भारत के पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग के नाम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी इतिहास में सबसे तेज सेंचुरी ठोकने का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने 2002 में कोलंबो में इंग्लैंड के खिलाफ बेहद घातक 'विस्फोट' किया था। सहवाग ने महज 77 गेंदों में शतक कंप्लीट कर लिया था। उन्होंने 270 के लक्ष्य का पीछा करते हुए 104 गेंदों में 126 रन की पारी खेली थी। उन्होंने 21 चौके और एक छक्का मारा था। भारत ने 8 विकेट से मैच जीता।
लिस्ट में दूसरे नंबर पर श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर तिलकरत्ने दिलशान हैं। उन्होंने सेंचुरियन में 2009 चैंपियंस ट्रॉफी में साउथ अफ्रीका के विरुद्ध 89 गेंदों में शतक जमाया था। दिलशान ने 92 गेंदों में 16 चौकों और एक छक्के की मदद से 106 रन पारी खेली थी। श्रीलंका ने 319/8 का स्कोर बनाने के बाद साउथ अफ्रीका को 55 रनों से मात दी।
इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज मार्कस ट्रेस्कोथिक ने 2002 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 89 गेंदों में सैकड़ा पूरा किया था। उन्होंने कोलंबो के मैदान पर 102 गेंदो में 119 रन जुटाए थे, जिसमें 11 चौके और दो सिक्स शामिल हैं। इंग्लैंड ने 298/8 का स्कोर खड़ा करने के बाद 108 रनों से मुकाबला जीता।
इंग्लैंड के पूर्व धाकड़ ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ चौथे पायदान पर हैं। उन्होंने 2004 में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी में श्रीलंका के सामने 89 गेंदों में जड़ा था। फ्लिंटॉफ ने साउथेम्प्टन के स्टेडियम में 91 गेंदों में 9 चौकों और 3 छक्कों के दम पर 104 रनों की पारी खेली। इंग्लैंड 251/7 का स्कोर बनाने के बाद डकवर्थ लुईस मेथड के चलते 49 रनों से जीता।
साउथ अफ्रीका के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर जैक्स कैलिस ने 1998 में श्रीलंका के विरुद्ध 91 गेंदों में सेंचुरी पूरी की थी। उन्होंने ढाका के मैदान पर 100 गेंदों में 5 चौकों और 5 छक्कों की मदद से 113 रन बटोरे। साउथ अफ्रीका ने डकवर्थ लुईस मेथड के चलते 92 रनों से अपने नाम किया। बारिश से प्रभावित मैच में साउथ अफ्रीका ने 240/7 का स्कोर खड़ा किया था।
लिस्ट में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर फिसड्डी हैं। वह 95 गेंदों में शतक ठोककर छठे स्थान पर हैं। उन्होंने 1998 में चैंपियंस ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐसा किया था। सचिन ने ढाका के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के सामने 128 गेंदों में 141 रनों की पारी खेली, जिसमें 13 चौके और 3 सिक्स शामिल हैं। भारत ने 307/8 का स्कोर बनाया और ऑस्ट्रेलिया को 44 रनों से रौंदा।