बिहार के चार लाख 79 हजार 698 किसानों को कनेक्शन देना है। एक लाख 65 हजार 881 किसानों को कनेक्शन दिया जाना लंबित है। बिजली कनेक्शन देने की रफ्तार काफी धीमी है। ऐसे में अगले दो साल में तय लक्ष्य के अनुसार सभी किसानों को कनेक्शन मिल जाए, इसमें संदेह है।
एलटी थ्री फेज में 20 किलोवाट का कनेक्शन लेने पर उपभोक्ताओं को 19 हजार 500 रुपए देने होंगे। इससे अधिक होने पर प्रति किलोवाट एक हजार अतिरिक्त देने होंगे। 50 मीटर की दूरी पर 4795 रुपए प्रति स्पैन देने होंगे।
बिहार में बिजली दर का स्लैब खत्म होगा। बिजली कंपनी ने बिहार विद्युत विनियामक आयोग को स्लैब खत्म करने का प्रस्ताव सौंपा। साथ ही पहली बार बिजली दर में कोई वृद्धि नहीं करने का भी प्रस्ताव दिया है। नई बिजली दर एक अप्रैल 2025 से लागू होंगी
छठ पूजा के दौरान राज्य में निर्बाध बिजली मिले, इसके लिए आज बिजली आपूर्ति के लिए की गई तैयारियों की समीक्षा भी की गई। राज्य की दोनों वितरण कंपनियों की टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। हर प्रमंडल में 24 घंटे कंट्रोल रूम सक्रिय रहेंगे।
बिहार में स्मार्ट मीटर के खिलाफ विपक्षी दलों के लगातार आंदोलन के बीच उत्तर बिहार बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड (NBPDCL) ने स्मार्ट मीटर से कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़कर एक दिन में रिचार्ज से 11 करोड़ की आय का कीर्तिमान रच दिया है। एक दिन में लगभग 4 लाख लोगों ने पेमेंट किया।
बिहार में एक तरफ बिजली के प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ राजनीतिक दल आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार इसे बचे हुए घरों में लगाने के अभियान में तेजी से जुटी है। सरकार ने अब बिजली कंपनियों को ग्राहकों से ऐप डाउनलोड कराने कहा है जिससे कम बैलेंस का नोटिफिकेशन सात दिन पहले भेजा सके।
बिहार में बिजली के प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर गांव-गांव में विरोध और बवाल के बीच बिजली वितरण कंपनियां हरकत में आ गई हैं। राज्य की दोनों पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने शनिवार को हर प्रखंड मुख्यालय में 7 घंटे का कैंप लगाने की घोषणा की है जहां उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान किया जाएगा।
एनटीपीसी बाढ़ की यूनिट संख्या चार तकनीकी कारणों (ओवरहॉलिंग) से बंद है। वहीं, केंद्रीय सेक्टर से कम बिजली मिलने के कारण बाजार से खरीदारी करके राज्य में लगभग पांच हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति की जा सकी।
एनटीपीसी के प्रवक्ता विश्वनाथ चंदन ने कहा कि बरौनी नौ और फरक्का चार ओवरहॉलिंग में है जिसके कारण बिहार को 400 मेगावाट बिजली नहीं मिल रही है। दोनों यूनिट आज-कल में चालू हो जाएंगी।
बिहार में बिजली आपूर्ति व्यवस्था में सुधार लाने और गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के लिए कंपनी हर अंचल में औसतन 300 करोड़ खर्च करेगी। सूबे की बिजली आपूर्ति नेटवर्क को मजबूत करने पर 6641 करोड़ खर्च होंगे।
एक स्लैब होने से उपभोक्ताओं को लाभ होगा। मसलन ग्रामीण इलाकों के घरेलू उपभोक्ताओं को एक से 50 यूनिट के बीच बिजली खपत करने पर 2.60 रुपये प्रति यूनिट तो इससे अधिक खपत करने पर तीन रुपये देने पड़ रहे हैं।
अभी समय पर बिजली बिल जमा पर डेढ़ फीसदी की छूट मिल रही है। ऑनलाइन जमा करने पर एक फीसदी अतिरिक्त छूट मिलती है। ग्रामीण इलाकों में ऑफलाइन लगातार 3 माह बिल जमा करने पर एक फीसदी की अतिरिक्त छूट है।
उपभोक्ताओं को यह राहत इस साल 200 यूनिट से अधिक वाले स्लैब के हटने पर मिली है। घरेलू में इस बार दो स्लैब एक से 100 यूनिट और 100 यूनिट से ऊपर रखे गए हैं। पिछले साल तीन स्लैब थे।
