सिर पर शिवजी के नाग की आकृति। हाथ में शिव का डमरू और शरीर पर रुद्राक्ष। यह नागा संन्यासी रुद्राक्ष बाबा के नाम से मशहूर हैं।
सुबह नागा संन्यासी धूनी रमाते हैं, जो पूरे दिन जलती रहती है। इस दौरान भक्तों का आना-जाना भी लगा रहता है।
महाकुंभ में पहुंचे नागा संन्यासी खुद को देश-दुनिया की खबरों से भी अपडेट रखते हैं। अब इस नागा संन्यासी को ही देखिए, सुबह-सुबह अखबार में खबरें देखने लगे।
इस युवा नागा संन्यासी ने बाघंबरी छाल पहन रखी है।
इस नागा संन्यासी ने खुद को रुद्राक्ष मालाओं से ढंक रखा है। उनका कहना है कि उन्होंने कुल सवा लाख रुद्राक्ष धारण कर रखे हैं।
इस नागा संन्यासी ने अपने सामने लगा रखा है त्रिशूल और उसके ऊपर रखा है शिव का डमरू।
नागा संन्यासी स्नान के बाद अपने शरीर पर भभूति लगाते हैं। उनका कहना है कि यह भभूति खास ढंग से तैयार की जाती है और इससे उन्हें ठंड नहीं लगती है।
महाकुंभ में पहुंचे इन नागा साधु ने भभूति के साथ फूलों से भी श्रृंगार कर रखा है। उन्होंने खुद के साथ त्रिशूल को भी फूल से सजाया है।
संगम पर पहुंचे नागा साधु बिल्कुल अलमस्त अंदाज में नजर आ रहे हैं।