अलीगढ़ रोड स्थित रुहेरी स्थित 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र दशकों बाद भी बदहाल पड़ा हुआ है। बिजलीघर में जगह-जगह कूड़ा कचरा और भुस भरा हुआ है। बिजलीघर में लगे ट्रांसफॉर्मर व अन्य उपकरण जर्जर होते जा रहे हैं।
किसी भी आपात स्थिति चाहे वो प्राकृतिक आपदा हो, तकनीकी संकट या युद्ध जैसी परिस्थितियां। इससे निपटने के लिए मॉक ड्रिल यानी पूर्वाभ्यास बेहद जरूरी हो गया है। इसमें प्रशासनिक एजेंसियों के साथ-साथ आमजन की भागीदारी भी अहम मानी जाती है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान के कारोबारी इन दिनों काफी समस्या से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि ऑन लाइन ने उनका कारोबार पूरी तरह से चौपट कर दिया। जिसके चलते आज व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया। ऑन लाइन घर बैठे ही ग्राहक को सभी सामान उपलब्ध होने की वजह से ग्राहक अब बाजार में नहीं आते हैं।
कभी शहर के हलवाई खाना की पहचान यहां भट्ठियों पर तैयार होने वाले बूरे की मिठास से होती थी। हलवाई खाना बाजार न केवल स्थानीय व्यापारियों के लिए बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों की व्यापारिक गतिविधियों का भी केंद्र रहा है।
हाथरस: खेलों को लेकर सरकार निरंतर अच्छे कार्य कर रही है,लेकिन जिले स्तर पर खिलाड़ियों को आज भी मूलभूत सुविधाओं के न होने के कारण जूझ रहे हैं। क्रिकेट आज लोकप्रिय खेलों में शामिल है। इस खेल के जरिए छोटे छोटे शहरों से खिलाड़ी निकलकर आइपीएल में अपना जौहर बिखेर रहे है।
प्रमुख से लेकर क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चुनाव के समय में ही वाष्र्णेय समाज की याद आती है, चुनाव बीतने के बाद सभी लोग वाष्र्णेय समाज भूल जाते हैं। शहर में 40000 हजार से अधिक उनकी आबादी होने के बाद भी किसी भी राजनीतिक दल ने उने समाज के व्यक्ति को चुनावों में टिकट नहीं दिया।
काका की नगरी में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। एक खोजों तो एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं सामने आती है। ये खेल प्रतिभा विषम परिस्थिति में भी कड़ी मेहनत करने के साथ खुद को हुनरबंद बनाया है। केवल ये सोचकर खुले आसमान के नीचे घंटों पसीना बहाया है कि एक दिन उनकी भी किस्मत चमकेगी।
अपने एक दांव से किसी को भी चारों खाने चित कर देने वाले ब्रज की द्वारा देहरी कहे जाने वाले हाथरस जिले के पहलवान सुविधाएं न मिल पाने से परेशान हैं। पहलवान कुश्ती में दम दिखाने के लिए रोजाना अखाड़े जाते हैं। कड़ी प्रेक्टिस करके घंटों पसीना बहाते हैं। उम्मीद बस यही रहती है कि उनकी ये मेहनत रंग लाए।
शहर के ढकपुरा रोड स्थित दस साल पहले बनी आसरा कॉलोनी में आज भी भूलभूत सुविधाओं की कमी है। विद्युत आपूर्ति से लेकर पेयजल संकट का लोगों को सामना करना पड़ रहा है। कॉलोनी में साफ-सफाई की स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है। महीने में कभी-कभी सफाई कर्मचारी आ जाते हैं तो साफ-सफाई हो जाती है।
नगर पालिका परिषद के सीमा विस्तार के बाद बने नये वार्ड नंबर 24 तरफरा की लगभग 14000 की आबादी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में नारकीय जीवन जीनू को मजबूर है। वार्ड के गली-मोहल्ले में खस्ताहाल सड़क, पेयजल, गंदगी और जलभराव की गंभीर समस्या बनी हुई है।