छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में वृद्धि के आसार
शोल्डर : बैंकों में बचत जमा को बढ़ाने के लिए सरकार कर सकती है बढ़ोतरी
नई दिल्ली, एजेंसी। छोटी बचत योजनाओं में ब्याज बढ़ोतरी की आस लगाए बैठे लोगों को इस बार कुछ राहत मिल सकती है। सरकार चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) के लिए जल्द ही ब्याज दरों की समीक्षा करेगी। माना जा रहा है कि सरकार डाकघर बचत खाता, सुकन्या समृद्धि योजना समेत अन्य योजनाओं की ब्याज दरों में इजाफा करके लोगों को ज्यादा बचत करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। दरों में किसी भी तरह का बदलाव एक अक्तूबर से लागू होगा। वर्तमान में सरकार डाकघर बचत, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि, वरिष्ठ नागरिक, राष्ट्रीय बचत पत्र समेत कुल 12 तरह की छोटी बचत योजनाएं चला रही है। इनके जरिए निवेशकों को लंबी अवधि में ज्यादा मुनाफा देने के लिए सरकार हर तीन माह में ब्याज दरों की समीक्षा करने के बाद उन्हें संशोधित करती है।
पिछली दो तिमाहियों से बदलाव नहीं
चालू वित्त वर्ष की दो तिमाहियों (अप्रैल से सितंबर तक) सरकार ने ब्याज दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है और इन्हें यथावत रखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ब्याज दर में बढ़ोतरी होती तो यह घरलू बचत को प्रोत्साहित करने का संकेत होता, जो कि पिछले कुछ वर्षों से सुस्त पड़ी है। हालांकि, सरकार को यह भी देखना होता है कि उसके पास उच्च ब्याज भुगतान को प्रबंध करने की कितनी क्षमता है। सरकार इसके लिए वैश्विक परिस्थिति पर भी गौर करती है।
जनवरी में दो योजनाओं की दरें बढ़ीं थीं
वित्त वर्ष 2023-24 की अंतिम तिमाही के लिए भी सरकार ने सिर्फ दो योजनाओं की ही ब्याज दरें बढ़ाई थीं। इनमें सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर को 8 फीसदी से बढ़ाकर 8.20 फीसदी किया गया था। इसके अलावा तीन साल टाइम डिपॉजिट के लिए ब्याज दरें 7 फीसदी से 7.1 फीसदी की गई थी।
पीपीएफ की दरों में चार साल से बदलाव नहीं
पीपीएफ दरों में पिछले चार वर्षों से कोई बदलाव नहीं किया गया। इसमें आखिरी बार अप्रैल-जून 2020 में बदलाव किया गया था, जब इसे 7.9 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया गया था। कोरोना काल में सरकार ने कई बचत योजनाओं की ब्याज दरों में संशोधन करके उन्हें घटा दिया था। तब से पीपीएफ की ब्याज दर 7.1 फीसदी पर बनी हुई है। इस बीच ब्याज दरों में कई संशोधन हुए लेकिन पीपीएफ में कोई बदलाव नहीं हुआ। इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार यहां भी कुछ राहत दे सकती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञों के अनुसार पीपीएफ समेत सभी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें सरकार के लिए संवेदनशील राजनीतिक मुद्दे हैं। लाखों छोटे बचतकर्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए दरों में वृद्धि करने का दबाव है। घरेलू बचत को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक कदम होगा। हालांकि ब्याज दरों से वृद्धि से सरकारी व्यय में वृद्धि होगी।
मौजूदा ब्याज दरें (फीसदी में)
श्रेणी दर
बचत खाता 04
एक साल की एफडी 6.9
दो साल की एफडी 7.0
तीन साल की एफडी 7.1
पांच साल की एफडी 7.5
आरडी 6.5
वरिष्ठ नागरिक जमा 8.2
एमआईएस 7.4
एनएससी 7.7
पीपीएफ 7.1
किसान विकास पत्र 7.5
सुकन्या समृद्धि 8.2
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