जनरल चौहान का यह बयान भारत-चीन सीमा विवाद और भविष्य में होने वाले सैन्य संघर्षों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और चीन की सेनाओं ने पिछले महीने डेमचोक और डेपसांग में अंतिम दो विवादित क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पूरी की। करीब साढ़े चार साल बाद इन क्षेत्रों में दोनों पक्षों ने नियमित गश्त फिर से शुरू की है।
कोविड महामारी के कारण 2020 में भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं, जो अब तक बहाल नहीं हुई हैं। उसी साल कैलाश मानसरोवर यात्रा भी रोक दी गई थी।
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में G-20 सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान कई अहम पहलुओं को लेकर चर्चा हुई है।
बता दें कि 21 अक्टूबर को भारत ने देपसांग और डेमचोक के विवादास्पद क्षेत्रों में एक पेट्रोलिंग समझौते की घोषणा की थी, जिसमें दोनों देशों की सेना को 2020 के स्थिति में लौटने के निर्देश दिए गए थे।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी। जयशंकर ने कहा कि प्राथमिकता सैनिकों को पीछे हटाने के तरीके खोजने की रही है।
भारत-चीन सीमा पर हालात अब सामान्य होने लगे हैं। दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने के बाद सोमवार को भारतीय सेना ने पांच पैट्रोलिंग प्वॉइंट्स में से एक पर गश्त की।
डेमचोक से सैनिकों की वापसी और गश्त फिर से शुरू होने के बाद भारतीय सेना ने आज देपसांग में भी गश्त बिंदुओं में से एक महत्वपूर्ण पॉइंट पर गश्त सफलतापूर्वक पूरी की।
एडवांस लैंडिंग ग्राउंड करीब 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर है जो चीन की सीमा एलएसी के काफी करीब है। इसके पूरा होने के बाद सेना के तेजी से मूवमेंट में आसानी होगी।
देश मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि भारतीय सैनिक एलएसी के डेमचोक और देपसांग इलाकों में गश्त कर रहे हैं ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि आपसी सहमति के तहत चीन ने अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।
LAC पर टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हटने के बाद भारतीय और चीनी सैनिकों ने गुरुवार को देपसांग और डेमचोक में क्षेत्रों में पैट्रोलिंग शुरू कर दी। इससे 2020 में हुई झड़प के बाद पहली बार स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है।
दिवाली की मिठास ने भारत और चीन के सैनिकों के बीच खटास को दूर किया। सीमाओं पर दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे को मिठाई बांटी और दिवाली की बधाई दी।
अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाली के लिए दोनों देशों की सेनाओं को अभी बहुत काम करना होगा, जिसमें समय लगेगा। टकराव पूरी तरह से खत्म तब माना जाएगा जब अतिरिक्त सेनाएं एलएसी से वापस लौटेंगी।
बुधवार को भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में भारत और चीन के बीच सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
समझौता केवल इन दो टकराव बिंदुओं के लिए हुआ था और अन्य क्षेत्रों के लिए बातचीत अब भी जारी है। यह भी बताया कि पिछले हफ्ते शुरू हुई सैन्य वापसी पूरी होने के बाद इन क्षेत्रों में गश्त शुरू हो जाएगी।
भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। डेमचौक और डेपसैंग में दोनों देशों की सेनाएं करीब-करीब अप्रैल 2020 से पूर्व की स्थिति में जा चुकी हैं।
चीन की सीमा पर तैनात जवानों को भारत खास तरीके की ट्रेनिंग दिलवा रहा है। भारत और चीन के बीच संबंधों को देखते हुए इस ट्रेनिंग को काफी अहम माना जा रहा है।
विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से चीन का जिक्र करते हुए कहा कि अगला कदम तनाव कम करना है, जो तब तक नहीं होगा जब तक भारत को यकीन नहीं हो जाता कि दूसरी तरफ भी यही हो रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत ने घोषणा की कि उसने पूर्वी लद्दाख में LAC पर गश्त करने को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर डिसइंगेजमें आज और कल में पूरा हो जाएगा। विदेश मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का यह पहला चरण है।
भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भारतीय सेना के बाद अब चीन की तरफ से भी इस बात की पुष्टि कर दी गई है। इसके मुताबिक मंगलवार को डेपसैंग के मैदानी इलाकों और डेमचोक में सैनिक पीछे हटे।
पुणे में छात्रों के साथ संवाद करते हुए जयशंकर ने कहा कि संबंधों के सामान्य होने में अभी समय लगेगा, क्योंकि विश्वास और सहयोग को दोबारा स्थापित करना लंबी प्रक्रिया है।
पहले अहमदाबाद और फिर महाबलीपुरम में PM मोदी ने तहेदिल से चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का स्वागत किया, लेकिन इस मुलाकात के कुछ ही महीने बाद चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया और गलवान घाटी झड़प हुई।
भारत और चीन के बीच 2020 से जारी सीमा विवाद पर सोमवार को समाधान की खबर सामने आई थी। अब चीन ने इस खबर पर मुहर लगाई है। वहीं भारतीय सेना प्रमुख ने कहा है कि चीन पर भरोसा करने में समय लगेगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर स्थिति मई 2020 से पहले जैसी हो गई है। इस सहमति को हम दोनों देश काफी पॉजिटिव रूप से देख रहे हैं। अब देखना यह है कि भविष्य में यह कितना आगे तक जाता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने साम्यवादी चीन की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर 27 सितंबर को शी को लिखे पत्र में कहा था कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण और स्थिर संबंधों की दिशा में काम करें।
पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच जारी सैन्य गतिरोध पर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि एलएसी पर स्थिति स्थिर है, लेकिन सामान्य नहीं है और संवेदनशील बनी हुई है।
यह नई फायरिंग रेंज उस समय सामने आई है जब मई-जून 2020 से चीन के साथ सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। भारतीय सेना की रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी तेजी से आधुनिक हो रही है और इसे एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरा किया जा रहा है।
भारत और चीन में एक बार फिर तनातनी सामने आई है। भारतीय पर्वतारोहियों द्वारा यहां एक अनाम चोटी का नाम द्वारा रखे जाने को लेकर चीन भड़क गया है।
हाल के महीनों में चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के बीच दो बार बैठकें हुई हैं, और कुछ दिन पहले चीनी राजदूत की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात हुई थी।
दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हित में है और यह क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है।