भले ही बंधकों को रिहा कर दो, फिर भी गाजा में युद्धविराम नहीं होगा; नेतन्याहू की हमास को खुली चेतावनी
नेतन्याहू के इस रुख ने गाजा में युद्ध को और लंबा खींचने की आशंका बढ़ा दी है। हमास ने कहा है कि वह केवल तभी समझौता करेगा, जब इसमें व्यापक युद्धविराम और गाजा से सेना की वापसी शामिल होगी।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा है कि गाजा में चल रहे युद्ध को रोकने का कोई इरादा नहीं है, भले ही हमास के साथ बंधकों की रिहाई के लिए कोई समझौता हो जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि हमास बंधकों को रिहा करता है, तो इजरायल उन्हें स्वीकार करेगा, लेकिन इसके बाद भी सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी। नेतन्याहू ने कहा, "हम बंधकों को लेंगे, और फिर हम आगे बढ़ेंगे। लेकिन युद्ध को रोकने का कोई रास्ता नहीं है।"
युद्धविराम की संभावना पर सवाल
नेतन्याहू के इस बयान ने हाल के दिनों में गाजा में युद्धविराम की उम्मीदों को झटका दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब हमास ने सोमवार को एक अमेरिकी-इजरायली बंधक एडन अलेक्जेंडर को रिहा किया था। इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रति सद्भावना के तौर पर देखा गया। ट्रंप ने पहले उम्मीद जताई थी कि सोमवार को इजरायली-अमेरिकी सैनिक एडन अलेक्जेंडर की रिहाई 19 महीने से चल रहे युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक कदम होगा। इस रिहाई के बाद मिस्र, कतर, अमेरिका और हमास के बीच चार-पक्षीय वार्ता के जरिए युद्धविराम की संभावनाएं बढ़ती दिख रही थीं। हालांकि, नेतन्याहू ने साफ कर दिया कि युद्धविराम केवल सीमित समय के लिए संभव है और इजरायल का लक्ष्य हमास को पूरी तरह खत्म करना है।
नेतन्याहू ने कहा, "हम युद्ध को अंत तक ले जाएंगे। हमास को नष्ट करना और गाजा से खतरे को समाप्त करना हमारा लक्ष्य है।" उनके इस रुख ने न केवल युद्धविराम वार्ता को जटिल बना दिया है, बल्कि इजरायल के भीतर भी विवाद को जन्म दिया है। हमास ने कहा है कि वह शेष बंधकों को तभी रिहा करेगा जब अधिक संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाएगा, स्थायी युद्धविराम होगा तथा गाजा से इजरायल की वापसी होगी।
बंधक परिवारों का दबाव और आलोचना
इजरायल में बंधकों के परिवार और उनके समर्थक सरकार पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि वह गाजा में बचे हुए 59 बंधकों की रिहाई के लिए समझौता करे। लेकिन नेतन्याहू की कैबिनेट में कट्टरपंथी नेताओं का प्रभाव बढ़ रहा है, जो युद्ध को समाप्त करने के खिलाफ हैं। हाल ही में, नेतन्याहू ने गाजा में सैन्य अभियान को और तेज करने की योजना की घोषणा की थी, जिसमें गाजा के बड़े हिस्से पर कब्जा करने और वहां की आबादी को दक्षिण की ओर शिफ्ट करने की बात शामिल है।
इजरायली सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर-जनरल एफी डेफ्रिन ने कहा कि नया सैन्य अभियान बंधकों की रिहाई को प्राथमिकता देगा। हालांकि, बंधक परिवारों के संगठन, होस्टेजेस एंड मिसिंग फैमिलीज फोरम, ने इस योजना को बंधकों की "बलि" देने वाला कदम बताया। विपक्षी नेता यायर गोलान ने भी नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि यह योजना उनकी सरकार को बचाने के लिए है, न कि सुरक्षा या बंधकों की रिहाई के लिए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
नेतन्याहू के बयान और गाजा में प्रस्तावित सैन्य अभियान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना हो रही है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो ने इस योजना को "अस्वीकार्य" बताया और तत्काल युद्धविराम, मानवीय सहायता की पहुंच और बंधकों की रिहाई की मांग की। संयुक्त अरब अमीरात ने भी इजरायली हमलों की निंदा की और सैन्य वृद्धि के परिणामों के प्रति चेतावनी दी।
गाजा में मानवीय संकट
गाजा में स्थिति लगातार बिगड़ रही है। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 18 मार्च के बाद से इजरायली बमबारी में 2,500 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। इजरायल ने 2 मार्च से गाजा में सभी मानवीय सहायता को रोक दिया है, जिसे हमास ने "भुखमरी युद्ध" करार दिया है। इस नाकाबंदी के कारण गाजा की जनता को भोजन, दवाइयों और ईंधन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
नेतन्याहू की राजनीतिक रणनीति
नेतन्याहू के आलोचकों का कहना है कि गाजा में युद्ध को लंबा खींचना उनकी राजनीतिक मंशा को दर्शाता है। उनकी गठबंधन सरकार कट्टरपंथी दलों पर निर्भर है, जो गाजा पर स्थायी इजरायली नियंत्रण की वकालत करते हैं। इसके अलावा, नेतन्याहू पर अक्टूबर 2023 के हमास हमले को रोकने में विफलता और युद्ध के बाद गाजा के लिए कोई स्पष्ट योजना न पेश करने की आलोचना हो रही है।
नेतन्याहू के इस रुख ने गाजा में युद्ध को और लंबा खींचने की आशंका बढ़ा दी है। हमास ने कहा है कि वह केवल तभी समझौता करेगा, जब इसमें व्यापक युद्धविराम और गाजा से इजरायली सेना की पूर्ण वापसी शामिल होगी। दूसरी ओर, इजरायल का कहना है कि वह हमास को सैन्य दबाव के जरिए ही झुका सकता है। जैसा कि गाजा में तनाव बढ़ रहा है और बंधकों की रिहाई की उम्मीदें कम हो रही हैं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट को हल करने के लिए नए सिरे से प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। लेकिन नेतन्याहू की "युद्ध को अंत तक ले जाने" की प्रतिबद्धता ने इस क्षेत्र में शांति की संभावनाओं को और जटिल बना दिया है।
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