इजरायल और गाजा के बीच युद्ध एक जटिल संघर्ष है, जो दशकों से चला आ रहा है। यह मुख्य रूप से इजरायल और हमास (गाजा को नियंत्रित करने वाली आतंकवादी संगठन) के बीच है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकी हमले में 1200 लोग मारे गए थे।
डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों मध्य पूर्व दौरे में जिन खाड़ी देशों से गले मिल रहे हैं, अरबों का समझौता कर रहे हैं, इजरायल उन्हें अपना कट्टर दुश्मन मानता है। ट्रंप के इन कदमों से नेतन्याहू की नींद उड़ी हुई है।
नेतन्याहू के इस रुख ने गाजा में युद्ध को और लंबा खींचने की आशंका बढ़ा दी है। हमास ने कहा है कि वह केवल तभी समझौता करेगा, जब इसमें व्यापक युद्धविराम और गाजा से सेना की वापसी शामिल होगी।
7 अक्टूबर के हमले के जवाब में शुरू किए गए इजरायली आक्रामक अभियान में गाजा में कम से कम 52,908 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर नागरिक हैं। यह आंकड़ा हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार दिया गया है।
जब से इजरायल ने गाजावासियों का दाना-पानी रोका है, वहां की स्थिति लगातार भयावह बनी हुई है। अकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई है। हमास ने इजरायल को कोसते हुए कहा कि ऐसे में बातचीत का कोई मतलब नहीं है।
Gaza war update: इजरायली ने गाजा को पूरी तरह से कब्जा करने का नया प्लान बनाया है। अधिकारियों के मुताबिक मंत्रियों ने मतदान के माध्यम से इस प्लान को मंजूरी दे दी है और सेना ने गाजा में जारी ऑपरेशन को तेज करने के लिए रिजर्व सैनिकों को भी ड्यूटी पर बुला लिया है।
गाजा में 18 महीने के भीषण रक्तपात के बाद अब फाइनल वॉर की तैयारी तेज हो गई है। नेतन्याहू ने विदेश दौरा रद्द कर दिया है और हजारों रिजर्व सैनिकों को गाजा में भेजा है।
स्वतंत्रता दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि उनके लिए गाजा में जीत ही सर्वोपरी है, बंधकों की रिहाई नहीं। उनके बयान से इजरायल में बवाल तय है।
इजरायल द्वारा पिछले दो महीने से गाजा का खाना-पानी रोके जाने से गाजावासियों की स्थिति बेहद विकट हो चुकी है। भूख से हाहाकार का आलम यह है कि यूएन के दफ्तर और रसोईघर तक लूटे गए। हालात बेकाबू हो चुके हैं।
अब भी यहूदियों की आबादी 80 लाख भी नहीं पहुंची है। इजरायल का संघर्ष पड़ोस के फिलिस्तीन, लेबनान, मिस्र जैसे देशों से लंबे समय से रहा है। 1948 में देश की स्थापना के बाद से ही यह संघर्ष चलता रहा है। ऐसे में यहूदियों और पूरे इजरायल की ही आबादी एक करोड़ से कम होना चर्चा का विषय रहा है।