1993-2020: पहले बीजेपी फिर कांग्रेस और अब आप; जानिए कब-किसने हारी-जीती दिल्ली, पूरी कहानी
- दिल्ली में अब तक पहले बीजेपी, फिर कांग्रेस और उसके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार रही हैं। आइए जानते हैं पूरी कहानी कब और किसने सरकार बनाई।
आने वाली 5 फरवरी को दिल्ली की जनता वोट करेगी और 8 फरवरी को नतीजे सामने आते ही पता चल जाएगा कि दिल्ली की सरकार कौन पार्टी चलाएगी। किसकी जीत होगी ये बाद की बात है, मगर आज आपको बताते हैं दिल्ली का राजनीतिक इतिहास। माने 1993 से 2020 तक कब और किस पार्टी की सरकार बनी। दिल्ली में अब तक पहले बीजेपी, फिर कांग्रेस और उसके बाद आम आदमी पार्टी की सरकार रही हैं। आइए जानते हैं पूरी कहानी।
1993 में बीजेपी की हुई जीत, कांग्रेस को मिली पटखनी
दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव साल 1993 में हुए। बीजेपी ने मजबूत जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस को जबरदस्त पटखनी दी। पहले चुनाव में 49 सीटों को अपने नाम करते हुए भाजपा ने कुल मतों का 42.8 फीसदी हिस्सा अपने नाम किया। कांग्रसे दूसरे पायदान पर रहते हुए 14 सीटों के साथ 34.5 फीसदी वोट अपने नाम करने में कामयाब हुई। इस समय तीसरी बड़ी पार्टी जनता दल निकलकर सामने आई थी। इसने 12.6 फीसदी वोटों के साथ 4 सीट अपने पाले में की।
1993 के कार्यकाल में बीजेपी को बदलने पड़े 3 सीएम
हालांकि इस मजबूत जीत के बावजूद बीजेपी इस कार्यकाल को आसानी से पूरा नहीं कर सकी। पांच साल का कार्यकाल बीजेपी के लिए काफी मुश्किलों भरा रहा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने एक कार्यकाल में तीन बार सीएम बदले। पहले मदन लाल खुराना को सीएम बनाया, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा आए, लेकिन वो बढ़ती मंहगाई को काबू में नहीं कर सके। इसके चलते उन्हें भी बीजेपी ने हटा दिया। तीसरी बार भाजपा ने महिला चेहरे को आगे किया और सुषमा स्वराज को दिल्ली का सीएम बनाया।
1998 में कांग्रेस ने मारी बाजी, 15 सीटों पर सिमटी बीजेपी
बीजेपी ने महिला चेहरा को आगे करते हुए जनता के बीच पल रहे रोष को शांत करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन कांग्रेस ने इसका तोड़ निकालते हुए साल 1998 के चुनाव में शीला दीक्षित को सीएम चेहरे के तौर पर पेश कर दिया। कांग्रेस का प्लान कामयाब हुआ और बीजेपी को दूसरे चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने 47.75 फीसदी वोट के साथ 52 सीटों को अपने नाम किया। बीते चुनाव में 49 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 15 सीटों पर सिमटकर रह गई। हालांकि वह करीब 34 फीसदी वोट झटकने में कामयाब हो गई थी। जनता दल भी सिमटती दिखाई पड़ी। उसे एक सीट से संतोष करना पड़ा। बाकी दो सीटें इंडिपेंडेंट के खाते में चली गईं।
2003 में कांग्रेस ने फिर मारी बाजी, बीजेपी के हाथ आई निराशा
अगले चुनाव(2003) में भी कांग्रेस ने जीत को बरकरार रखा। बीजेपी को इस बार भी हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली की जनता ने एक बार फिर शीला दीक्षित पर भरोसा दिखाया और कांग्रेस ने 48.1 फीसदी वोटों के साथ 47 सीटों को अपने पाले में किया। बीजेपी ने इस बार थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया और 20 सीटों के साथ 35.2 फीसदी वोट खीचने में कामयाब हो गई। कांग्रेस ने जीत का यह सिलसिला अगले चुनाव(2008) में भी बरकरार रखा। कांग्रेस ने इतिहास रचते हुए लगातार तीसरी बार दिल्ली को अपने नाम किया। उसने 43 सीटों के साथ 40.3 फीसदी वोट अपने नाम किए थे। हालांकि इस बार कांग्रेस कुल वोट प्रतिशत और सीटें दोनों ही कम जीतने में कामयाब हुई। इधर बीजेपी के खाते में बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही थी।
2008 में कांग्रेस जीती, मगर घटने लगा था हार-जीत का अंतर
