के विपरीत गवाही देने पर उसके खिलाफ प्रकीर्ण वाद दायर करने के निर्देश दिए हैं।
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इस हत्या के बाद हुआ था तनाव व उपद्रव
सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील शहर में हुई इस घटना के बाद तनाव के हालात रहे थे। पहले तो पोस्टमार्टम व दफन को लेकर भी तमाम तनाव रहा। उसे पुलिस ने जैसे तैसे निपटा। शहर में सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए।इसके बाद ठीक पांचवें दिन ऊपरकोट पर जुमे की नमाज के बाद नमाजी पुलिस से टकरा गए थे। जहां जमकर पथराव व फायरिंग हुई। फिर कई दिन तक तनाव के हालात रहे और उपद्रव में कईलोगों को जेल भेजा गया था। तब जाकर हालात नियंत्रित हुए। बाद में राजनीतिक बयानबाजी को भी पुलिस ने जैसे तैसे नियंत्रित किया था।
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