संगम स्नान, अपना ही पिंडदान और पट्टाभिषेक, तस्वीरों में देखिए ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
फिल्मी दुनिया को अलविदा कह चुकीं ममता कुलकर्णीं जो अब खुद का पिंडदान और तर्पण कर इस अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। अब उनका नया नाम श्री यामायी ममता नंद गिरि हो गया है।
किन्नर अखाड़े के शिविर में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे फिल्मी दुनिया को अलविदा कह चुकीं अभिनेत्री ममता कुलकर्णीं का प्रवेश हुआ तो हलचल तेज हो गई। श्रद्धालुओं की भीड़ तो इस छावनी में हर वक्त रहती है, लेकिन शुक्रवार शाम मजमा कुछ ज्यादा ही लगने लगा था। गेरूआ रंग का वस्त्र धारण किए ममता वीआईपी कक्ष में पहुंचीं तो जूना अखाड़ा के स्वामी महेन्द्रानंद गिरि और स्वामी जय अम्बानंद गिरी ने उनके माथे पर तिलक लगाया। ममता किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ मंच की ओर गईं। स्वागत में शंख की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी, जूना अखाड़े के पागल बाबा शिव भजन प्रस्तुत कर रहे थे। पहले जमीन पर चादर बिछाई गई। इस पर हल्दी, चंदन और रोली लगाकर उस पर ममता को बैठाया गया।
आचार्य महामंडेश्वर ने पहले शंख में दूध और फिर गंगाजल से ममता का अभिषेक किया। फिर उन्होंने ममता को चादर ओढ़ाकर पट्टाभिषेक और माला पहनाने के बाद उनके थोड़े से बाल काट चोटी काटने की रस्म पूरी की गई। घोषणा हुई कि ममता कुलकर्णी अब से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर यामाई ममता नंद गिरी हो गई हैं। ममता ने पट्टाभिषेक के बाद सभी का आशीष लिया। उन्हें अखाड़े के वृंदावन सोमनाथ नंद आश्रम का जिम्मा सौंपा जाएगा। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि आगे और भी जिम्मेदारी दी जाएगी।
मुझे पता भी नहीं था कि ये पद मिलने वाला है
पट्टाभिषेक के बाद मीडिया से बातचीत में ममता ने कहा कि उन्हें मालूम ही नहीं था कि वो यहां मंडलेश्वर बनने जा रही हैं। उन्हें शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाना था। लेकिन जो पुजारी उन्हें पूजा कराते वो गायब हो गए। यहां गुरुवार शाम को जब महामंडलेश्वर बनने के लिए कहा गया तो उन्होंने इनकार कर दिया, लेकिन ऐसा संयोग बना कि वो आज महामंडलेश्वर बन गईं। उन्होंने बताया कि बीते 23 साल से आध्यात्म की दुनिया में हैं। यहां बीते तीन दिनों से जगतगुरू महेंद्रनंद परीक्षा ले रहे थे और इस परीक्षा में वो उत्तीर्ण हुई।
ममता ने अपनी बात संस्कृत के श्लोक से शुरू की। बताया कि वह 12 साल पहले यहां आईं थीं उस वक्त महाकुम्भ था आज पूर्ण कुम्भ है। बताया कि आध्यात्म के तीन रास्ते होते हैं। वामपंथी, दक्षिण पंथी और मध्यम मार्ग। इस अखाड़े में स्वतंत्रता है। इसलिए उन्होंने इसे चुना है। कहा कि सनातन धर्म के प्रचार के लिए अगर किसी जगह कलाकार के रूप में काम करना होगा तो वो जरूर कर सकती हैं।
सन 2000 से ही चल रही मेरी तपस्या
ममता ने कहा कि मुझे कल महामंडलेश्वर बनाने की तैयारी चल रही थी लेकिन आज महाशक्ति ने आदेश दिया कि मुझे पट्टा गुरु के तौर पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी को चुनना है क्योंकि वह साक्षात अर्धनारीश्वर स्वरूप हैं और मेरे लिए इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि एक अर्धनारीश्वर के हाथ मेरा पट्टाभिषेक हो रहा है। कहा कि उनकी तपस्या सन 2000 से शुरु हुई थी। कहा कि मेरे इस कदम से मेरे काफी प्रशंसक (फैन्स) नाराज हैं लेकिन महाकाल और महाकाली की इच्छा के आगे किसी का वश नहीं चलता है। एक सवाल के जवाब में ममता ने कहा कि उन्होंने महामंडलेश्वर बनने से पूर्व तर्पण और पिंडदान कर दिया है।
पट्टाभिषेक के दौरान भर आईं आंखें
ममता पट्टाभिषेक के समय भावुक हो गईं थी। कहा कि इतने साल की तपस्या का फल मिल रहा था। इसलिए भावुक हो गई थीं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कई साल बिना अन्न रहकर घोर तप किया। आज जब यहां पद मिला तो लगा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश उनके सामने आ गए।