बीजेपी ने जहां पहले चुनाव में 49 सीटों को अपने नाम किया था। वहीं साल 1998 के चुनाव में धड़ाम से नीचे गिरते हुए महज 15 सीट जीत पाई थी। मगर हर चुनाव में बीजेपी ने बेहतर करते हुए सीटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की थी। बीजेपी ने 1993 में 49, 1998 में 15, 2003 में 20 तो वहीं 2008 में 23 सीटों को अपने नाम किया था। वहीं अगर कांग्रेस की जीत का ग्राफ देखें तो पहले 1993 में 14, 1998 में 52, 2003 में 47, 2008 में 43 सीटें जीती थीं। मगर फिर साल 2013 के चुनाव तक बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला।
बीजेपी कांग्रेस की लड़ाई में सामने आई नई पार्टी
अब तक बीजेपी और कांग्रेस में राजनीतिक लड़ाई होती आई थी। मगर इस समय तक राजनीति में काफी बड़े बदलाव हो चुके थे। अब एक नई पार्टी निकलकर सामने आई था। यह अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी थी। यह अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान उभरी पार्टी थी। जब इस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो दिल्ली समेत देश के इतिहास में बड़ा बदलाव सामने आया, जिसके परिणाम आने वाले चुनावों में साफ तौर पर दिखाई दिए।
आप ने तोड़ा हार-जीत का पुराना पैटर्न, रचा नया इतिहास
साल 2013 का चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के अलावा अन्य पार्टी के दबदबे से भी प्रभावित हुआ, जिसके परिणाम दिल्ली में साफ तौर पर दिखाई दिए। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 28 सीटें जीतते हुए 29 फीसदी वोटों को अपने पाले में करके सबको चौंका दिया। हालांकि बीजेपी अभी भी सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन अपने बल पर सरकार बनाने में सक्षम नहीं थी। उसने 34 फीसदी वोटों के साथ 32 सीटों को अपने नाम किया था। लगातार तीन बार चुनाव जीतती आ रही कांग्रेस 24 फीसदी वोटों के साथ महज 8 सीटों पर सिमटकर रह गई।
आप ने बनाई सरकार लेकिन 40 दिन बाद दिया इस्तीफा
बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। आप ने इसका फायदा उठाया और कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में पहली बार सरकार बनाई। हालांकि यह सरकार बहुत लंबे समय तक नहीं चली, लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया, जिस पचाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा था। केजरीवाल और उनके मंत्रिपरिषद ने पांचवीं विधानसभा की पहली बैठक के 40 दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया। इस कारण फरवरी 2015 में नए चुनाव होने तक एक साल से अधिक समय तक दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा रहा।
2015 में आप ने सबसे बड़ी पार्टी बनकर रचा इतिहास
इसके बाद एक बार फिर साल 2015 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव कराए गए। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज की। आप ने कुल 70 सीटों में से 67 को अपने नाम किया। इस तरह आप सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस की इस चुनाव में बहुत बुरी हार हुई। तीन बार लगातार चुनाव जीतने वाली कांग्रेस 2015 में एक सीट जीतने के लिए तरस गई। हालांकि बीजेपी ने अपनी इज्जत बचाते हुए 3 सीटों को आप से झटक लिया था।
आप ने 2020 में भी जीत को रखा बरकरार, कांग्रेस की हुई बुरी हार
साल 2020 में चुनाव के दौरान दिल्ली के उत्तर पूर्वी हिस्से में दंगे हो रहे थे। इसी बीच चुनाव भी हुए। आप ने फिर बड़ी जीत दर्ज की। आप ने इस बार 62 सीटों को अपने नाम किया। भाजपा ने अपना प्रदर्शन बेहतर किया। उसने इस बार 3 सीटों से बढ़कर 8 सीटों को अपने नाम किया। कांग्रेस की एक बार फिर इस चुनाव में दुर्गति हो गई। उसे एक भी सीट नहीं मिली। इस तरह लगातार तीन चुनाव जीतने वाली कांग्रेस लगातार दूसरी बार जीरो सीट के साथ निराशा का घूंट पीकर रह गई।
इस तरह 1 बार बीजेपी, 3 बार कांग्रेस और 2 बार आप ने दिल्ली में सरकार बनाई। हालांकि अगर साल 2013 के 40 दिनों की सरकार को जोड़ लिया जाए तो आप ने ये काम तीन बार किया था। इस बार हो रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की कोशिश में रहेगी। वहीं आप अपनी जीत को बरकरार रखना चाहेगी। बीजेपी भी चाहेगी कि उसे दूसरी बार दिल्ली में सरकार बनाने का मौका मिले। इसका पता पूरी तरह 8 फरवरी को चल जाएगा।