सीएम नीतीश ने कहा कि पिछले दिनों जो बिजली की दरें बढ़ाने का फैसला लिया गया, उसका असर राज्य के उपभोक्ताओं को नहीं होगा। सरकार इसका खर्च वहन करेगी। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद ने इसके संकेत दे दिए थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार सरकार बिजली बिल पर अभी 8,895 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है, जिसे बढ़ाकर 13,114 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
बिहार विधानसभा के पोर्टिको में बीजेपी विधायकों ने हाथों में तख्तियां लेकर नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बीजेपी विधायकों ने मांग की है कि बिजली की कीमत बढ़ाने के फैसले को सरकार वापस ले।
बिहार विद्युक नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 24.01 फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला सुनाया है। हालांकि, बिजली कंपनियों ने रेट 53.62 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था।
सूत्रों के मुताबिक आयोग की ओर से गुरुवार को राज्य में बिजली की नई दरें जारी की जाएंगी। नई दरें मौजूदा वित्त वर्ष के लिए लागू होंगी। बिजली कंपनियों ने फिक्स्ड चार्ज को भी लगभग दोगुना करने की मांग की।
बिजली कंपनियों ने इस बार 40 फीसदी तक बिजली दर में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा कंपनियों ने फिक्सड चार्ज में भी बढ़ोतरी करने की मांग की है।
कैंप में सभी विद्युत आपूर्ति शाखा एवं सभी विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल को भी शामिल किया गया है। बिजली कंपनी के अनुसार यह प्रयास रहेगा कि कैंप स्थल पर ही प्राप्त शिकायतों का सुधार हो जाए।
जिस उपभोक्ता की मृत्यु साल 2012 में हो गयी थी, उनके नाम पर 2018 में बिजली कनेक्शन देने की जानकारी देते हुए 142031 का बिल भेज दिया गया। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का यह चौंकाने वाला मामला है।
बिजली कंपनी की दलील पर आयोग ने सभी पक्षों के विचार लिए। पिछले सप्ताह आयोग ने कंपनी की इस याचिका पर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को इस बाबत आदेश जारी कर दिया गया।
कंपनी की दलील थी कि आयोग ने अपने निर्णय में राज्य सरकार की ओर से मिले 1200 करोड़ के अनुदान की गणना नहीं की है। इससे कंपनी की आमदनी अधिक हो गई। इस अनुदान को शामिल कर लिया जाए तो कंपनी घाटे में रहेगी।
बिहार में बिजली व्यवस्था और आपूर्ति को लेकर अब कंपनियों एक्शन में आ रही हैं। बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने और टेक्निकल घाटे को कम करने के लिए बिजली वितरण कंपनियां 9000 करोड़ खर्च करेंगी।
अक्सर यह हो रहा है कि उपभोक्ताओं को एक साथ 20-30 हजार का बिजली बिल दे दिया जा रहा है। ऐसे में जो उपभोक्ता 1000 रुपए से कम महीने का बिजली बिल जमा कर रहे होते हैं। उनके लिए बिजली बिल आफत बन जाती है।
एनटीपीसी की चार इकाई पहले से ही शेड्यूल मेंटेनेंस के कारण बंद है। जबकि बाढ़ की यूनिट संख्या पांच शाम में ट्यूब लिकेज के कारण बंद हो गई। केंद्रीय सेक्टर से बमुश्किल 4000 मेगावाट ही बिजली कम मिल सकी।
बिहार में घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 90 फीसदी है। औद्योगिक कनेक्शन की संख्या कम होने से हम चौबीसों घंटे अधिक बिजली ले नहीं सकते हैं। हमारा मकसद बिजली बेचकर मुनाफा कमाना नहीं होता।
एनटीपीसी की तीन इकाइयों के बंद होने से शनिवार को बिहार में बिजली की किल्लत हो गई। मांग से करीब 800 मेगावाट बिजली कम मिलने के कारण राज्य के दर्जनों ग्रिड को लोडशेडिंग में रखना पड़ा।
बिहार में बिजली की भारी किल्लत है। एनटीपीसी की यूनिट्स बंद होने से बिजली की सप्लाई कम हो गई है। ऐसे में 10-10 घंटे तक कटौती करनी पड़ रही है।
बिहार में बिजली के दाम में बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव पर 5 अगस्त को सुनवाई होगी। राज्य की बिजली कंपनियों ने नुकसान की भरपाई के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी की मांग की है।