चर्चित लोग बनते हैं महामंडलेश्वर
अखाड़े में महामंडलेश्वर चर्चित लोगों को बनाया जाता है। ऐसे लोग जो केवल एक मंडल में पूज्यनीय होते हैं, उन्हें मंडलेश्वर कहते हैं और जो कई मंडलों में पूज्य हो जाते हैं वो महामंडलेवर बनते हैं। आचार्य महामंडेश्वर ने कहा कि ममता तो कई देशों में चर्चित हैं।
अचानक कैसे बनी महामंडलेश्वर
पट्टाभिषेक की प्रक्रिया शुरू होने से दो घंटे पहले तक किसी को इस बारे में कोई भनक नहीं थी। यहां तक कि खुद ममता कुलकर्णी ने एक वीडियो जारी कर बताया था कि वह काशी विश्वनाथ मंदिर और अयोध्या की यात्रा पर जाने के बाद महाकुंभ आएंगी और 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर स्नान करेंगी। फिर ऐसा क्या हुआ कि उनका प्रोग्राम बदल गया और वह काशी नहीं गईं। प्रयागराज में रुकीं तो अपना ही पिंड दान करके महामंडलेश्वर बन गईं? महामंडलेश्वर बनने के बाद मीडिया से बातचीत में ममता ने इस रहस्य का खुलासा किया।
काशी विश्वनाथ के महापंडित गायब और…
ममता ने कहा कि कल तक तो यही सोच रही थी कि यहां आऊंगी और स्नान करूंगी। इसके बाद उसी तरह से यहां से चली जाऊंगी जैसे 12 साल पहले आई थी और चली गई थी। वही भी महाकुंभ था और आज भी पूर्ण कुंभ है। कहा कि आज मैंने अपनी यात्रा काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए तय की थी। लेकिन उनके जो महापंडित हैं जिनसे मेरी बातचीत हुई थी। आज वह पंडित जी गायब हो गए। वह अचानक कैसे गायब हो गए, मैं यह समझ नहीं पा रही हूं।
ममता ने कहा कि मैं काशी विश्वनाथ मंदिर के पंडित के गायब होने के बारे में सोच ही रही थी कि सुबह-सुबह जगतगुरु महेंद्र आनंद गिरी महाराज, इंद्रा भारती महाराज और एक अनुयायी मेरे सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के रूप में आ गए। इसके बाद मुझे आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी के पास लेकर गए। मैं इनके पास जाकर इसी तरह बैठी थी, जैसे अभी बैठी हूं। तभी आदि शक्ति ने मेरे अंतर्मन ने बोला, आज शुक्रवार है। पूछा, किस बात का तुम्हें इंतजार है। तुमने जो 23 साल तक तप किया, ध्यान किया, उसका सर्टिफेकेट तो बनता ही है।
किन्न्र अखाड़ा ही क्यों?
ममता ने किन्नर अखाड़ा चुनने के पीछे का कारण भी बताया। कहा कि आध्यात्म में तीन रास्ते होते हैं। वामपंथी, दक्षिण पंथी और मध्यम पंथी। किन्नर अखाड़ा मध्यम पंथी मार्ग वाला है। यहां मुझे बंधकर नहीं रहना होगा। यहां पर पूरी स्वतंत्रता है। इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता है। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की ओर इशारा करते हुए कहा कि मैं अब इनकी संस्था और सनातन के लिए जो हो सकेगा करूंगी। अभी मानव कल्याण के लिए भ्रमण करूंगी। जहां से भी कुछ कमाई करुंगी, इनकी संस्था में समर्पित करूंगी।
2019 में चर्चा में आया किन्नर अखाड़ा
2019 के अपने पहले कुंभ में देश-विदेश की मीडिया में सुर्खियां बटोरने वाला किन्नर अखाड़ा 2025 के महाकुम्भ में ममता कुलकर्णी की वजह से एक बार फिर चर्चा में आ गया है। ममता ने किन्नर अखाड़े की संतों के साथ संगम में स्नान किया। किन्नर अखाड़े में महिलाएं भी महामंडलेश्वर बनाई जाती हैं। कुछ दिन पहले अखाड़े ने दिल्ली की एक ऐसी महिला को महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी, जिसने शादी के दो माह बाद ही खुद का पिंडदान कर संन्यास की राह पकड़ ली थी। इसी व्यवस्था के तहत ममता को यह उपाधि दी गई है।
90 के दशक में दीं कई हिट फिल्में
20 अप्रैल 1972 को एक मराठी परिवार में जन्मीं ममता कुलकर्णी ने 1990 के दशक में बॉलीवुड पर राज किया। उन्होंने करण अर्जुन, क्रांतिवीर, क्रांतिकारी, किस्मत, तिरंगा, बाजी, बेकाबू, छुपा रुस्तम सहित कई हिट फिल्में दीं। मुझको राणा जी माफ करना…गाने पर उनका डांस काफी लोकप्रिय हुआ। बॉलीवुड में पहचान बनाने के बाद 2002 में वह फिल्म इंडस्ट्री से गायब हो गईं थीं। इस दौरान वह एक बड़े विवाद में भी घिरीं। उनका नाम अंडरवर्ल्ड के कुछ लोगों के साथ उछला।