CJI B R Gavai Emphasizes India s Diversity and Constitutional Values विविधताओं को ध्यान में रखकर बना है संविधान : मुख्य न्यायाधीश, Delhi Hindi News - Hindustan
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विविधताओं को ध्यान में रखकर बना है संविधान : मुख्य न्यायाधीश

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि भारत का संविधान भौगोलिक, क्षेत्रीय और धार्मिक विविधताओं के अनुरूप तैयार किया गया है। उन्होंने अपने पिता की सलाह का पालन करते हुए वकील बनने का निर्णय लिया। गवई ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 17 May 2025 10:56 PM
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विविधताओं को ध्यान में रखकर बना है संविधान : मुख्य न्यायाधीश

देश के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने शनिवार को देश में भौगोलिक, क्षेत्रीय, धार्मिक विविधताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधान इन विविधताओं के अनुरूप तैयार किया गया है। भारतीय विधिज्ञ परिषद द्वारा आयोजित अपने सम्मान समारोह में मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि हमारे पास भौगोलिक और क्षेत्रीय विविधता होने के साथ ही, देश में विभिन्न धर्मों के लोग हैं। उन्होंने कहा कि देश अलग-अलग हिस्से में रहने की लागत भी भिन्न है हमारे नागरिकों की आर्थिक स्थिति में विविधता है, इसलिए, इन्हीं विविधताओं को ध्यान में रखकर संविधान तैयार किया गया। देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस गवई ने न्यायपालिका में अपनी कॅरियर यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वकील बनना उनकी पहली पसंद नहीं थी।

उन्होंने कहा कि मेरी पहली पसंद आर्किटेक्ट बनना था। मैं लगातार फैशन के बारे में सोचता रहा क्योंकि मैं बॉम्बे हाईकोर्ट लॉ की इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी और बिल्डिंग कमेटी का चेयरमैन था। सीजेआई ने अपने इस कॅरियर को आगे बढ़ाने में अपने पिता की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि उनका एक बेटा वकील बने और मैं बड़ा होने के नाते उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहता था। इसलिए, मैंने कानूनी पेशे को चुना। पिता की सलाह का पालन किया मुख्य न्यायाधीश ने इस बात का उल्लेख किया कि कैसे वह शुरू में न्यायाधीश बनने के प्रस्ताव को स्वीकार करने में झिझक रहे थे क्योंकि उनके पिता ने उन्हें सलाह दी थी कि वकील के रूप में काम करना वित्तीय सफलता लाएगा। हालांकि, उनके पिता ने इस बात पर भी जोर दिया कि संवैधानिक अदालत में जज बनकर, वह अपने कर्तव्यों में डॉ. बी.आर. आंबेडकर के सामाजिक और आर्थिक न्याय के दृष्टिकोण को कायम रख सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने पिता की सलाह का पालन करने में अपनी खुशी व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट के जज के रूप में अपने 22 साल के कार्यकाल और सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में छह साल के दौरान, उन्होंने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास किया है। लोकतंत्र के तीनों अंग के कामकाज पर संतोष जताया मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोकतंत्र के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के कामकाज पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि लोकतंत्र के तीनों अंगों का 75 साल का सफर हमेशा संतोषजनक रहा है। विधायिका और कार्यपालिका ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के वादे को पूरा करने की दिशा में कई कानून बनाए हैं। कानून के शासन को बनाए रखूंगा : मुख्य न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि वह बड़े-बड़े वादे करने में भरोसा नहीं करते हैं, बल्कि विनम्रता और समर्पण के साथ सेवा करने की शपथ ली है। उन्होंने कहा कि मैं बस इतना कह सकता हूं कि मेरे पास जो भी छोटा सा कार्यकाल है, उस दौरान मैं कानून के शासन को बनाए रखने, भारत के संविधान को बनाए रखने की अपनी शपथ पर कायम रहने की पूरी कोशिश करूंगा(

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