अभिनेत्री ममता कुलकर्णी अब यमाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी, किन्नर अखाड़े की बनीं महामंडलेश्वर
बॉलीवुड की बोल्ड अभिनेत्री के रूप में मशहूर रहीं ममता कुलकर्णी शुक्रवार को महामंडलेश्वर बन गईं। महाकुंभ में संगम स्नान और पिंड दान के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का पट्टाभिषेक करते हुए उन्हें नया नाम भी दिया। ममता कुलकर्णी अब यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी।
बॉलीवुड की बोल्ड अभिनेत्री के रूप में मशहूर रहीं ममता कुलकर्णी शुक्रवार को महामंडलेश्वर बन गईं। महाकुंभ में संगम स्नान और पिंड दान के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता का पट्टाभिषेक करते हुए उन्हें नया नाम भी दिया। ममता कुलकर्णी अब यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। ममता वैसे तो करीब दो दशक से साध्वी जैसी ही जिंदगी जीने का दावा करती रही हैं। उन्होंने आज महामंडलेश्वर बनने से ठीक पहले भी कहा कि इस उपाधि को पाने से पहले उनकी परीक्षा भी ली गई है। 23 साल तक की गई तपस्या, साधना और ध्यान से संबंधित ढेर सारे सवाल पूछे गए। हर सवाल का सही जवाब देने और तरह तरह की परीक्षाओं में पास होने के बाद उन्हें यह उपाधि मिली है।
ममता एक दिन पहले ही महाकुंभ में पहुंची थीं। यहां आने से पहले उन्होंने अपना एक वीडियो भी इंस्टग्राम पर पोस्ट करते हुए कहा था कि वह महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के लिए जाने वाली हैं। उससे पहले काशी विश्वनाथ और अयोध्या भी जाएंगी। लेकिन काशी के बजाए वह प्रयागराज आ गईं। यहां किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण के पास पहुंचीं और उनसे सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए काम करने की इच्छा जताई।
आचार्य लक्ष्मी नारायण ने ममता की इच्छा को लेकर कहा कि वह हम लोगों से करीब डेढ़ साल से संपर्क में थीं। इससे पहले भी वह जूना अखाड़े में महामंडलेश्वर के साथ थीं। उनके गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्हें दिशा नहीं मिल रही थी। इस पर उन्होंने इच्छा जाहिर की कि वह सनातन से पूर्ण रूप से जुड़ना चाहती हैं। इसके बाद कल आईं और कहा कि मुझे कुछ पद चाहिए, मुझे महामंडलेश्वर बनना है।
आचार्य ने कहा कि ममता वृंदावन के आश्रम के लिए आगे प्रचार प्रसार करना चाहती हैं। इस पर हमने उनके सामने इसके लिए कुछ शर्त रखी। उनसे कहा गया कि इसके लिए उन्हें संन्यास लेना होगा। पूरी दुनिया छोड़कर हमारी दुनिया में रहना होगा। यह भी छूट दी कि आपको बॉलीवुड या कहीं धार्मिक रोल मिलता है तो कर सकती हैं, हम किसी की कलाकारी में रोक नहीं लगाएंगे। जो भी सनातन के ध्वज में आएगा तो उसे आगे लेकर चलेंगे। कहा कि वह पूर्ण रूप से सनातन में शरणागत होकर आई हैं। जो भी बच्चा सनातन धर्म में आएगा, हम किन्नर अखाड़ा उसको अपनाएगा। यह भी कहा कि उन्हें आगे प्रवक्ता भी बनाया जाएगा, पूरा अखाड़ा बैठकर इस बारे में निर्णय लेगा।
वहीं, ममता कुलकर्णी ने कहा कि वह 23 साल से तपस्या कर रही थीं। अब मैंने आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी को अपना पट्टागुरु चुना है। ममता ने कहा कि कल मुझे महामंडलेश्वर बनाने के बारे में पूछा गया था। आज महाकाली का दिन है।सुबह ही मां काली ने आदेश दिया कि मुझे लक्ष्मी नारायण जी को आचार्य चुनना है। आचार्य साक्षात अर्धनारिश्वर के स्वरूप हैं। एक अर्धनारिश्वर के हाथों पट्टाभिषेक से बड़ी क्या उपाधी हो सकती है।
ममता ने यह भी कहा कि महामंडलेश्वर बनने से पहले उन्होंने इसके लिए जरूरी परीक्षा भी पास की है। कहा कि 23 साल में मैंने क्या ध्यान और साधन की, इस बारे में मुझसे काफी सवाल किए गए। जो-जो पूछा गया, मैंने सबकुछ बताया। हर तरह की परीक्षा के बाद मैं पास हुई हूं। इसके बाद मुझे यह उपाधि मिल रही है। कुछ संतों की नाराजगी के सवाल पर कहा कि हो सकता है कि मेरे फैंस भी हो सकता है नाराज हों। मां काली और महाकाल की इच्छा के बिना कुछ नहीं हो सकता है। यह सब उन्हीं की इच्छा पर हो रहा है।