सनातन धर्म में सभी व्रतों में सकट चौथ व्रत का बड़ा महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 17 जनवरी 2025 को सकट चौथ व्रत रखा जाएगा। यह व्रत महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए करती हैं। इस दिन विधिविधान से गणेशजी की पूजा-आराधना की जाती है। निर्जला व्रत रखा जाता है और उन्हें तिल-गुड़ से तैयार प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
सकट चौथ के दिन गणेशजी की पूजा के साथ चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है और चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को जल अर्घ्य दिया जाता है। इसके बिना व्रत अधूरा यमाना जाता है। सकट चौथ व्रत के अन्य नियम भी है, जिसका पालन करना बेहद जरूरी होता है। आइए जानते हैं सकट चौथ यव्रत के नियम...
सकट चौथ का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दिन चंद्रदेव को जल अर्घ्य देने के बाद ही कुछ ग्रहण किया जाता है। इसलिए सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना कुछ ग्रहण न करें। हालांकि,तबियत खराब होने पर फलाहार व्रत रख सकते हैं।
सकट चौथ व्रत में व्रती को अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और न ही घर के बड़े-बुजुर्गों का अपमान करना चाहिए।
सकट चौथ व्रत के दिन मन में किसी प्रकार का द्वेष या ईर्ष्या न रखें। इस दिन व्रत को किसी की भी बुराई करने से बचना चाहिए और गणेशजी का ध्यान करना चाहिए।
सकट चौथ व्रत में काले रंग के कपड़े धारण करने से बचना चाहिए। इस दिन व्रती को पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना चाहिए।
सकट चौथ के दिन व्रती के साथ परिवार के अन्य सदस्यों को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इसलिए तामसिक भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
सकट चौथ व्रत में साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। इस दिन गणेशजी के लिए तिल और गुड़ का प्रसाद तैयार करते समय भी साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
सकट चौथ के दिन चंद्रदेव को जल अर्घ्य दिए बिना व्रत अधूरा माना जाता है। व्रती महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चंद्रदेव को जल अर्घ्य देते समय जल की छींटे पैरों पर न पड़े। जल की छींटों का पैरों पर गिरना अशुभ माना जाता है।
सकट चौथ के दिन गणेशजी की पूजा करते समय व्रती को गणपति बप्पा को केतकी के फूल और तुलसी का पत्ता अर्पित करने से बचना चाहिए और न ही गणेशजी की खंडित मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।