त्रिपुरा के डिप्टी सीएम जिष्णु देव बर्मन के नाम से आईएएस व आईपीएस से लाखों रुपये ठगे, यूं धरे गए चित्तौड़गढ़ के बदमाश
त्रिपुरा के डिप्टी सीएम जिष्णु देव बर्मन के नाम से आईएएस ऑफिसर को पैसे भेजने का मैसेज मिला, उन्होंने रुपये ट्रांसफर कर दिए। कुछ दिन बाद डिप्टी सीएम को अफसर ने फोन किया तो ठगी के बारे में पता चला।
त्रिपुरा राज्य के डिप्टी सीएम जिष्णु देव बर्मन के नाम से आईएएस और आईपीएस अफसरों ने लाखों रुपये ठगी का मामला सामने आया है। त्रिपुरा की पुलिस टीम ने चित्तौड़गढ़ में दबिश दी और पांच आरोपियों को चित्तौड़गढ़ साइबर सेल की मदद से गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों को सदर पुलिस स्टेशन की कस्टडी में रखा गया है। अगरतला के डिप्टी एसपी निर्देश देब गुरुवार को चित्तौड़गढ़ पहुंचे और उन्होंने आरोपियों से पूछताछ की।
पुलिस के मुताबिक चित्तौड़गढ़ निवासी राजू जाट, भैरू सिंह,माहीवर्धन सिंह राणावत, नवनीत सिंह,नितेश मेनारिया को हिरासत में रखा गया है। चित्तौड़गढ़ आए त्रिपुरा अगरतला के क्राइम ब्रांच यूनिट के डिप्टी एसपी निर्देश देब ने बताया कि एक बदमाश राजू जाट के अकाउंट की जांच की गई है, उसने 8 लाख रुपए का फ्रॉड किया है। बाकी सभी के अकाउंट की जांच जारी है। इसमें करोड़ों रुपये का फ्रॉड सामने आ सकता है।
डिप्टी सीएम के नाम से ऐसे की धोखाधड़ी
साइबर क्राइम यूनिट त्रिपुरा के अगरतला के डिप्टी एसपी निर्देश देब ने बताया कि त्रिपुरा के डिप्टी सीएम जिष्णु देब वर्मा के नाम से एक सीनियर आईएएस ऑफिसर के नंबर पर व्हाट्सएप मैसेज भेजा गया कि यह मेरा नया नंबर है। एक बैंक का अकाउंट नंबर भी भेजा और कहा कि इस नंबर पर रुपये ट्रांसफर कर दीजिए। मीटिंग के बाद वह रुपये वापस लौटा देंगे। आईएएस ऑफिसर ने रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद वह उनके फोन का इंतजार करते रहे। कई दिनों तक डिप्टी सीएम का कोई जवाब नहीं आया। इस पर आईएएस ऑफिसर ने उनसे पूछा, तब खुलासा हुआ कि उन्होंने तो कोई नंबर ही नहीं बदला है।
बदमाशों की मोडस ऑपरेंडी
मामला सामने आने के बाद जांच में पता चला कि चित्तौड़गढ़ के रहने वाले राजू जाट के अकाउंट में रुपये ट्रांसफर करवाए गए थे। पूछताछ में राजू जाट ने बताया कि अकाउंट में जो मोबाइल नंबर जोड़ा गया था वो नगर पालिका कॉलोनी माहीवर्धन सिंह राणावत के नाम पर है। दूसरे शख्स भैरूसिंह राजपूत ने माही के कहने पर राजू को ऑनलाइन अकाउंट खोलने को कहा था। इस पर राजू ने अकाउंट खोला। उसमें माही वर्धन का नंबर दिया ताकि एकाउंट माही ही चला सके। आरोपियों ने एक वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाया था। जिसमें बड़े-बड़े आईएएस और आईपीएस ऑफिसरों को जोड़ा गया था। डीपी में त्रिपुरा के सीएम और डिप्टी सीएम का फोटो लगाया फिर ऑफिसरों को मैसेज भेजे गए। कुछ ऑफिसर झांसे में भी फंस गए।
जूपिटर और एफ-1 प्लेटफार्म पर खोला एकाउंट
अकाउंट खोलने के बाद माही वर्धन ने भैरू को 5 हजार रुपये दिए। भैरू ने 2 हजार रुपए कमीशन के तौर पर अपने पास रखे और राजू को 3 हजार रुपये दे दिए। बाद में पता चला कि भैरू ने और दो नए अकाउंट जूपिटर और एफ-1 प्लेटफॉर्म पर माही के कहने से खोले। इसके लिए माही से उसने 10 हजार रुपये ले लिए थे। भैरू ने इन दो अकाउंट्स को माही को हैंडओवर कर दिया। माही ने अकाउंट आदर्श कॉलोनी निवासी नवनीत सिंह को बेच दिया। नवनीत ने इसे खरीद कर उड़ीसा के किसी परितोष सुंदर को बेच 20 हजार रुपये में बेच दिया। इस बीच जो सिम यूज किया जा रहा था वह सैगवा हाउसिंग बोर्ड निवासी नितेश मेनारिया पुत्र सोहन लाल मेनारिया का निकला।
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