बोले हाथरस: आप न करना कोई चूक, तब होगी सुरक्षा अचूक
किसी भी आपात स्थिति चाहे वो प्राकृतिक आपदा हो, तकनीकी संकट या युद्ध जैसी परिस्थितियां। इससे निपटने के लिए मॉक ड्रिल यानी पूर्वाभ्यास बेहद जरूरी हो गया है। इसमें प्रशासनिक एजेंसियों के साथ-साथ आमजन की भागीदारी भी अहम मानी जाती है।
मॉक ड्रिल सिर्फ एक औपचारिकता नहीं। वह प्रशिक्षण है जो वास्तविक संकट के समय जान बचाने में सहायक बनता है। वर्तमान में भारत-पाकिस्तान सीमा पर विवाद के बीच सिविल डिफेंस, आपदा प्रबंधन, और फायर विभाग आदि को विषम परिस्थितियों से निपटने को तैयार किया जा रहा है।
प्रशासन की ओर से समय-समय पर सिविल डिफेंस, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, एसपीओ और अन्य सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि सिर्फ सुरक्षाबलों को तैयार कर देना काफी नहीं है। जब तक आम जनता को भी आपातकालीन स्थिति में क्या करना है, इसका स्पष्ट ज्ञान नहीं होगा, तब तक किसी भी तैयारी को मुकम्मल नहीं माना जा सकता।
युद्धकालीन या आपदा की स्थिति में कई बार संचार प्रणाली फेल हो जाती है। रास्ते बंद हो जाते हैं और अफरा-तफरी का माहौल बनता है। ऐसे में जागरूक और प्रशिक्षित नागरिक ही एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं। मॉक ड्रिल का मकसद यही होता है कि नागरिकों को यह सिखाया जाए कि संकट के समय घबराएं नहीं। निर्धारित प्रक्रिया के तहत खुद को और दूसरों को सुरक्षित करें। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल, कॉलेज, बाजार, कार्यालय और रिहायशी कॉलोनियों में समय-समय पर मॉक ड्रिल कराई जानी चाहिए। इससे सभी आयु वर्ग के लोग यह जान पाते हैं कि भूकंप, बाढ़, आगजनी या हवाई हमले जैसी स्थिति में उन्हें कहां जाना है, क्या करना है और क्या नहीं करना है। हाथरस प्रशासन भी इसी दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है। हाल ही में कई शैक्षणिक संस्थानों और बाजारों में मॉक ड्रिल कराई गईं। जिसमें सिविल डिफेंस और आपदा प्रबंधन टीमों ने आम नागरिकों को जागरूक किया। यह कवायद आगे भी चलती रहेगी, लेकिन इसके लिए हर नागरिक की भागीदारी और गंभीरता अनिवार्य है।
सिविक सेंस
नागरिकों के जीवन में सिविक सेंस का अहम महत्व होता है। इसका पालन सभी नागरिक को करना चाहिए। खासकर आपात स्थिति में जब सरकार नागरिकों को लेकर सार्वजनिक रूप से दिशा निर्देश जारी करे। वर्तमान में जिस तरह से भारत पाकिस्तान के आंतकी अड्डों पर हमले कर उनको नष्ट किया है। उसी तरह से समाज के नागरिकों की जिम्मेदारी बनती है वह अपना कर्तव्य निभाएं। सरकार की गाइड का लाइन का पूरा पालन करें। इसमें कानून का पालन करें, दूसरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना, सार्वजनिक संपत्ति की देखभाल करना और अपने समुदाय के प्रति जिम्मेदारी का प्रदर्शन करें। यह एक सामाजिक नैतिकता है जो समाज में लोगों द्वारा पालन की जानी चाहिए। हमें सभी के साथ सहयोग करने और समाज के विकास में मदद करने की आवश्यकता है। ऐसे में समय में यह हमें समझने में मदद करता है कि कानून हमारे समाज को कैसे आकार देते हैं। एनसीसी कैडेटों को हमेशा सिविल सेंस का बोध कराया जाता है।
निष्कर्ष:- सिविक सेंस पर पूरे साल विशेष शिविर लगाए जाते हैं। वर्तमान में इस अधिक जोर दिया जाएगा। कैंपों में सिविक सेंस की जानकारी दी जाएगी।
बिजली
मनीष कुमार, अधीक्षण अभियंता
सुरक्षित रहना है तो ब्लैक ऑउट नियमों का करें पालन करना होगा। हमले और युद्ध के दौरान ब्लैक आउट नीति बेहद कारगर साबित होती है। इससे पूर्व हुए हमलों और युद्ध में इस नीति को आजमाया जा चुका है। दुश्मन के विमान जब आसमान से निगरानी करते हैं तो उनका लक्ष्य रोशनी वाली जगह होती है। ब्लैक आउट कब होगा उससे पहले सायरन से सूचित किया जाता है। सायरन की आवाज सुनते ही घर और आसपास की लाइट को बंद कर दें। ब्लैक आउट के नियम ही हमें ऐसी स्थिति में सुरक्षित रखेंगे। साथ ही विभाग को ऐसी स्थिति में विद्युत आपूर्ति व्यवस्था को बहाल रखने के निर्देश दिए गए हैं। विभाग द्वारा मिनी मॉकड्रिल आयोजित कर सभी कमियों को परखा गया है। जहां कमियां मिली उन्हें सुधारा जा रहा है।
निष्कर्ष: आपात स्थिति से निपटने के लिए लोग तैयार रहें। पावर कारपोरेशन पूरी तरह से इसको लेकर तैयार है। निर्देश मिलते ही ब्लैक आउट होगा।
जागरूकता
डॉ. बसंत अग्रवाल, एडीएम प्रशासन
वर्तमान हालात को लेकर सभी कोर नागरिक सुरक्षा ग्रुपों को सक्रिय कर दिया गया है। सिविल डिफेंस, एनसीसी, नेहरू युवा केंद्र समेत अन्य को समय समय पर आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। वालेंटियर सभी प्रशिक्षण से लैस हैं। वह अब जिले में मौजूदा हालात से नागरिकों को जागरूक कर रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने व फेंक सूचनाओं से सतर्क रहने के बारे में बताया जा रहा है। वालेंटियर यह भी बता रहे हैं कि अफवाह पर ध्यान नहीं देना है। केंद्र व राज्य की ओर से जारी गाइड लाइन का पूरा पालन करना है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोई ऐसी सामग्री व सूचना नहीं डालनी है जिससे लोगों पैनिक पैदा हो। टोली बनाकर जगह जगह वालेंटियर जा रहे हैं और मौजूदा हालात के बारे में बता रहे हैं।
निष्कर्ष: सूचना के बहुत सारे माध्यम से हैं लोग उसके जरिए भी स्वयं को अपडेट रखें। पुलिस प्रशासन अधिक से अधिक सूचनाएं पहुंचाने का काम कर रहा है। जरूरत पड़ी तो सभासद और प्रधान को भी शामिल किया जाएग।
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