Hindi Newsदेश न्यूज़Why No chairperson for 11 DRTs CJI Sanjiv Khanna led bench seeks government response on PIL

1/3 ऋण वसूली ट्रिब्यूनल में अध्यक्ष क्यों नहीं? CJI खन्ना का केंद्र सरकार से जवाब तलब

PIL में चिंता जताई गई है कि देश में 39 DRTs में से लगभग ⅓ ट्रिब्यूनल पीठासीन अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण वर्तमान में काम नहीं कर रहे हैं, जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए ऋण वसूली में तेजी लाने के उनके मूल उद्देश्य को नुकसान पहुंच रहा है।

Pramod Praveen भाषा, नई दिल्लीMon, 18 Nov 2024 02:22 PM
share Share

देश के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को समूचे भारत में ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (DRT) में एक तिहाई से अधिक महत्वपूर्ण रिक्तियां होने का दावा करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता निश्चय चौधरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता केबी सुंदर राजन एवं वकील सुदर्शन राजन की दलीलें सुनीं और केंद्रीय वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा।

जनहित याचिका में चिंता जताई गई है कि देश में 39 डीआरटी में से लगभग एक तिहाई न्यायाधिकरण पीठासीन अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण वर्तमान में काम नहीं कर रहे हैं, जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए ऋण वसूली में तेजी लाने के उनके मूल उद्देश्य को नुकसान पहुंच रहा है। डीआरटी की स्थापना बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बकाया राशि की वसूली अधिनियम, 1993 के तहत की गई है, ताकि बैंक और वित्तीय संस्थान उधार लेने वालों से डूबे कर्ज की वसूली कर सके।

जनहित याचिका के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक 11 डीआरटी बिना पीठासीन अधिकारियों के हैं, जिससे मामलों को कुशलतापूर्वक निपटाने की उनकी क्षमता पर गंभीर असर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस निष्क्रियता के कारण 1993 के कानून का उद्देश्य निष्फल हो जाता है, जिसे समय पर ऋण निर्णय और वसूली सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया था।

जनहित याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि त्वरित न्याय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है और 2020 में जिला बार एसोसिएशन देहरादून बनाम ईश्वर शांडिल्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे मान्यता भी दी है। जनहित याचिका में वित्त मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह डीआरटी में पीठासीन अधिकारियों के चयन और नियुक्ति से संबंधित रिकॉर्ड पेश करे, ताकि इन रिक्तियों को दूर करने में सरकार की गंभीरता का मूल्यांकन किया जा सके।

ये भी पढ़ें:CJI खन्ना ने बदल दी परंपरा, बुधवार और गुरुवार को सुने जाएंगे सिर्फ ये केस
ये भी पढ़ें:ऐक्शन में CJI, डीवाई चंद्रचूड़ ने जिस प्रथा को बंद किया था उसे फिर लागू किया
ये भी पढ़ें:CJI बनते ही ऐक्शन में जस्टिस खन्ना, तत्काल सुनवाई पर बदल डाली पुरानी व्यवस्था

इसमें केंद्र को मौजूदा रिक्तियों को समय पर भरने तथा भविष्य में नियुक्तियों में देरी को रोकने के लिए तंत्र स्थापित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। अंतरिम उपाय के तहत जनहित याचिका में यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सेवाओं में व्यवधान को रोकने के लिए गैर-कार्यात्मक डीआरटी की शक्तियां अन्य न्यायाधिकरणों में निहित की जाएं। जनहित याचिका में कहा गया है, ‘‘न्याय के हित में डीआरटी के कुशल कामकाज को संरक्षित रखने के लिए कोई और आदेश जारी करें।’’

अगला लेखऐप पर पढ़ें