पेपर लीक केस में EOU की रडार पर आ गए हैं कई डॉक्टर, पैसों के लिए बने संजीव मुखिया के सॉल्वर
ईओयू सूत्रों के मुताबिक, नए बहाल इन डॉक्टरों को परीक्षा के दौरान वास्तविक अभ्यर्थी के डमी के रूप में बिठाया जाता था। बदले में उनको पांच से छह लाख रुपये दिये जाते थे। इस दौरान परीक्षा केंद्रों को भी मैनेज रखा जाता था।

नीट यूजी, सिपाही भर्ती समेत विभिन्न पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया ने पैसे के बल पर अभ्यर्थियों को मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) पास कराने के लिए सॉल्वर गैंग बना रखा है। इस गैंग से कई डॉक्टर जुड़े हैं, जो राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कार्यरत हैं। मास्टरमाइंड मुखिया ने आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की पूछताछ में खुद इसकी जानकारी दी है। जाहिर है इस खुलासे के बाद कई डॉक्टर भी अब EOU के रडार पर आ सकते हैं। आने वाले दिनों में आर्थिक अपराध शाखा की टीम इन डॉक्टरों से भी अहम पूछताछ कर सकती है। ईओयू ने न्यायालय की मंजूरी के बाद सोमवार को संजीव मुखिया को फिर दो दिन के लिए रिमांड पर लिया है।
मंगलवार को उससे पूरे दिन पूछताछ के बाद बुधवार दोपहर बाद वापस जेल भेज दिया जाएगा। ईओयू सूत्रों के मुताबिक, नए बहाल इन डॉक्टरों को परीक्षा के दौरान वास्तविक अभ्यर्थी के डमी के रूप में बिठाया जाता था। बदले में उनको पांच से छह लाख रुपये दिये जाते थे। इस दौरान परीक्षा केंद्रों को भी मैनेज रखा जाता था। ईओयू की पूछताछ में संजीव मुखिया के अंतरराज्यीय नेटवर्क को भी खंगालने की कोशिश की गयी।
ईओयू के अधिकारियों ने पूछा कि उसने दूसरे राज्यों में पेपर लीक गिरोह का नेटवर्क कैसे तैयार किया? इस नेटवर्क में किसकी क्या भूमिका थी? बिहार में हुई पेपर लीक की घटनाओं में उसकी संलिप्तता किस तरह से रही? सिपाही बहाली का प्रश्न पत्र कोलकाता प्रिंटिंग प्रेस से लीक कराने के सवाल पर उसने पहले आनाकानी की। मगर ईओयू अधिकारियों ने जब उसे इलेक्ट्रॉनिक सबूत दिखाये तो फिर इनकार नहीं कर सका।