भौगोलिक, क्षेत्रीय, धार्मिक विविधताओं को ध्यान में रखकर बना है संविधान- सीजेआई गवई
सीजेआई बीआर गवई ने संविधान की विविधताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह देश की भौगोलिक, क्षेत्रीय और धार्मिक विविधताओं के अनुरूप है। उन्होंने न्यायपालिका में अपने करियर और पिता की भूमिका के बारे में...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने शनिवार को देश में भौगोलिक, क्षेत्रीय, धार्मिक विविधताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘संविधान इन विविधताओं के अनुरूप तैयार किया गया है। भारतीय विधिज्ञ परिषद द्वारा आयोजित अपने सम्मान समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि ‘हमारे पास भौगोलिक और क्षेत्रीय विविधता होने के साथ ही, देश में विभिन्न धर्मों के लोग हैं। उन्होंने कहा कि देश अलग-अलग हिस्से में रहने की लागत भी भिन्न है हमारे नागरिकों की आर्थिक स्थिति में विविधता है, इसलिए, और इन्ही विविधताओं को ध्यान में रखकर संविधान तैयार किया गया। देश के पहले बौद्ध सीजेआई बने जस्टिस गवई ने न्यायपालिका में अपनी करियर यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वकील बनना उनकी पहली पसंद नहीं थी।
उन्होंने कहा कि ‘मेरी पहली पसंद आर्किटेक्ट बनना था। मैं लगातार फैशन के बारे में सोचता रहा क्योंकि मैं बॉम्बे हाईकोर्ट लॉ की इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी और बिल्डिंग कमेटी का चेयरमैन था। सीजेआई ने अपने इस करियर को आगे बढ़ाने में अपने पिता की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘मेरे पिता चाहते थे कि उनका एक बेटा वकील बने और मैं बड़ा होने के नाते उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहता था। इसलिए, मैंने कानूनी पेशे को चुना। सीजेआई ने इस बात का उल्लेख किया कि कैसे वह शुरू में न्यायाधीश बनने के प्रस्ताव को स्वीकार करने में झिझक रहे थे क्योंकि उनके पिता ने उन्हें सलाह दी थी कि वकील के रूप में काम करना वित्तीय सफलता लाएगा। हालांकि, उनके पिता ने इस बात पर भी जोर दिया कि संवैधानिक अदालत में न्यायाधीश बनकर, वह अपने कर्तव्यों में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के सामाजिक और आर्थिक न्याय के दृष्टिकोण को कायम रख सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका बचपन डॉक्टर अंबेडकर और संविधान के विचारों से जुड़ा हुआ था। सीजेआई गवई ने अपने पिता की सलाह का पालन करने में अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने 22 साल के कार्यकाल और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में छह साल के दौरान, उन्होंने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भी सामाजिक-आर्थिक और सामाजिक-राजनीतिक न्याय को आगे बढ़ाने का अवसर आया, उन्होंने इसे हासिल करने का हर संभव प्रयास किया। सीजेआई गवई ने कहा कि लोकतंत्र के तीनों अंगों- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका- के कामकाज पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि ‘मैं हमेशा कहता हूं कि लोकतंत्र के तीनों अंगों-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का 75 साल का सफर हमेशा संतोषजनक रहा है। विधायिका और कार्यपालिका ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के वादे को पूरा करने की दिशा में कई कानून बनाए हैं। सीजेआई ने न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से सबसे महत्वपूर्ण लंबित मामले को निपटारे का जिक्र करते हुए कहा कि वह जजों के खाली पदों को भरने में तेजी लाने के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच सहयोगात्मक प्रयास का आह्वान किया। कानून के शासन को बनाए रखूंगा- सीजेआई सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि वह बड़े-बड़े वादे करने में भरोसा नहीं करते हैं, बल्कि विनम्रता और समर्पण के साथ सेवा करने की शपथ ली है। उन्होंने कहा कि ‘मैं बस इतना कह सकता हूं कि मेरे पास जो भी छोटा सा कार्यकाल है, उस दौरान मैं कानून के शासन को बनाए रखने, भारत के संविधान को बनाए रखने की अपनी शपथ पर कायम रहने की पूरी कोशिश करूंगा और इस देश के आम लोगों, बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने का प्रयास करूंगा ताकि राजनीतिक समानता के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक समानता के संविधान के आधार की कल्पना को वास्तविकता में लाया जा सके।
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