लक्ष्य सेन को बर्थ सर्टिफिकेट मामले में मिली राहत, आखिर सुप्रीम कोर्ट ने जालसाजी पर क्या कहा?
- लक्ष्य सेन के जन्म रिकॉर्ड के संबंध में आरोप है कि आरोपियों ने कथित तौर पर लक्ष्य और चिराग सेन के जन्म प्रमाण पत्र में करीब दो साल छह महीने की उम्र घटा दी, जिससे वे आयु-सीमित बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग ले सकें और सरकारी लाभ प्राप्त कर सकें।

बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन, उनके परिवार और उनके कोच विमल कुमार पर जन्म प्रमाण पत्र में हेराफेरी करने के आरोप लगे हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आयु-समूह टूर्नामेंटों के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनाने के आरोप में लक्ष्य सेन, चिराग सेन, उनके माता-पिता और कोच यू विमल कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया था। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक पुलिस को बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन, उनके परिवार के सदस्यों और कोच के खिलाफ जन्म प्रमाणपत्र में जालसाजी के आरोपों पर कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कर्नाटक सरकार और शिकायतकर्ता एम जी नागराज को नोटिस जारी किया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि सेन और उनके भाई चिराग सेन के जन्म प्रमाण पत्र जाली हैं। शीर्ष अदालत कर्नाटक उच्च न्यायालय के 19 फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सेन, उनके परिवार के सदस्यों और उनके कोच यू विमल कुमार द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मामले की जांच के लिए प्रथम दृष्टया सबूत मौजूद हैं। यह मामला नागराज द्वारा दायर एक निजी शिकायत से उपजा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेन के माता-पिता धीरेंद्र और निर्मला सेन, उनके भाई, कोच तथा कर्नाटक बैडमिंटन एसोसिएशन के एक कर्मचारी जन्म रिकॉर्ड में हेराफेरी करने में शामिल थे।
शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने कथित तौर पर सेन भाइयों के जन्म प्रमाणपत्रों में हेराफेरी की और उनकी उम्र लगभग ढाई साल कम दिखाई गई। आरोपों के अनुसार कथित जालसाजी इसलिए की गई ताकि वे आयुसीमा वाले बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग ले सकें और सरकारी लाभ प्राप्त कर सकें।
नागराज ने आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेजों को अपने दावों के समर्थन में पेश किया और अदालत से भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) और नई दिल्ली स्थित युवा मामले एवं खेल मंत्रालय से मूल रिकॉर्ड तलब करने का अनुरोध किया।
इस साक्ष्य के आधार पर, अदालत ने हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन को जांच करने का निर्देश दिया। अदालत के निर्देश के बाद, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेजों को असली के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने 2022 में कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसके एक अंतरिम आदेश पर जांच को रोक दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि शिकायत और उसके बाद की प्राथमिकी निराधार थी और उनका उद्देश्य उन्हें परेशान करना था।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।