मध्यस्थता प्रावधानों के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने वाणिज्यिक समझौतों में मध्यस्थता प्रावधानों के खराब लेखन पर चिंता जताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने निचली अदालतों को अस्पष्ट खंडों को खारिज करने का निर्देश दिया। अदालत...

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने वाणिज्यिक समझौतों में मध्यस्थता प्रावधानों को खराब ढंग से लिखे जाने पर गुरुवार को चिंता जताई। साथ ही कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया का इस्तेमाल मामलों को जटिल बनाने और उन्हें अनावश्यक रूप से लंबा खींचने के लिए किया जा रहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ऐसे समझौतों में मध्यस्थता प्रावधानों की अस्पष्टता पर गंभीर चिंता जताई और निचली अदालतों को खराब ढंग से लिखे गए खंडों को शुरुआत में ही खारिज करने का निर्देश दिया। कहा कि भारत में वाणिज्यिक समझौतों में मध्यस्थता के प्रावधानों का मसौदा तैयार करने में बहुत गुंजाइश है।
विवादों के त्वरित और प्रभावी समाधान के लिए मध्यस्थता को अपनाए जाने के बावजूद यह स्पष्ट और विडंबनापूर्ण है कि कुछ मामलों में विवादों के समाधान को अधिक जटिल बनाने और उसे लंबा खींचने के लिए इस प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया है। न्यायालय ने इस स्थिति के लिए प्रशासनिक अनदेखी या अपर्याप्त कानूनी सलाह को संभावित कारण बताते हुए कहा कि इस पर अलग से विचार करने की जरूरत है। पीठ ने अदालतों का समय खराब करने वाले ऐसे तरीकों को लेकर कानूनी बिरादरी को सावधान करने और चेतावनी देने के बजाय सलाह देने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली नगर निगम और कुछ निजी ठेकेदारों के बीच पार्किंग और वाणिज्यिक परिसरों के विकास से संबंधित रियायती समझौतों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर की।
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