पटना और औरंगाबाद के बाद एक मार्च से पूरे बिहार में ड्राइविंग टेस्ट के नियम बदल जाएंगे। जिसमें ऑटोमैटिक टेस्टिंग ट्रैक ट्रायल अनिवार्य होगा। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में आवेदकों को टेस्ट देना होगा। नई व्यवस्था से ड्राइविंग लाइसेंस में पारदर्शिता बढ़ेगी।
एडीजी ट्रैफिक सुधांशु कुमार ने बताया कि नियमानुसार तीन बार यातायात नियम तोड़ने पर ड्राइविंग लाइसेंस तीन महीने के लिए रद्द किया जा सकता है। इसके बाद भी ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने से बाज नहीं आने वालों का ड्राइविंग लाइसेंस हमेशा के लिए रद्द किया जा सकते हैं या सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
पुलिस अब ट्रैफिक नियम तोड़ने का रिकॉर्ड बनाने वाले ड्राइवरों का सिर्फ ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं रद्द करेगी बल्कि उन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल करवाएगी। गोरखपुर में 21 वाहनों का आरसी कैंसिल करने के लिए पुलिस ने आरटीओ को चिट्ठी लिखी है।
पुलिस का कहना है कि रात के समय नशे में वाहन चलाने वालों को पकड़ने के लिए चौराहों पर एल्कोमीटर से जांच होती है। बीते सोमवार की देर रात कार हादसे के बाद अफसरों ने एल्कोमीटर से जांच पर सख्ती की है।
लोग पड़ोसी राज्य में जाकर मामूली कागजात की व्यवस्था कर काफी आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस बनवा कर चले आ रहे हैं। इससे राजस्व की तो क्षति हो ही रही है। साथ ही संसाधन का भी दुरुपयोग हो रहा है।
परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक में बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें पता चला है कि बिहार में हर छठा ड्राइवर नाबालिग है, हर 11वां वाहन चालक बिना लाइसेंस के वाहन चला रहा है।
स्कूल खुलते ही सड़कों पर नाबालिग लड़के-लड़कियां वाहनों से फर्राटा भरने लगे हैं। ऐसे गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ एक बार फिर ट्रैफिक पुलिस सख्ती करने के साथ ही चेकिंग अभियान चलाने जा रही है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत सात जिलों के निवासियों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए रायबरेली आना होगा। रायबरेली में खुले आईडीटीआर में टेस्ट और प्रशिक्षण के बाद ड्राइविंग लाइसेंस जारी होगा।
ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड से जुड़े कुछ नियमों में जून महीने में बदलाव होने जा रहा है। अब नजदीकी ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों में भी ड्राइविंग टेस्ट देने का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा आधार फ्री में अपडेट करवाने की लास्ट डेट जून में है।
देश में इस बात को लेकर आचोलना होती है कि ड्राइविंग लाइसेंस पाने की प्रक्रिया बोझिल है। आवेदकों को इसके लिए कई सारे फॉर्म भरने होते हैं और अलग-अलग अधिकारियों से संपर्क करना पड़ता है।