हमेशा पाकिस्तान का समर्थन करने वाला चीन भी इस उपलब्धि पर भारत की तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाया।
फोन में सेना द्वारा विकसित M-Sigma जैसे एप्लिकेशन हैं, जिसे व्हाट्सएप के समकक्ष माना जा रहा है। यह ऐप मैसेजेस, डॉक्यूमेंट्स, तस्वीरों और वीडियो को शेयर करने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित माना जा रहा है।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक आधिकारिक बयान के हवाले से बताया कि चीन सरकार ने यारलुंग जांग्बो नदी (ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम) के निचले इलाकों में एक जलविद्युत परियोजना के निर्माण को मंजूरी दे दी है।
भारत की सीमा पर चीन बांध बनाने की तैयारी में है। इस बांध के बनने के बाद पानी के बहाव के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर पड़ने की आशंका है। इस बांध से भारत के साथ-साथ बांग्लादेश पर भी असर पड़ेगा।
चीन AI-सक्षम हल्के कामिकाज ड्रोन को बड़ै पैमाने पर तैयार कर रहा है। यह कदम न केवल भारत के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, बल्कि अपने अजीज दोस्त पाकिस्तान के जरिए और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा सकता है।
India-China: 2016 में जब चीन ने भूटान के क्षेत्र में पहला गांव बनाया था तब से अब तक 22 गांव और बस्तियां बन चुकी हैं। इनमें करीब 2284 घर हैं। लगभग 7000 लोग इन इलाकों में बसाए गए हैं। रॉबर्ट बार्नेट ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इसकी बात की थी।
विशेष प्रतिनिधियों की बैठक 5 साल के बाद हो रही है। पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी। भारत-चीन के बीच विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बार बैठक की हैं।
एक तरफ चीन एलएसी पर से सैनिकों की वापसी के बाद भारत से दोस्ती चाहता है, मगर दूसरी तरफ भारत विरोधी बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के साथ याराना निभा रहा है।
जनरल चौहान का यह बयान भारत-चीन सीमा विवाद और भविष्य में होने वाले सैन्य संघर्षों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और चीन की सेनाओं ने पिछले महीने डेमचोक और डेपसांग में अंतिम दो विवादित क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पूरी की। करीब साढ़े चार साल बाद इन क्षेत्रों में दोनों पक्षों ने नियमित गश्त फिर से शुरू की है।
कोविड महामारी के कारण 2020 में भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं, जो अब तक बहाल नहीं हुई हैं। उसी साल कैलाश मानसरोवर यात्रा भी रोक दी गई थी।
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में G-20 सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान कई अहम पहलुओं को लेकर चर्चा हुई है।
बता दें कि 21 अक्टूबर को भारत ने देपसांग और डेमचोक के विवादास्पद क्षेत्रों में एक पेट्रोलिंग समझौते की घोषणा की थी, जिसमें दोनों देशों की सेना को 2020 के स्थिति में लौटने के निर्देश दिए गए थे।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी। जयशंकर ने कहा कि प्राथमिकता सैनिकों को पीछे हटाने के तरीके खोजने की रही है।
भारत-चीन सीमा पर हालात अब सामान्य होने लगे हैं। दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने के बाद सोमवार को भारतीय सेना ने पांच पैट्रोलिंग प्वॉइंट्स में से एक पर गश्त की।
डेमचोक से सैनिकों की वापसी और गश्त फिर से शुरू होने के बाद भारतीय सेना ने आज देपसांग में भी गश्त बिंदुओं में से एक महत्वपूर्ण पॉइंट पर गश्त सफलतापूर्वक पूरी की।
एडवांस लैंडिंग ग्राउंड करीब 13 हजार 700 फीट की ऊंचाई पर है जो चीन की सीमा एलएसी के काफी करीब है। इसके पूरा होने के बाद सेना के तेजी से मूवमेंट में आसानी होगी।
देश मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि भारतीय सैनिक एलएसी के डेमचोक और देपसांग इलाकों में गश्त कर रहे हैं ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि आपसी सहमति के तहत चीन ने अपने सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है।
LAC पर टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हटने के बाद भारतीय और चीनी सैनिकों ने गुरुवार को देपसांग और डेमचोक में क्षेत्रों में पैट्रोलिंग शुरू कर दी। इससे 2020 में हुई झड़प के बाद पहली बार स्थिति सामान्य होती नजर आ रही है।
दिवाली की मिठास ने भारत और चीन के सैनिकों के बीच खटास को दूर किया। सीमाओं पर दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे को मिठाई बांटी और दिवाली की बधाई दी।
अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाली के लिए दोनों देशों की सेनाओं को अभी बहुत काम करना होगा, जिसमें समय लगेगा। टकराव पूरी तरह से खत्म तब माना जाएगा जब अतिरिक्त सेनाएं एलएसी से वापस लौटेंगी।
बुधवार को भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में भारत और चीन के बीच सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई है।
समझौता केवल इन दो टकराव बिंदुओं के लिए हुआ था और अन्य क्षेत्रों के लिए बातचीत अब भी जारी है। यह भी बताया कि पिछले हफ्ते शुरू हुई सैन्य वापसी पूरी होने के बाद इन क्षेत्रों में गश्त शुरू हो जाएगी।
भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। डेमचौक और डेपसैंग में दोनों देशों की सेनाएं करीब-करीब अप्रैल 2020 से पूर्व की स्थिति में जा चुकी हैं।
चीन की सीमा पर तैनात जवानों को भारत खास तरीके की ट्रेनिंग दिलवा रहा है। भारत और चीन के बीच संबंधों को देखते हुए इस ट्रेनिंग को काफी अहम माना जा रहा है।
विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से चीन का जिक्र करते हुए कहा कि अगला कदम तनाव कम करना है, जो तब तक नहीं होगा जब तक भारत को यकीन नहीं हो जाता कि दूसरी तरफ भी यही हो रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत ने घोषणा की कि उसने पूर्वी लद्दाख में LAC पर गश्त करने को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर डिसइंगेजमें आज और कल में पूरा हो जाएगा। विदेश मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का यह पहला चरण है।
भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भारतीय सेना के बाद अब चीन की तरफ से भी इस बात की पुष्टि कर दी गई है। इसके मुताबिक मंगलवार को डेपसैंग के मैदानी इलाकों और डेमचोक में सैनिक पीछे हटे।
पुणे में छात्रों के साथ संवाद करते हुए जयशंकर ने कहा कि संबंधों के सामान्य होने में अभी समय लगेगा, क्योंकि विश्वास और सहयोग को दोबारा स्थापित करना लंबी प्रक्रिया है।
पहले अहमदाबाद और फिर महाबलीपुरम में PM मोदी ने तहेदिल से चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का स्वागत किया, लेकिन इस मुलाकात के कुछ ही महीने बाद चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया और गलवान घाटी झड़प हुई।