नाबालिग से रेप के आरोपी प्रेमोदय खाखा की पत्नी को SC से नहीं मिली जमानत, पर मिली एक छूट
सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा की पत्नी को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने शुक्रवार को खाखा की पत्नी को जमानत देने से इनकार कर दिया। खाखा पर एक नाबालिग का कथित तौर पर कई बार रेप करने और उसे गर्भवती करने का आरोप है।
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सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा की पत्नी को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने शुक्रवार को खाखा की पत्नी को जमानत देने से इनकार कर दिया। खाखा पर एक नाबालिग का कथित तौर पर कई बार रेप करने और उसे गर्भवती करने का आरोप है। जस्टिस बीवी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता को एक साल बाद जमानत के लिए निचली अदालत जाने की छूट दे दी।
आरोपी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील सुभाशीष सोरेन ने दलील दी कि आरोपी अगस्त 2023 से जेल में है और मामले में आरोप पहले ही तय हो चुके हैं। दिल्ली पुलिस के वकील ने जमानत देने का विरोध किया। हालांकि, शीर्ष अदालत इससे प्रभावित नहीं हुई और याचिका खारिज कर दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने छह सितंबर को सीमा रानी खाखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह मामला 'दो परिवारों के बीच विश्वास की जड़ पर प्रहार को दर्शाता है' और इस स्तर पर गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
प्रेमोदय खाखा पर नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच अपने एक परिचित की बेटी का कई बार रेप करने का आरोप है। अगस्त 2023 में गिरफ्तार होने के बाद से वह न्यायिक हिरासत में है। खाखा की पत्नी सीमा रानी ने कथित तौर पर लड़की को गर्भपात कराने के लिए दवाएं दीं। वह भी न्यायिक हिरासत में है। हाईकोर्ट ने कहा था कि 'जमानत नियम है और जेल अपवाद है', लेकिन अदालतों को संतुलन बनाना चाहिए, खासकर नाबालिगों के यौन उत्पीड़न के मामलों में।
अदालत ने कहा था, 'मौजूदा मामले में पीड़ित अपने पिता की मृत्यु के बाद आरोपी के परिवार के साथ रहने चली गई। पीड़ित प्रेमोदय खाखा को ‘मामा’ कहती थी।' अदालत के अनुसार, 'तथ्य बहुत गंभीर प्रकृति के हैं। यह दोनों परिवारों के बीच विश्वास की जड़ पर प्रहार करता है।' आरोपी महिला के वकील ने दलील दी थी कि वह 50 वर्ष की है और एक साल से हिरासत में है और नाबालिग पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप, जिसमें गर्भावस्था का आरोप भी शामिल है, झूठे हैं।
आरोपी महिला के वकील ने कहा था कि एक मेडिकल रिपोर्ट दर्शाती है कि मुख्य आरोपी ने पहले नसबंदी करवाई थी और इसलिए वह 'प्रजनन करने में असमर्थ' है। हालांकि, अदालत ने इस पर कहा था कि गर्भावस्था का मुद्दा जमानत के चरण में प्रासंगिक नहीं है और आरोपी महिला को 'लड़की की रक्षा करनी चाहिए थी।' अदालत ने कहा, 'हम गर्भावस्था या गर्भपात (इस चरण में) पर बात नहीं कर रहे हैं। एक बच्ची आपके घर आती है और आप उसके साथ ऐसा बर्ताव करते हैं।'