'जेल का जवाब वोट से' सॉन्ग को मिली मंजूरी, दावा कर AAP ने बताया; EC के सवाल पर क्या दिया जवाब
AAP नेता दिलीप पांडे ने बताया कि 30 अप्रैल को EC से मिलने के बाद हमने हर बिंदू को लेकर अपनी बात रखी। हमने चुनाव आयोग के हर सवाल पर सवाल खड़ा कर दिया। हमने उनकी किसी भी आपत्ति को कबूल नहीं किया।
लोकसभा चुनाव के बीच आम आदमी पार्टी के कैंपेन सॉन्ग 'जेल का जवाब वोट से' को लेकर पिछले दिनों से काफी चर्चा हो रही है। दरअसल चुनाव आयोग ने इस गीत के कुछ शब्दों पर आपत्ति जताई थी और आम आदमी पार्टी से इसपर जवाब मांगा था। अभी कुछ ही दिनों पहले आप नेताओं ने आयोग के दफ्तर में जाकर मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलकर गाने को लेकर अपनी बात रखी थी। अब AAP ने दावा किया है कि चुनाव आयोग ने उनके कैंपेन सॉन्ग को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही आप का यह भी दावा है कि उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा इस गाने को लेकर उठाए गए किसी भी आपत्ति को भी स्वीकार ही नहीं किया और बल्कि आयोग की तरफ से पूछे गए सवालों पर उन्होंने सवाला उठाया। जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनके कैंपेन सॉन्ग को मंजूरी दे दी है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में AAP नेता दिलीप पांड ने कैंपेन सॉन्ग के बहाने बीजेपी पर भी निशाना साधा। दिलीप पांडे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सभी संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या कर रही है। दिलीप पांडे ने कहा कि यह सच है कि आखिरकार सत्य की ही जीत होती है। दिलीप पांडे ने बताया, 'आम आदमी पार्टी के कैंपेन सॉन्ग पर 27 तारीख को चिट्ठी लिख चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई। जब ये आपत्तियां आईं तब ही हमने कहा था कि ये आपत्तियां बेकार हैं और इससे दिल्ली के चुनाव आयोग की निष्पक्षता भी सवालों के घेरे में आ गई।'
चुनाव आयोग ने क्या आपत्ति जताई...
दिलीप पांड ने कहा कि चुनाव आयोग ने आपत्ति जताते हुए कहा कि गाने में जेल का जवाब वोट से कहना ठीक नहीं है। लेकिन हमने उनको कहा कि ये जो जेल भेजने की सियासत है हम इसका वोट की ताकत से जवाब देंगे। इससे ज्यादा लोकतांत्रिक बात क्या होगी। दिलीप पांडे ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा था कि यह न्यायपालिका पर आक्रमण जैसा है। इसपर हमने आयोग से कहा कि आखिर यह न्यायपालिका पर आक्रमण कैसे हुआ। हम अगर बीजेपी की राजनीति का जवाब वोट से देना चाहते हैं तो आप इसमें न्यायपालिका को लेकर क्यों आ रहे हैं?
दिलीप पांड ने कहा कि आयोग ने कहा था कि गाने के बोल 'तानाशाही को हम चोट देंगे' को उन्होंने हिंसक शब्द जैसा बताया था। इसपर हमने कहा कि चोट दिल, दिमाग, अहंकार, गुंडागर्दी पर लगती है। इतने सारे संदर्भ हैं और आपने इसको हिंसा से जोड़ दिया है। हम तो यह कह रहे हैं कि जो पार्टी तानाशाही दिखा रही है उसपर हम बैलेट की ताकत से चोट देंगे। इसमें हिंसा की बात कहां से आ गई? इसके अलावा 'गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे' लाइन पर पर भी चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई थी।
हर आपत्ति पर सवाल खड़े किये- AAP
दिलीप पांडे ने बताया कि 30 अप्रैल को चुनाव आय़ोग से मिलने के बाद हमने हर बिंदू को लेकर अपनी बात रखी। हमने चुनाव आयोग के हर सवाल पर सवाल खड़ा कर दिया। हमने उनकी किसी भी आपत्ति को कबूल नहीं किया। इसका नतीजा यह हुआ कि सच्चाई की जीत हुई और बीजेपी की हार हो गई। हमें वैधानिक रूप से इस गाने को जनता के बीच ले जाने का अवसर मिला।
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