गैर पेशेवर कर रहे हेयर ट्रांसप्लांट, डॉक्टर बोले- कार्रवाई हो
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बैचलर ऑफ डेंटल डिग्री वाले ने हेयर ट्रांसप्लांट किया, जिसके परिणामस्वरूप मरीज की मौत हो गई। डॉक्टरों के संगठनों ने ऐसे फर्जी क्लीनिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। उत्तर प्रदेश के कानपुर में हाल ही में सामने आए एक मामले ने चिकित्सा जगत में चिंता बढ़ा दी है, जहां बैचलर ऑफ डेंटल की डिग्री वाले ने हेयर ट्रांसप्लांट किया और मरीज की मौत हो गई। डॉक्टरों के संगठनों ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए मेडिकल काउंसिल से ऐसे फर्जी क्लीनिकों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर अक्षय ने कहा कि बड़ी संख्या में गैर पेशेवर लोग हेयर ट्रांसप्लांट और पीआरपी जैसे संवेदनशील इलाज कर रहे हैं। इन पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है।
वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मनीष जांगड़ा ने बताया कि दिल्ली में भी कई स्थानों पर बिना किसी चिकित्सा योग्यता के लोग स्किन एक्सपर्ट या हेयर ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट बनकर मरीजों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह न केवल कानूनन गलत है, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। त्वचा रोग विशेषज्ञों के नाम पर फर्जीवाड़ा त्वचा रोग विशेषज्ञों की सोसाइटी आईएडीवीएल ने फर्जी ब्यूटीशियन द्वारा त्वचा रोगों से जुड़ी इलाज की जानकारियां देने पर चिंता जाहिर की। सोसाइटी ने अपने एक नोटिस में लिखा है कि झोलाछाप तो छोड़िए उनके पास कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें ऐसे डॉक्टर भी खुद को त्वचा रोग विशेषज्ञ बताकर इलाज कर रहे हैं जिनके पास इस विभाग की न तो डिग्री है और न अनुभव। इनमें सिर्फ एमबीबीएस और बीडीएस की डिग्री प्राप्त करने वाले डॉक्टर अधिक हैं। सिर्फ एमबीबीएस करना काफी नहीं त्वचा रोग विशेषज्ञों की सोसाइटी आईएडीवीएल ने अपने पब्लिक नोटिस में लिखा है कि सिर्फ एमबीबीएस करने से कोई त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं बनता है। एमबीबीएस करने के बाद कम से कम सात अन्य पाठ्यक्रम में से कोई एक अन्य का डिप्लोमा या डिग्री होना जरूरी है। इन पाठ्यक्रमों में एमडी (स्किन), डीएनबी, एफसीपीएस, डीवीडी, डीडीवी, डीडीवीएल और डीवीएल शामिल है। जानलेवा हो सकती हैं गलत जानकारियां फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के संस्थापक और त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मनीष जांगड़ा का कहना है कि खुद को ब्यूटीशियन और कोस्मेटोलोजिस्ट बताने वाले अधिकतर इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट ऐसे हैं जिनके पास न कोई डिग्री है और न अनुभव। कई इंस्टाग्राम अकाउंट ऐसे हैं जो फंगल संक्रमण में भी लोगों को स्टेरॉइड क्रीम लगाने के लिए कहते हैं जबकि इससे लोगों को फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि त्वचा में दाने, दाग, फुंसियां और अन्य खराबियां फंगल संक्रमण की वजह से हैं या किसी और वजह से हैं, यह त्वचा रोग विशेषज्ञ ही बता सकते हैं, लेकिन सोशल मीडिया अकाउंट गलत तरीके से स्टेरॉइड क्रीमों का इस्तेमाल बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि गलत जानकारियां फैलाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट को बंद किया जाना चाहिए।
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